Contents
- 1. इस्लामी तारीख
- पहली वही के बाद हुजूर (ﷺ) की हालत
- 2. अल्लाह की कुदरत
- हाथी में अल्लाह की क़ुदरत
- 3. एक फर्ज के बारे में
- कयामत के दिन सब से पहले नमाज़ का हिसाब होगा
- 4. एक सुन्नत के बारे में
- मिस्वाक दाँतों की चौड़ाई में करना
- 5. एक अहेम अमल की फजीलत
- तीन आदमी अल्लाह की जमानत में है
- 6. एक गुनाह के बारे में
- जकात न देने का गुनाह
- 7. दुनिया के बारे में
- दुनिया को मक़सद बनाने का अंजाम
- 8. आख़िरत के बारे में
- कयामत के दिन पहाड़ों का हाल
- 9. तिब्बे नबवी से इलाज
- बुखार व दीगर बीमारियों से नजात
- 10. क़ुरान की नसीहत
- गुनाह और जुल्म व ज्यादती की बातें न करो
5 Rabi-ul-Akhir | Sirf Panch Minute ka Madarsa
1. इस्लामी तारीख
पहली वही के बाद हुजूर (ﷺ) की हालत
गारे हिरा में हुजूर (ﷺ) को नुबुव्वत मिलने और वही उतरने का जो वाकिआ पेश आया था, वह जिंदगी का पहला वाकिआ था, इस लिये फितरी तौर पर आप को घबराहट महसूस हुई और इसी हालत में घर तशरीफ़ लाये और कहा के “मुझे चादर उढा दो मुझे चादर उदा दो” चुनान्चे हज़रत ख़दीजा (र.अ.) ने चादर उढ़ा दी और आप लेट गए।
जब कुछ देर के बाद सुकून हुआ, तो सारा वाकीआ आप (ﷺ) ने हज़रत ख़दीजा (र.अ.) से बयान फ़रमाया। वह आप की जानिसार और अकलमन्द बीवी थीं, उन्होंने आप (ﷺ) को तसल्ली दी और कहा के आप नेकी करते हैं, सद्का देते हैं, जरूरतमंदों को खाना खिलाते हैं। अल्लाह तआला आप को हरगिज़ जाया नहीं करेगा।
फिर वह अपने चचाजाद भाई वरका बिन नौफल के पास ले गई, वह तौरात व इन्जील के बड़े आलिम थे। उनसे सारा वाकिआ बयान किया। उन्होंने कहा के खदीजा! यह तो वही फरिश्ता है जो हजरत मूसा (अ.स) के पास आया करता था और यह इस उम्मत के नबी है। काश ! मैं उस वक्त तक जिन्दा रहूं जब क़ौम इन को निकाल देगी ताके मैं मदद करूं। हुजूर (ﷺ) ने फर्माया : “क्या मेरी कौम मुझे मक्का से निकाल देगी? वरका बिन नौफल ने कहा : हाँ! जो नबी आए हैं, उनके साथ क़ौम ने इसी तरह का मामला किया है।
2. अल्लाह की कुदरत
हाथी में अल्लाह की क़ुदरत
अल्लाह तआला ने दीगर जानवरों के मुकाबले में हाथी को बड़ा डील डोल और जबरदस्त ताक़त अता फ़रमाई है, उस के पैर मज़बूत इमारत के चार सुतून की तरह मजबूत दिखाई देते हैं, कान बड़े पंखे, की तरह मालूम होते हैं।
आँखें आम जानवरों से भी छोटी होती हैं, सब से ज़्यादा अनोखी चीज़ उस की सूंढ़ है जिसकी मदद से वह उन पहाड़ी जंगलात में जहाँ मशीनें और क्रेन नहीं जा सकती, वहाँ उन की जिस्मानी ताकत और सूंढ़ की मदद से बड़े बड़े दरख्तों को उखाड़ लिया जाता है।
आखिर इंसान की ज़रूरत पूरी करने के लिये अल्लाह तआला ने अपनी कुदरत से कैसे कैसे जानवर पैदा किये।
3. एक फर्ज के बारे में
कयामत के दिन सब से पहले नमाज़ का हिसाब होगा
नमाज़ की सेहत पर रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“कयामत के दिन सब से पहले नमाज़ का हिसाब होगा, अगर नमाज़ अच्छी हुई तो बाकी आमाल भी अच्छे होंगे और अगर नमाज़ खराब हुई तो बाकी आमाल भी खराब होंगे।”
4. एक सुन्नत के बारे में
मिस्वाक दाँतों की चौड़ाई में करना
रबीआ बिन अकसम (र.अ.) फ़रमाते हैं के:
“रसूलुल्लाह (ﷺ) दांतों की चौड़ाई में (यानी दाएँ से बाएँ और बाएँ से दाएँ) मिस्वाक फरमाते थे।”
5. एक अहेम अमल की फजीलत
तीन आदमी अल्लाह की जमानत में है
रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:
“तीन आदमी की अल्लाह ने जमानत ले रखी है, अगर वह जिन्दा रहें तो बक्रद्रे जरूरत रोजी मिलती है और अगर वफात पा जाएं तो अल्लाह तआला जन्नत में दाखिल फ़र्माता है (एक वह) जो घर में दाखिल होते वक़्त सलाम करे तो अल्लाह तआला उस का जामिन है, (दूसरा वह) जो मस्जिद गया, तो अल्लाह तआला उसका जामिन है, (तीसरा) राहे ख़ुदा में निकलने वाले का अल्लाह तआला जामिन है।”
6. एक गुनाह के बारे में
जकात न देने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“जकात का अदा न करने वाला क़यामत के दिन जहन्नम में जाएगा।”
7. दुनिया के बारे में
दुनिया को मक़सद बनाने का अंजाम
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जो शख्स अल्लाह का हो जाता है, तो अल्लाह तआला उस की जरूरियात का कफील बन जाता है और उस को ऐसी जगह से रोज़ी पहुंचाता है जहाँ से उस का वहम व गुमान भी नहीं होता।
और जो शख्स मुकम्मल तौर पर दुनिया की तरफ झुक जाता है, तो अल्लाह तआला उसे दुनिया के हवाले कर देता है।”
8. आख़िरत के बारे में
कयामत के दिन पहाड़ों का हाल
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है:
“लोग आपसे पहाड़ों के बारे में सवाल करते हैं। तो आप (ﷺ) फ़र्मा दीजिये के मेरा रब उन को बिल्कुल उड़ा देगा, फिर वह जमीन को हमवार मैदान कर देगा, तुम उस में कोई टेढ़ापन और बुलन्दी नहीं देखोगे।”
9. तिब्बे नबवी से इलाज
बुखार व दीगर बीमारियों से नजात
हज़रत इब्ने अब्बास (र.अ.) फ़रमाते हैं के :
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने सहाबा-ए-किराम को बुखार और दूसरी तमाम बीमारियों से नजात के लिये यह दुआ बताई:
तर्जमा : मैं अल्लाह के नाम से शुरू करता हूँ जो बहुत बड़ा है, मैं बहुत ही ज्यादा अज़मत वाले अल्लाह की पनाह माँगता हूँ, हर जोश मारने वाली रग की बुराई से और आग की गर्मी की बुराई से।
10. क़ुरान की नसीहत
गुनाह और जुल्म व ज्यादती की बातें न करो
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“ऐ ईमान वालो! जब तुम आपस में खुफिया बातें करो, तो गुनाह और जुल्म व ज्यादती और रसुल की नाफ़रमानी की बातें न किया करो, बलके भलाई और परहेजगारी की बातें किया करो और अल्लाह से डरते रहो, जिसके पास तुम सब जमा किये जाओगे।”
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