19 Safar | Sirf Panch Minute ka Madarsa
1. इस्लामी तारीख
हजरत यसआ (अ.)
हजरत यसआ (अ.) का तजकेरा कुरआने करीम के “सूरह अन्आम” और “सूरह साद” दो जगह आया है। जिस में उन की फजीलत व अजमत की खबर दी है, वह एक मालदार घराने के फरजन्द थे, इलाक-ए-सामरा के रहने वाले थे, यह इलाका कन-आन (फलस्तीन) में यरोशलग के शिमाल व मग़रिब में बहरे रूम के साहिल के करीब वाले है।
हजरत यसआ हज़रत इलयास के चचाज़ाद भाई और उन के नाइब व खलीफा थे। शुरू में उन्हीं के साथ रहते थे। जब हजरत इलयास (अ.) का इन्तेकाल हुआ तो अल्लाह तआला ने बनी इस्राईल की हिदायत व रहनुमाई के लिये उन को नबी बनाया।
वह हज़रत इलयासही की तरह कौमे बनी इस्राईल को तौरात पर अमल करने की तरगीब, देते और हक़ बात मानने और सीधे रास्ते पर चलने का हुक्म दिया करते थे और शिर्किया बातों से बचे रहने की ताकीद करते थे।
नुबुव्वत के साथ सियासी सूझ बूझ और जंगी तदबीरों से भी खूब वाकिफ थे।
2. अल्लाह की कुदरत
फलों में रस
अल्लाह तआला ने हमारे फायदे के लिये बहुत से किस्म के फलदार दरख्त पैदा फरमाए। जिन पर मौसम के लिहाज से फल उगाता है। उन में से बाज फल खट्टे और बाज़ मीठे होते हैं फिर बाज़ फलों में लज़ीज़ और उमदा रस पैदा कर देता है। आम, सन्तरा, मोसम्बी और अंगूर जैसे फलों से हम मज़ेदार जूस निकाल कर पीते हैं।
आखिर उन फलों में उमदा व लज़ीज़ रस कौन पैदा करता है?
बिलाशुबा अल्लाह ही अपनी कुदरत से हमारे लिये उन फलों में रस पैदा करता है।
3. एक फर्ज के बारे में
वसिय्यत पूरी करना
कुरआन में अल्लाह तआला ने चंद वारिसों के हिस्सों का जिक्र करने के बाद फर्माया :
“(यह सब वरसा के हिस्सों की तक्सीम) मय्यित की वसिय्यत को पूरा करने और कर्ज अदा करने के बाद की जाएगी।”
खुलासा : मय्यित ने अगर किसी के हक में कुछ वसिय्यत की हो, तो वारिसों को उन का हिस्सा देने से पहले मय्यित के छोड़े हुए माल के तिहाई हिस्से से उस की वसिय्यत पूरी करना वाजिब है।
4. एक सुन्नत के बारे में
वजू के बाद तौलिये का इस्तेमाल करना
हजरत आयशा (र.अ) बयान करती हैं के “रसूलुल्लाह (ﷺ) के पास एक कपड़े का टुक्ड़ा (रुमाल की तरह) था जिस से वुजू के बाद पोछते थे।”
📕 तिर्मिज़ी: ५३
5. एक अहेम अमल की फजीलत
बेचा हुआ माल वापस लेना
रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जो शख्स किसी मुसलमान के खरीदे हुए माल को (वापस करने पर) वापस ले ले, तो अल्लाह तआला क़यामत के दिन उस के गुनाह माफ फर्मा देगा।”
📕 अबू दाऊद : ३४६०, अन अबी हुरैरह (र.अ)
6. एक गुनाह के बारे में
अल्लाह की किसी मखलूक को सताने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“एक बेदर्द और बेरहम औरत इसलिये जहन्नम में डाली गई के उस ने एक बिल्ली को बाँध के भूका मार डाला, न तो उसे कुछ खिलाया और न उसे छोड़ा के वह जमीन के कीड़े मकोड़ों से अपनी गिजा हासिल कर लेती।”
📕 बुखारी: ३३१८, अन इब्ने उमर (र.अ)
7. दुनिया के बारे में
दुनियावी ऐश व इशरत से बचना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने हज़रत मआज को जब यमन भेजा तो फर्माया के नाज़ व नेअमत की जिन्दगीसे बचना, इसलिये के अल्लाह के बन्दे ऐश व इशरत में जिन्दगी बसर करने वाले नहीं होते।
📕 मुस्नदे अहमद : २१६१३
8. आख़िरत के बारे में
जन्नत के बालाखाने किस के लिये ?
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“जो लोग अपने रब से डरते हैं, तो उन के लिये (जन्नत के) ऐसे बालाखाने हैं, जिन के ऊपर और बालाखाने बने हुए हैं, उन के नीचे नहरें जारी होंगी, अल्लाह ने (उनसे यह) वादा किया है और अल्लाह तआला वादा खिलाफ़ी नहीं करता।”
9. तिब्बे नबवी से इलाज
हलक के कव्वे का इलाज
रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“अपनी औलाद को हलाक न करो, जब किसी औरत के बच्चे को गले की तकलीफ हो तो ऊदे हिन्दी को पानी से रगड़कर उसकी नाक में चढाए।”
📕 बुखारी : ५७१३, अन उम्मे कैस बिन्ते मिहसन (र.अ)
फायदा: कव्वा गोश्त का लटकता हुआ वह छोटा सा टुक्ड़ा है, जो आदमी के शुरू हलक में होता है।
10. कुरआन की नसीहत
अल्लाह तआला का अहद पूरा किया करो
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“तुम अल्लाह तआला का अहद पूरा किया करो, जब के तुम उसको अपने जिम्मे करलो और कसमों को (भी) पुख्ता करने के बाद मत तोड़ा करो।”
इंशा अल्लाहुल अजीज़ ! पांच मिनिट मदरसा सीरीज की अगली पोस्ट कल सुबह ८ बजे होगी।