21. मुहर्रम | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा
21 Muharram | Sirf Paanch Minute ka Madarsa
1. इस्लामी तारीख
हजरत इब्राहीम (अ.स) को सज़ा देने की तजवीज़
हजरत इब्राहीम (अ.स) की दावते तौहीद की खबर आहिस्ता आहिस्ता बादशाह नमरूद को भी पहुँच गई, जिसने खुदाई का दावा कर रखा था। बादशाह ने हजरत इब्राहीम (अ.स) को तलब किया। मगर इस अजीम पैगम्बर ने वहाँ भी अल्लाह तआला की वहदानियत और उसकी सिफात को खूब अच्छी तरह वाजेह किया, जिस से बादशाह लाजवाब हो गया और दुश्मनी पर उतर आया।
अब वालिद, कौम और बादशाहे वक़्त ने मिलकर उन्हें सजा देने की तदबीर की और बादशाह के मश्वरे पर कौम के लोगों ने एक खास जगह में कई रोज़ तक आग दहकाई जिसके शोलों से आसपास की चीजें झुलसने लगीं। जब लोगों को यकीन हो गया के हजरत इब्राहीम (अ.स) इस आग से जिन्दा बच कर हरगिज नहीं निकल सकेंगे तो उन को उस आग में डाल दिया।
मगर अल्लाह रब्बुल आलमीन की मदद और उस की जबरदस्त ताकत के सामने उन कम अक्लों की तदबीरें कहाँ चल सकती थीं। अल्लाह तआला ने आग को हुक्म दिया के ऐ आग! तू इब्राहीम पर सलामती के साथ ठंडी हो जा।
आग शोलों और अंगारों के बावजूद उसी वक्त उन के हक में ठंडी हो गई और हजरत इब्राहीम (अ.स) उस में सही व सालिम रहे। इस कुदरते खुदावन्दी और मुअजिजे को देखने के बाद भी लोगों ने ईमान कुबूल नहीं किया, तो हज़रत इब्राहीम (अ.स) ने हिजरत का इरादा फ़र्मा लिया और हज़रत सारा और अपने भतीजे हजरत लूत को लेकर फलस्तीन, नायलस और मिन्न वगैरह की तरफ हिजरत कर गए, इस दौरान दीन की दावत का फरीजा भी अन्जाम देते रहे।
तफ्सील में बढे :
हज़रत इब्राहीम अलैहि सलाम | कसक उल अम्बिया
2. अल्लाह की कुदरत
मोती की पैदाइश
मोती बहुत ही क्रीमती पत्थर होता है, जो सीप के अन्दर बनता है।
जब सीप के अन्दर मोती बनने वाला मादा पहुँचता है, तो उस पर चमकदार रंगों वाले केलशियम कारबोनेट की तह चढ़ना शुरू हो जाती है, यह माददा मोती बनाने में अहम किरदार अदा करता है, इसकी मदद से चंदमाह में चमकदार कीमती और खुबसूरत मोती बन जाता है, आखिर समन्दर की गहरी तहों में बंद सीप के अंदर इतना कीमती मोती कौन बनाता है?
बिला शुबा गहरे समन्दर में सीप के अंदर मोती का पैदा करना अल्लाह तआला की जबरदस्त कुदरत है।
3. एक फर्ज के बारे में
माँ बाप के साथ अच्छ सुलूक करना
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:
“हम ने इन्सान को अपने माँ बाप के साथ अच्छा सुलूक करने का हुक्म दिया है, उस की माँ ने बड़ी मशक्कत के साथ पेट में रखा और बड़ी तकलीफ के साथ उसको जना है।”
4. एक सुन्नत के बारे में
हदिया कबूल करना
हजरत आयशा (र.अ) बयान करती है:
रसूलुल्लाह (ﷺ) हदिया कबूल फर्माते थे और उसका बदला भी इनायत फर्माते थे।
5. एक अहेम अमल की फजीलत
जिक्र करने वाला जिन्दा है
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जो शख्स अपने रब का जिक्र करे और जो अल्लाह का जिक्र न करे। उसकी मिसाल जिन्दा और मुर्दे की तरह है (यानी जिक्र करने वाला जिन्दा है और जिक्र न करने वाला मुर्दे की तरह है)।”
📕 बुखारी: ६४०७, अन अबी मूसा (र.अ)
6. एक गुनाह के बारे में
ईमान वालों को तकलीफ देने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जिस शख्स ने किसी मुसलमान को तकलीफ दी, उस ने मुझे तकलीफ पहुँचाई और जिसने मुझे तकलीफ पहुँचाई उसने अल्लाह को तकलीफ पहुँचाई।”
📕 मोअजमे औसत लित्तबरानी : ३७४५
7. दुनिया के बारे में
इस्तिग्ना इन्सान को महबूब बना देता है
एक शख्स ने रसूलुल्लाह (ﷺ) से अर्ज किया :
ऐ अल्लाह के रसूल ! मुझे कोई ऐसा अमल बंता दीजिये जिसको मैं करूं
ताके अल्लाह तआला और लोग मुझसे मुहब्बत करने लगें।
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“दुनिया से मुँह मोड़ लो, तो अल्लाह तुम से मुहब्बत करने लगेगा और जो लोगों के पास है। (यानी माल व दौलत) उससे बेरूखी इख्तियार कर लो, तो लोग तुमसे मुहब्बत करने लगेंगे।”
📕 इब्ने माजा : ४१०२, अन सहल बिन सअद (र.अ)
8. आख़िरत के बारे में
अहले जहन्नम की फरियाद
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
दोज़ख़ी फरियाद करते हुए कहेंगे:
“ऐ हमारे परवरदिगार! हमें इस जहन्नम से निकाल कर (दुनिया में भेज दीजिये) फिर अगर दोबारा हम ऐसे गुनाह करें, तो हम कुसूरवार और सजा के मुस्तहिक होंगे।”
अल्लाह तआला फर्माएगा:
“तुम इसी जहन्नम में फिटकारे हुए पड़े रहो मुझसे बात मत करो।”
9. तिब्बे नबवी से इलाज
जुकाम का इलाज
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“तुम लोग मरजन्जूश को सूंघा करो, क्यों कि यह जुकाम के लिए मुफीद है।”
📕 कन्जुल उम्माल: १७३४१सुनन कुब्रा लिल बैहकी:३४६/९
नोट: अल्लामा इब्ने कय्यिम फर्माते हैं के इस की खुश्बू जुकाम की बंदिश को खोल देती है। इस से जमा हुआ नज्ला पतला हो कर बह जाता है और फेफड़ों पर जमा हुआ बल्गम निकल जाता है, नीज़ इस में दुसरे भी बहुत से फवाइद हैं।
10. कुरआन की नसीहत
सब मिल कर अल्लाह की रस्सी को मजबूत पकड़े रहो
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“तुम सब मिल कर अल्लाह की रस्सी को मजबूत पकड़े रहो (यानी कुरआन करीम के बताए हए तरीके और रास्ते पर चलो) और आपस में नाइत्तेफाक्री मत करो (अगर तुम नाइत्तेफाक्री की वजह से आपस में बिखर गए तो दुश्मन के मुकाबले में तुम नाकाम हो जाआगे और तुम्हारी कुव्वत व ताकत खत्म हो जाएगी)।”