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क्या आप जानते हैं कि “काफ़िर” शब्द का सही मतलब क्या है?
बहुत से लोग — चाहे वे मुस्लिम हों या गैर-मुस्लिम — इस शब्द का अर्थ गलत समझते हैं। इसका नतीजा यह होता है कि इस्लाम के कई सिद्धांतों की गलत व्याख्या की जाती है। आइए जानें कि इस्लाम में “काफ़िर” किसे कहा जाता है, और इससे जुड़ी गलतफहमियों का सच क्या है।
“काफ़िर” शब्द का मतलब क्या है?
“काफ़िर” शब्द अरबी भाषा के शब्द “कुफ्र” से निकला है।
“कुफ्र” का मतलब होता है:
- छुपाने वाला
- नाशुक्रा (अकृतज्ञ)
- सच्चाई को इनकार करने वाला
इसलिए, काफ़िर वह होता है जो सत्य (अल्लाह की एकता और रसूल की सच्चाई) को जान-बूझकर नकारता है, या उसे छुपाता है।
काफ़िर का मतलब “नफरत” नहीं होता
आजकल कुछ लोग “काफ़िर” शब्द को गाली या नफरत भरे शब्द की तरह पेश करते हैं। जबकि इस्लाम में यह शब्द किसी की धार्मिक स्थिति को बताने के लिए इस्तेमाल होता है, न कि किसी को नीचा दिखाने के लिए।
➡ इस्लाम किसी के साथ नफरत करने की इजाज़त नहीं देता, चाहे वह किसी भी धर्म का क्यों न हो।
क्या मुसलमान भी काफ़िर हो सकता है?
अगर कोई व्यक्ति इस्लाम के जरूरी सिद्धांतों (तौहीद, रिसालत, आख़िरत) से इनकार करता है या छुपाता है, तो वह भी “काफ़िर” की श्रेणी में आ सकता है — भले ही वह नाम का मुसलमान हो।
“काफ़िर” शब्द से डरने की नहीं, समझने की ज़रूरत है
इस शब्द का इस्तेमाल समझदारी और इज़्ज़त के साथ होना चाहिए। किसी को “काफ़िर” कहना बहुत गंभीर बात है और इसका फ़ैसला भावनाओं से नहीं, बल्कि ज्ञान और इंसाफ़ से होना चाहिए।
क्या सूरह माईदा में काफ़िरों को मारने का आदेश सभी गैर-मुस्लिमों के लिए है?
बिलकुल नहीं।
सूरह माईदा या कुरआन की किसी भी आयत में सभी गैर-मुस्लिमों को मारने का आदेश नहीं है।
इन आयतों को अक्सर संदर्भ से काटकर पेश किया जाता है।
असल में, यह आदेश एक विशेष समय और प्रसंग में आया था — जब मुसलमानों को मक्का और मदीना में ज़ुल्म, बहिष्कार और हिंसा का शिकार बनाया जा रहा था। इन परिस्थितियों में आत्मरक्षा का आदेश दिया गया था।
इस्लाम किसी भी निर्दोष व्यक्ति को मारने की इजाजत नहीं देता।
बल्कि कुरआन स्पष्ट रूप से कहता है:
“जिसने एक निर्दोष व्यक्ति की हत्या की, उसने पूरी मानवता की हत्या की।”
(सूरह माईदा 5:32)
इसलिए यह दावा कि “इस्लाम हर गैर-मुस्लिम को काफ़िर कहकर मारने की बात करता है” — न सिर्फ ग़लत है, बल्कि कुरआन के खिलाफ़ भी है।
निष्कर्ष
“काफ़िर” शब्द का मतलब सिर्फ “ग़ैर-मुस्लिम” नहीं होता, बल्कि यह उस व्यक्ति को दर्शाता है जो अल्लाह और उसके रसूल की सच्चाई को जान-बूझकर नकारता है।
इसे गाली या नफरत की भाषा में इस्तेमाल करना इस्लाम की शिक्षाओं के खिलाफ है। सही जानकारी ही समाज में सौहार्द और समझदारी बढ़ा सकती है।
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