सिर्फ पांच मिनिट का मदरसा
क़ुरआन व सुन्नत की रौशनी में


१. इस्लामी तारीख

वफ्दे नजरान की मदीने में आमद

नजरान यमन के एक शहर का नाम है। यहाँ के लोग ईसाई थे। सन ९ हिजरी में रसूलुल्लाह (र.अ)  ने अहले नजरान को इस्लाम की दावत दी। तो साठ अफराद पर मुश्तमिल एक वफ़्द आप की ख़िदमत में हाजिर हुआ। जिन में शुरहबील बिन वदाआ, अब्दुल्लाह, जब्बार बिन कैस जैसे बड़े बड़े पादरी थे। और काफले का अमीर अब्दुल मसीह आकिब था।

उन्होंने हजरत ईसा (अ.स)  के बारे में सवालात किये। जिनके जवाब में अल्लाह तआला ने सूर-ए-आले इमरान की इब्तेदाई अस्सी आयतें नाजिल फ़रमाई। इन आयात में अल्लाह तआला की तरफ से हज़रत ईसा (अ.स)  की बगैर बाप की पैदाइश, उन की नुबुव्वत, व रिसालत, मजहबे इस्लाम की सच्चाई और यहूद व नसारा के एतेरजात का साफ साफ जवाब दिया गया।

मगर उन्होंने मानने से इन्कार कर दिया। तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने उन को मुबाहला (जिस फरीक का अक़ीदा बातिल हो उस पर अल्लाह की लानत और हलाकत की दुआ करने) की दावत दी। हुजूर (ﷺ) हज़रत हसन, हुसैन, हज़रत अली और फातिमा (र.अ)  को ले कर मैदान में आ गए। मगर नजरान के पादरियों को मुबाहला करने की हिम्मत नहीं हुई। फिर आप (ﷺ) ने फर्माया : अगर यह लोग मुबाहला करते, तो पूरी वादी आग से भर जाती और तमाम अहले नजरान हलाक हो जाते, इस के बाद उन्होंने सालाना जिज़या (टेक्स) अदा करने पर सुलह कर ली।

जिज़ये की वसूलयाबी के लिये अमीने उम्मत हजरत अबू उबैदा (र.अ)  को उन के साथ भेज दिया। उनकी तब्लीग और दावती कोशिशों से इस पूरे इलाके में इस्लाम फैल गया।

📕 इस्लामी तारीख

To be Continued …


२. अल्लाह की कुदरत

बर्फीले पहाड़ों में अल्लाह की कुदरत

बाज़ ऊंचे इलाकों और बुलंद पहाड़ों पर सर्द मौसम की वजह से बर्फ जम जाती है और पहाड़ों की चोटी बर्फ से ढक जाती है, जब के ज़मीन की सतह से बुलंद और सूरज के करीब होने की वजह से सख्त गर्मी होनी चाहिए थी और पानी भी ठंडा होने के बजाए गर्म होता, लेकिन इसके बावजूद पहाड़ों पर सख्त बर्फ जमी रहती है और सर्द माहौल रहता है।

यही नहीं, बल्के जितना ऊपर जाएँ और ज़्यादा सर्दी महसूस होगी।

इन पहाड़ों की चोटियों पर बर्फ का जमाना और सर्द माहौल का बनाना अल्लाह की कितनी अज़ीम कुदरत है। सुभानअल्लाह।

📕 अल्लाह की कुदरत


३. हुजूर (ﷺ) का मुअजिजा

ऊंटों के मुतअल्लिक़ खबर देना

गज़व-ए-बनू मुस्तलिक में हज़रत जुवैरिया (र.अ) को मुसलमानों ने कैद कर लिया था, तो उन के वालिद आप (ﷺ) की खिदमत में बतौर फिदया के ऊंट लेकर हाज़िर हुए, लेकिन उनमें से दो ऊंटों को वादि-ए-अक़ीक़ में एक तरफ बाँध दिया था और आकर कहा : मेरी बेटी को मेरे हवाले कर दीजिये और उसके फिदये में यह ऊँट हाज़िर हैं।

आप (ﷺ) ने फर्माया : वह दो ऊँट कब लाओगे जो तुम को ज़्यादा पसंद हैं और जिन को बाँध कर आए हो? वालिद ने कहा : मैं गवाही देता हूँ के आप अल्लाह के रसूल (ﷺ) हैं, यह राज तो मेरे अलावा कोई नहीं जानता था और फिर वो ईमान ले आये।

📕 तारीखे दिमश्क लिइब्ने असाकिर : २१७/३


४. एक फ़र्ज़ अमल के बारे में

अज़ान सुन कर नमाज़ के लिए न जाने वाले शख्स का हाल

मुआज दिन अनस (र.अ) से रिवायत है के,
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“सरासर जुल्म, कुफ्र और निफाक है उस शख्स का जो अल्लाह के मुनादी (यानी मोअज्जिन) की आवाज़ सुने और नमाज़ को न जाए।”

📕 तबरानी कबीर, हदीस: १६८०४


5. एक सुन्नत अमल के बारे में

जब बुरा ख्वाब देखे तो यह अमल करे: हदीस

Bura Khwab Dekhne Par Kya Karna Chahiye

हदीस: रसूलल्लाह (ﷺ) फरमाते है :

“जब तुम में से कोई बुरा ख्वाब देखे, तो तीन मर्तबा बाएं तरफ थुक दे और तीन मर्तबा शैतान के शर्र (बुराई) से अल्लाह की पनाह चाहे ( आऊज़ो बिल्लाहि मिनश शैतानिर रजीम पढ़े और) करवट बदल कर सो जाए।”

📕 मुस्लिम, हदीस 5904


6. एक अहेम अमल की फजीलत

इल्म सीखते हुए वफात पा जाने की फ़ज़ीलत

रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“जिस को इल्म सीखते हुए मौत आजाए, वह इस हाल में अल्लाह तआला से मुलाकात करेगा के उसके और नबियों के दर्मियान सिर्फ नुबुब्बत के दर्जे का फर्क होगा।”

📕 तबरानी औसत : ११५११


7. एक गुनाह के बारे में

अपने मातहतों पर तोहमत लगाने गुनाह

रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जिस ने अपने मातहत पर किसी ऐसी बात की तोहमत लगाई जिस से वह बरी है तो उस पर क़यामत के दिन हद जारी की जाएगी। मगर यह के वह कही हुई बात उस में मौजूद हो।”

📕 बुखारी : ६८५८


8. दुनिया के बारे में

दुनियादार का घर और माल

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : 

“दुनिया उस शख्स का घर है, जिसका (आखिरत में) कोई घर नहीं हो और (दुनिया) उस शख्स का माल है जिस का आखिरत में कोई माल नहीं और दुनिया के लिये वह शख्स (माल) जमा करता है जो नासमझ है।”

📕 मुस्नदे अहमद: २३८९८, अन आयशा (र.अ)


9. आख़िरत के बारे में

क़यामत के दिन इन्सान के आज़ा की गवाही

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है:

“जिस दिन अल्लाह के दुश्मन (यानी कुफ्फार) दोज़ख की तरफ जमा (करने के मौकफ में) लाएंगे,
फिर वह रोके जाएँगे (ताके बाकी आजाएँ) यहाँ तक के जब वह उसके करीब आजाएँगे तो उनके कान, उनकी आँखें और उनकी खाल, उनके खिलाफ उन के किये हुए आमाल की गवाही देंगी।”

📕 सूरह फुसिलत: १९ ता २०


10. तिब्बे नबवी से इलाज

फोड़े फुंसी का इलाज

आप (ﷺ) की बीवीयों में से एक बीवी बयान फ़र्माती हैं के एक दिन रसूलुल्लाह ﷺ मेरे पास तशरीफ़ लाए और दर्याफ्त फ़ाया : क्या तेरे पास जरीरह है ? (चिरायता) मैं ने कहा: हाँ! तो आप ने उसे मंगाया और अपने पैर की उंगलियों के दर्मियान जो फुंसी थी उसपर रख कर यह दुआ फ़रमाई:

तर्जमा : ऐ बड़े को छोटा और छोटे को बड़ा करने वाले अल्लाह! इस जख्म को ख़त्म कर दे, चुनांचे वह फुंसी अच्छी हो गई।

📕 मुस्तदरक : ७४६३


11. क़ुरआन व सुन्नत की नसीहत