8 सफर | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा
8 Safar | Sirf Paanch Minute ka Madarsa
1. इस्लामी तारीख
हज़रत लुकमान हकीम
हजरत ईसा (अ.स) से तकरीबन तीन हजार साल पहले अरब में लुकमान नाम के एक बड़े नेक गुजरे हैं, जो हजरत अय्यूब (अ.स) के भांजे या खाला जाद भाई थे (वल्लाहु आलम)। आप अफरीकि नस्ल से थे और सूडान के नूबी खानदान से तअल्लुक रखते थे। और अरब में एक गुलाम की हैसियत से आए थे, मगर आप निहायत नेक, आबिद व जाहिद, अकलमन्द और साहिबे हिकमत इन्सान थे।
आप की हकीमाना बातें सहीफ-ए-लुक्रमान के नाम से अरबों में मशहूर थीं। आप की हकीमाना बातों का जिक्र क़ुरआने करीम में सूरह लुकमान में भी मौजूद है। आप अपने बेटे को जिन्दगी के आखिर में नसीहत करते हुए फर्माते हैं:
“बेटा! अल्लाह तआला के साथ किसी को शरीक न करना, बिलाशुबा शिर्क बहुत बड़ा गुनाह है, बेटा ! नमाज पढ़ा करो और नेक काम का हुक्म किया करो और बुरी बातों से मना किया करो और जो तुम पर मुसीबत आए, उस पर सब्र करो, बेशक यह हिम्मत के काम हैं और जमीन पर अकड़ कर न चलो, अल्लाह तआला अकड़ कर फ़ख़्रिया चाल चलने वाले को पसन्द नहीं करता।” [मफ़हूम सूरह लुकमान]
2. हुजूर (ﷺ) का मुअजिजा
अरब के रास्तों के मुतअल्लिक़ पेशीनगोई
एक मर्तबा आप (ﷺ) ने अदी बिन हातिम (र.अ) से फर्माया :
“ऐ अदी ! अगर तेरी उम्र लम्बी होगी तो तू देखेगा के ऊँट पर सवार अकेली औरत हिरा (जगह) से चलेगी, यहाँ तक के काबा का तवाफ करेगी। और अल्लाह के अलावा उस को किसी का डर न होगा, चुनान्चे हजरत अदी (र.अ) फर्माते हैं के मैंने वह जमाना अपनी आँखों से देखा, के एक औरत हिरा से अकेली ऊँट पर सवार हो कर आई और काबा का तवाफ भी किया: उस को अल्लाह के अलावा किसी का डर न था।”
3. एक फर्ज के बारे में
जकात की फर्जियत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने हज़रत मुआज बिन जबल (र.अ) को यमन भेजते वक़्त फर्मायाः
“उन लोगों को बता देना के अल्लाह तआला ने उन पर उन के माल में ज़कात फर्ज की है।”
📕 बुखारी : १४९६, अन इन्ने अब्बास (र.अ)
वजाहत : अगर किसी के पास निसाब के बराबर माल हो, तो उसमें से जकात अदा करना फर्ज है।
4. एक सुन्नत के बारे में
कब्र में मिट्टी डालते वक़्त की दुआ
जब रसूलुल्लाह (ﷺ) ने उम्मे कुलसूम को कब्र में रखा तो पढ़ा:
“मिन्हा खलकना कुम, व फिहा नुईदुकुम, व मिन्हा नुखरिजुकुम तारतन ऊखरा”
तर्जमा: इस मिट्टी से हमने तुम को पैदा किया और इसी में हम तुम को लौटाएँगे और इसीसे हम तुमको दोबारा उठाएंगे।
📕 मुस्नदे अहमद: २१६८३, अन अबी उमामा (र.अ)
5. एक अहेम अमल की फजीलत
यतीम पर रहम करने की फ़ज़ीलत
रसुलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“कसम है उस जात की जिस ने मुझ को सच्चा दीन दे कर भेजा है। अल्लाह तआला कयामत के दिन उस शख्स (मुसलमान) को अज़ाब न देगा जिसने यतीम पर रहम किया और उस के साथ बात की और उसकी यतीमी और बेचारगी पर तरस खाया।”
📕 तबरानी औसत : ९०७३, अन अबी हुरैरह (र.अ)
6. एक गुनाह के बारे में
कंजूसी करने का गुनाह
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“जो लोग अल्लाह तआला के अता करदा माल व दौलत को खर्च करने में बुख़्ल (कंजूसी) करते हैं, वह बिल्कुल इस गुमान में न रहें के (उनका यह बूख्ल करना) उनके लिये बेहतर है, बल्के वह उन के लिये बहुत बुरा है, कयामत के दिन उनके जमा करदा माल व दौलत को तौक बना कर गले में पहना दिया जाएगा और आसमान व जमीन का मालिक अल्लाह तआला ही है और अल्लाह तआला तुम्हारे आमाल से बाखबर है।”
7. दुनिया के बारे में
नाफ़रमानों के माल व दौलत को न देखना
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“जो हम ने मुख्तलिफ काफिरों के गिरोहों को आजमाने के लिये (माल व दौलत) दे रखा है वह दुनियावी जिन्दगी की रौनक है, आप उन चीजों की तरफ नज़र उठा कर मत देखिये।”
वजाहत: नाफ़र्मानों को जो माल व दौलत मिलती है, उस को तअज्जुब और ललचाई हुई निगाह से नहीं देखना चाहिये, क्योंकि वह उनके लिये आजमाइश का जरिया है।
8. आख़िरत के बारे में
आदिल हुकुमरानों का हाल
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“कयामत के दिन इन्साफ से फैसला करने वाले को पेश किया जाएगा और उससे शिद्दत से हिसाब होगा के वह तमन्ना करेगा के वह कभी दो आदमियों के दर्मियान एक खजूर का भी फैसला न किया होता।”
📕 अल मुअजमुल औसत लित तबरानी : २७२०, अन आयशा (र.अ)
वजाहत: तरफदारी और नाइन्साफ़ी कर के फैसले करने वालों को सोचना चाहिए के कयामत के दिन इन के साथ कैसा सख्त मुआमला किया जाएगा।
9. तिब्बे नबवी से इलाज
अनार से मेअदे की सफाई
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:
“अनार को उस के अंदरूनी छिल्के समेत खाओ, क्योंकि यह मेदे को साफ़ करता है।”
📕 मुसनदे अहमद: २२७२६, अन अली (र.अ)
फायदा: अल्लामा इब्ने कय्यिम फरमाते हैं के अनार जहाँ मेअदे को साफ़ करता है,
वहीं पुरानी खांसी के लिए भी बडा मुफीद फल है।
10. नबी की नसीहत
घर वालो को सलाम करो
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“जब तम किसी घर में दाखिल हो, तो घरवालों को सलाम करो और जब तुम घर से निकलो तब भी सलाम कर के घर से निकलो।”