Contents
- 1. इस्लामी तारीख
- रसूलुल्लाह (ﷺ) की चचा अबू तालिब से गुफ्तगू
- 2. हुजूर (ﷺ) का मोजिज़ा
- हज़रत सअद (र.अ) के हक में दुआ
- 3. एक फर्ज के बारे में
- नमाज़ छोड़ने पर वईद
- 4. एक सुन्नत के बारे में
- नफा न पहुँचाने वाली नमाज़ से पनाह मांगना
- 5. एक अहेम अमल की फजीलत
- जबान और शर्मगाह की हिफाजत करना
- 6. एक गुनाह के बारे में
- बुराई से न रोकने का वबाल
- 7. दुनिया के बारे में
- रिज़्क देने वाला अल्लाह है
- 8. आख़िरत के बारे में
- जहन्नमी हथौड़े
- 9. तिब्बे नबवी से इलाज
- जख्म वगैरह का इलाज
- 10. क़ुरान की नसीहत
- अपने मालों को ज़कात के जरिये महफूज़ बनाओ
8 Rabi-ul-Akhir | Sirf Panch Minute ka Madarsa
1. इस्लामी तारीख
रसूलुल्लाह (ﷺ) की चचा अबू तालिब से गुफ्तगू
जब रसूलुल्लाह (ﷺ) लोगों की नाराजगी की परवा किये बगैर बराबर बुत परस्ती से रोकते रहे लोगों को सच्चे दीन की दावत देते रहे, तो कुरैश के सरदारों ने आप (ﷺ) के चचा अबू तालिब से शिकायत की, के तुम्हारा भतीजा हमारे माबूदों को बुरा भला कहता है, हमारे बाप दादाओं को गुमराह कहता है। जिसे हम बरदाश्त नहीं कर सकते, इस लिये या तो आप उन की हिमायत बंद कर दें या फिर आप भी उन की तरफ से फैसला कुन जंग के लिये मैदान में आजाएँ, यह सुन कर अबू तालिब घबरा गए और हुजूर (ﷺ) को बुला कर कहा मुझपर इतना बोझ न डालो, के मैं न उठा सकूँ।
चचा की जबान से यह बात सुन कर आप की आँखों में आँसू भर आए और आप (ﷺ) ने फर्माया : “चचा जान ! अल्लाह की कसम! अगर यह लोग मेरे एक हाथ में सूरज और दूसरे हाथ में चाँद ला कर रख दें, तब भी मैं अपने इस काम से बाज न आऊँगा, या तो अल्लाह का दीन जिन्दा होगा या मैं इस रास्ते में हलाक हो जाऊँगा।”
हुजूर (ﷺ) की इस गुफ्तगू का अबू तालिब पर बड़ा असर हुआ, चुनान्चे उन्होंने कहा: “जिस तरह चाहो तब्लीग करो,मैं तुम्हें किसी के हवाले नहीं करूँगा।” अबू तालिब का यह जवाब सुन कर कुफ्फारे मक्का मायूस होकर चले गए।
2. हुजूर (ﷺ) का मोजिज़ा
हज़रत सअद (र.अ) के हक में दुआ
आप (ﷺ) ने हजरत सअद (र.अ) के हक में दुआ फरमायी :
“ऐ अल्लाह ! सअद की दुआएँ क़बूल फर्मा।”
(इस का असर यह हुआ के हजरत सअद (र.अ) जो दुआ माँगते थे वह कबूल हो जाती थी।)
3. एक फर्ज के बारे में
नमाज़ छोड़ने पर वईद
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“नमाज का छोड़ना मुसलमान को कुफ़ व शिर्क तक पहुँचाने वाला है।”
4. एक सुन्नत के बारे में
नफा न पहुँचाने वाली नमाज़ से पनाह मांगना
हजरत अनस (र.अ) का बयान है के
रसूलुल्लाह (ﷺ) यह दुआ फरमाते थे :
तर्जुमा : ऐ अल्लाह! मैं तेरी पनाह चाहता है उस नमाज से जो नफा न पहुँचाती हो।
5. एक अहेम अमल की फजीलत
जबान और शर्मगाह की हिफाजत करना
रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जो शख्स मुझे अपनी ज़बान और शर्मगाह की हिफाजत की जमानत दे दे मैं उसके लिये जन्नत की जमानत लेता हूँ।”
6. एक गुनाह के बारे में
बुराई से न रोकने का वबाल
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“जो क़ौमें तुम से पहले हलाक हो चुकी हैं, उन में ऐसे समझदार लोग न हुए, जो लोगों को मुल्क में फसाद फैलाने से मना करते, सिवाए चन्द लोगों के जिन को हमने अज़ाब से बचा लिया।”
खुलासा: मतलब यह है के हर एक के लिये भलाई का हुक्म और बुराई से रोकना ज़रूरी है वरना अज़ाब में मुब्तला कर दिया जाएगा।
7. दुनिया के बारे में
रिज़्क देने वाला अल्लाह है
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“ज़मीन पर चलने फिरने वाला कोई भी जानदार ऐसा नहीं के जिस की रोजी अल्लाह के ज़िम्मे न हो।”
8. आख़िरत के बारे में
जहन्नमी हथौड़े
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“अगर जहन्नम के लोहे के हथौड़े से पहाड़ को मारा जाए, तो वह रेजा रेजा हो जाएगा, फिर वह पहाड़ दोबारा अपनी असली हालत पर लौट आएगा।”
9. तिब्बे नबवी से इलाज
जख्म वगैरह का इलाज
हजरत आयशा (र.अ) फ़र्माती हैं :
अगर किसी को कोई ज़ख्म हो जाता या दाना निकल आता, तो । आप (ﷺ) अपनी शहादत की उंगली को (थूक के साथ) मिट्टी में रख कर यह दुआ पढ़ते:
तर्जमा: अल्लाह के नाम से हमारी जमीन की मिट्टी हम में से किसी के थूक के साथ मिली हुई लगाता हूँ, (ताके) हमारे रब के हुक्म से हमारा मरीज़ अच्छा हो जाए।
10. क़ुरान की नसीहत
अपने मालों को ज़कात के जरिये महफूज़ बनाओ
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“अपने मालों को ज़कात के जरिये महफूज़ बनाओ और अपने बीमारों का सदके से इलाज करो और अल्लाह तआला सामने आजिजी से इस्तकबाल करो।”
Discover more from उम्मते नबी ﷺ हिंदी
Subscribe to get the latest posts sent to your email.