रसूलुल्लाह (ﷺ) अक्सर यह दुआ किया करते थे :
तर्जमा: “ऐ अल्लाह ! मैं आपस के इख्तेलाफ़, निफ़ाक और बुरे अख्लाक से तेरी पनाह चाहता हूँ।”
रसूलुल्लाह (ﷺ) अक्सर यह दुआ किया करते थे :
तर्जमा: “ऐ अल्लाह ! मैं आपस के इख्तेलाफ़, निफ़ाक और बुरे अख्लाक से तेरी पनाह चाहता हूँ।”