17. मुहर्रम | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा
17 Muharram | Sirf Paanch Minute ka Madarsa
1. इस्लामी तारीख
हजरत सालेह (अ.स) की दावत और कौम का हाल
हज़रत सालेह (अ.स) हजरत हूद (अ.स) के तकरीबन सौ साल बाद पैदा हुए। कुरआन में उन का तजकिरा ८ जगहों पर आया है। अल्लाह तआला ने उन्हें कौमे समूद की हिदायत व रहेनुमाई के लिये भेजा था। उस कौम को अपनी शान व शौकत, इज्जत व बड़ाई फख्र व गुरूर और शिर्क व बुत परस्ती पर बड़ा नाज़ था।
हजरत सालेह (अ.स) ने उन्हें नसीहत करते हुए फर्माया: “ऐ लोगो ! तुम सिर्फ अल्लाह की इबादत करो उस के सिवा कोई बन्दगी के लायक नहीं।” वह इस पैगामे हक़ को सुन कर नफरत का इजहार करने लगे और हुज्जत बाज़ी करते हुए नुबुव्वत की सच्चाई के लिये पहाड़ से हामिला ऊँटनी निकालने का मुतालबा करने लगे।
हजरत सालेह (अ.स) ने दुआ फरमाई, अल्लाह तआला ने मुअजिजे के तौर पर सख्त चटान से ऊँटनी पैदा कर दी, मगर अपनी ख्वाहिश के मुताबिक मुअजिज़ा मिलने के बाद भी इस बदबख्त कौम ने नहीं माना और कुफ्र व नाफरमानी की इस हद तक पहुँच गई के ऊँटनी को कत्ल कर डाला और इसी पर बस नहीं किया बल्के हजरत सालेह (अ.स) के कत्ल का भी मन्सूबा बना लिया।
इस जुर्मे अजीम और जालिमाना फैसले पर गैरते इलाही जोश में आई और तीन दिन के बाद एक जोरदार चीख और जमीनी जलजले ने पूरी कौम को तबाह कर डाला।
इस के बाद हजरत सालेह (अ.स) ईमानवालों के साथ फलस्तीन हिजरत कर गए।
तफ्सील में बढे :
हज़रत सालेह अलैहि सलाम | कसक उल अम्बिया
2. अल्लाह की कुदरत
दीमक
अल्लाह तआला ने बेशुमार मख्लूक़ पैदा फ़रमाई है। उन में एक अजीब नाबीना (blind) मख्लूख “दीमक” भी है। वह नाबीना होने के बावजूद सर्दी और बारिश से बचने के लिये शान्दार और मजबूत टावर नुमा घर बनाती है। जिस की ऊँचाई उन की जसामत से हजारों गुना जियादा होती है।
उन घरों के बनाने में वह मिट्टी और अपने लुआब व फ़ज्ला का इस्तेमाल करती हैं। उन के घरों में बेशुमार खाने होते हैं। जिन में भूल भूलय्याँ, छोटी छोटी नहरों के रास्ते और हवा के गुजरने का इन्तेज़ाम होता है।
आखिर बीनाई से महरूम दीमक को टावर नुमा और शान्दार घर बनाने की सलाहियत किसने अता फर्माई ? यक़ीनन यह अल्लाह ही की कारीगरी और उसी की कुदरत का करिश्मा है।
3. एक फर्ज के बारे में
इल्म हासिल करना फ़र्ज़ है
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“इल्म हासिल करना हर मुसलमान पर फर्ज है।”
📕 इब्ने माजा: २२४ , अन अनस बिन मालिक (र.अ)
वजाहत: हर मुसलमान पर इल्मे दीन का इतना हासिल करना फर्ज है के जिस से हलाल व हराम में तमीज़ कर ले और दीन की सही समझ बूझ, इबादात वगैरह के तरीके और सही मसाइल की मालूमात हो जाए।
4. एक सुन्नत के बारे में
बीवियों को सलाम करना
हज़रत उम्मे सलमा (र.अ) बयान करती हैं के आप (ﷺ) रोजाना सुबह के वक्त बीवियों के पास तशरीफ ले जाया करते थे और उन को खुद सलाम किया करते थे।
5. एक अहेम अमल की फजीलत
आफत व बला दूर होने की दुआ
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जो शख्स (Maashaa Allah Laa Quwwata illa billah) पढ़ लिया करे,
तो सिवाए मौत के अपने अहल व अयाल और माल में कोई आफत नहीं देखेगा।”
📕 तबरानी औसत: ४४१२, अन अनस (र.अ)
6. एक गुनाह के बारे में
सिफारिश पर बतौरे हदिया माल लेने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“किसी ने अपने (मुसलमान) भाई की किसी चीज़ में सिफारिश की और सिफारिश करने पर सामने वाले ने उस को कोई चीज बतौरे हदिया पेश की और उस ने कुबूल कर ली, तो वह सूद के बहुत बड़े दरवाजे पर आ पहुँचा।”
📕 अबू दाऊद: ३५४१, अन अबी उमामह (र.अ)
7. दुनिया के बारे में
गुनहगारों को नेअमत देने का मक्सद
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जब तू यह देखे के अल्लाह तआला किसी गुनहगार को उस के गुनाहों के बावजूद दुनिया की चीजें दे रहा है तो यह अल्लाह तआला की तरफ से ढील है।”
8. आख़िरत के बारे में
कयामत का होलनाक मन्जर
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“जब कानों के पर्दे फाड़ देने वाला शोर बरपा होगा, तो उस दिन आदमी अपने भाई से अपनी माँ और बाप से, अपनी बीवी और बेटों से भागेगा। उस दिन हर शख्स की ऐसी हालत होगी, जो उस को हर एक से बेखबर कर देगी।”
9. तिब्बे नबवी से इलाज
मुनक्का से पट्टे वगैरह का इलाज
हजरत अबू हिन्द दारी (र.अ) कहते हैं के :
रसूलुल्लाह (ﷺ) की खिदमत में मुनक्का का तोहफा एक बन्द थाल में पेश किया गया,
आपने उसे खोल कर इर्शाद फर्माया: “बिस्मिल्लाह” कह कर खाओ मुनकका बेहतरीन खाना है जो पटों को मजबूत करता है, पुराने दर्द को खत्म करता है, गुस्से को ठंडा करता है और मुंह की बदबू को जाइल करता है, बलगम को निकालता है और रंग को निखारता है।”
📕 तारीखे दिमश्क लि इब्ने असाकिर : ६०/२१
10. कुरआन की नसीहत
अल्लाह और उस के रसूल की इताअत करो
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“ऐ ईमान वालो! तुम अल्लाह और उस के रसूल की इताअत करो और (शरीअत के मुताबिक फैसला करने वाले) हाकिमों की भी इताअत करो।”