अपने अख़्लाक़ दुरूस्त करने की फ़ज़ीलत

एक अहेम अमल की फजीलत | Ek Aham amal ki Fazilat

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“कामयाब हो गया वह आदमी जिस ने अपने दिल को ईमान के लिये सफारिश कर दिया और उसे सही सालिम रखा और अपनी जबान को सच्चा बनाया, अपने नफ़्स को नफ्से मुतमइन्ना और अख़्लाक़ को दुरूस्त बनाया और कानों को हक़ बात सुनने का और आँखों को अच्छी चीजों को देखने का आदी बनाया।”

📕 मुस्नदे अहमद: २०८०३, अन अबी जर (र.अ)


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