सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा
5 Minute Ka Madarsa in Hindi
- इस्लामी तारीख: शेख अब्दुल कादिर जीलानी (रह.)
- हुजूर (ﷺ) का मुअजीजा: एक प्याला खाने में बरकत
- एक फर्ज के बारे में: कर्ज अदा करना
- एक सुन्नत के बारे में: इस्मे आज़म के साथ दुआ
- एक अहेम अमल की फजीलत: लोगों के साथ नर्मी से पेश आना
- एक गुनाह के बारे में: सच्ची गवाही को छुपाना
- दुनिया के बारे में : दुनिया चाहने वालों का अन्जाम
- आख़िरत के बारे में: कब्र का अज़ाब बरहक है
- तिब्बे नबवी से इलाज: कलोंजी में हर बीमारी का इलाज है
- नबी (ﷺ) की नसीहत: सलाम करने आदाब
इस्लामी तारीख:
शेख अब्दुल कादिर जीलानी (रह.)
शेख अब्दुल कादिर जीलानी (रह.) की विलादत बा सआदत ईरान के शहर गीलान में सन ४७० हिजरी में हुई, आप हजरत हसन की नस्ल से हैं, जब अठारा साल के हुए तो इल्मे दीन का मरकज बगदाद इल्म हासिल करने के लिए तशरीफ़ लाए, दुनिया उन के इल्म व फजल और तकवाह के कायल है, अल्लाह तआला ने आप की ज़बान में बड़ी तासीर दी थी,कोई मजलिस ऐसी ना होती, जिस में यहूदी या ईसाई इस्लाम कबूल न करते हों और बहुत से लोग फ़िस्क व फुजूर से तौबा न करते हों।
हजरत अब्दुल कादिर जीलानी बड़े मुत्तक़ी और परहेज़गार थे, उन के जमाने में लोग दुनिया की तरफ ऐसे मुतवज्जेह हो गए थे जैसे उन्हें आखिरत की तरफ़ जाना ही नहीं है, चुनांचे आप के वाज़ व नसीहत की वजह से लोगों ने आखिरत की तय्यारी का रुख किया। सन ५६१ हिजरी में नब्वे साल की उम्र में आप ने वफ़ात पाई।
आपके बारे में तफ्सील जानकारी के लिए यहाँ देखे:
शैख़ अब्दुल कादिर (रह.) की मुख़्तसर सीरत और आपके अक़वाल
[ इस्लामी तारीख ]
हुजूर (ﷺ) का मुअजीजा:
एक प्याला खाने में बरकत
हज़रत समुरह बिन जुन्दुबई (र.अ) फ़र्माते हैं के:
“एक मर्तबा रसूलुल्लाह (ﷺ) के पास कहीं से एक प्याला आया जिस में खाना था, तो उस को आपने सहाबा को खिलाया, एक जमात खाना खा कर फ़ारिग होती फिर दूसरी जमात बैठती, यह सिलसिला सुबह से जोहर तक चलता रहा, एक आदमी ने हज़रत समुरह (र.अ) से पूछा क्या खाना बढ़ता था, तो हज़रत समुरह (र.अ) ने फर्माया : इस में तअज्जुब की क्या बात है, खाना आस्मान से उतरता था।“
[ बैहकी फी दलाइलिन्नुबुह : २३४२ ]
एक फर्ज के बारे में:
कर्ज अदा करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : “कर्ज की अदाइगी पर ताकत रखने के बावजूद टाल मटोल करना जुल्म है।”
फायदा: अगर किसी ने कर्ज़ ले रखा है और उस के पास कर्ज अदा करने के लिए माल है, तो फिर कर्ज,
अदा करना ज़रूरी है, टाल मटोल करना जाइज नहीं है।
[ बुखारी : २४००, अन अबू हुरैरह (र.अ) ]
एक सुन्नत के बारे में:
इस्मे आज़म के साथ दुआ
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने एक शख्स को दुआ मांगते हुए सुना तो फ़र्माया :
तुम ने इस्मे आजम के साथ दुआ मांगी है के उस के साथ जो भी सवाल व दुआ की जाती है वह पूरी की जाती है, वह इस्मे आज़म यह है –
“Allahu la ilaha illa hu al ahad’us samad’ulladhee lam yalid walam yulad wa lam yakun lahu kufuwan ahad”
[ तिर्मिज़ी : ३४७५, अन बुरैदा (र.अ) ]
एक गुनाह के बारे में:
सच्ची गवाही को छुपाना
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“तुम गवाही मत छुपाया करो और जो शख्स इस (गवाही) को पाएगा, तो बिला शुबा उस का दिल गुनहगार होगा और अल्लाह तआला तुम्हारे किए हुए कामों को खूब जानता है।”
दुनिया के बारे में :
दुनिया चाहने वालों का अन्जाम
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“जो कोई दुनिया ही चाहता है, तो हम उस को दुनिया में जितना चाहते हैं, जल्द देते हैं फिर हम उस के लिए दोजख मुकर्रर कर देते हैं, जिस में (ऐसे लोग कयामत के दिन) जिल्लत व रुसवाई के साथ ढकेल दिए जाएंगे।”
आख़िरत के बारे में:
कब्र का अज़ाब बरहक है
रसूलुल्लाह (ﷺ) दो कब्रों के करीब से गुजरे, आप ने फ़र्माया :
“इन दो कब्र वालों को अज़ाब हो रहा है, इन्हें किसी बड़े गुनाह की वजह से अज़ाब नहीं दिया जा रहा है, इन में से एक तो पेशाब (के छींटों) से नहीं बचता था और दूसरा चुगलखोरी किया करता था।”
वजाहत: इस हदीस से मालूम हुआ के कब्र का अज़ाब बरहक है और इन्सानों को अपने गुनाहों की सजा कब्र से ही मिलनी शुरू हो जाती है।
[ बुखारी: २१८. अन इब्ने अब्बास (र.अ) ]
तिब्बे नबवी से इलाज:
कलोंजी में हर बीमारी का इलाज है
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“तुम इस कलोंजी को इस्तेमाल करो, क्यों कि इस में मौत के अलावा हर बीमारी की शिफ़ा मौजूद है।”
फायदा: अल्लामा इब्ने कय्यिम फर्माते हैं : इस के इस्तेमाल से उफारा (पेट फूलना) खत्म हो जाता है, बलगमी बुखार के लिए नफ़ा बख्श है, अगर इस को पीस कर शहद के साथ माजून बना लिया जाए और गर्म पानी के साथ इस्तेमाल किया जाए, तो गुर्दे और मसाने की पथरी को गला कर निकाल देती है।
[ बुखारी: ५६८७,अन आयशा (र.अ) ]
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