रसूलल्लाह (ﷺ) ने आखरी वसिय्यत यह इरशाद फ़रमाई :
“नमाजों और अपने ग़ुलामों के बारे में अल्लाह तआला से डरो।”
( यानी नमाज को पाबन्दी से पढ़ते रहा करो और गुलामों (नौकरों) के हुकूक अदा करो।)
रसूलल्लाह (ﷺ) ने आखरी वसिय्यत यह इरशाद फ़रमाई :
“नमाजों और अपने ग़ुलामों के बारे में अल्लाह तआला से डरो।”
( यानी नमाज को पाबन्दी से पढ़ते रहा करो और गुलामों (नौकरों) के हुकूक अदा करो।)
और पढ़े: