इस्तिगफार की बेशुमार बरकतें

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“जो शख्स पाबंदी के साथ इस्तिगफ़ार करेगा, अल्लाह तआला हर तंगी में उस के लिए आसानी पैदा करेगा, उसे हर गम से नजात दिलाएगा और उसे ऐसी जगह से रिज्क अता करेगा, जहां से उस को वहम व गुमान भी नहीं होगा।”

📕 अबू दाऊद : १५१८, इब्ने अब्बास (र.अ)

ज़िना की कसरत और नाप तौल में कमी करने का वबाल

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“जिस कौम में ज़िना आम होता है, उस में ताऊन और ऐसी बीमारियां फ़ैल जाती हैं जो पहले नहीं थीं और जो लोग नाप तौल में कमी करते हैं, तो वह लोग कहत साली, परेशानियों और बादशाह (हुकुमरानों) के जुल्म के शिकार हो जाते हैं।”

📕 इब्ने माजा: ४०१९

अल्लाह तआला पूरी कायनात का रब है

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“सुन लो ! अल्लाह तआला ही का काम है पैदा करना और हुक्म चलाना, वह बड़े कमालात वाला अल्लाह है, जो तमाम आलम का पर्वरदिगार है।” 

📕 सूर-ए-आराफ़ : ५४

खुलासा: पूरी दुनिया का रब अल्लाह तआला के अलावा कोई नहीं है। लिहाजा हमारे लिए जरूरी है के हम उस पर ईमान लाएँ और उस का हुक्म मानें।

सदका-ए-जारिया, नफ़ाबख्श इल्म और नेक औलाद की फ़ज़ीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“जब आदम की औलाद का इंतकाल होता है, तो तीन कामों के अलावा उस के अमल का सिलसिला खत्म हो जाता है : (१) सदका-ए-जारिया (२) वह इल्म जिस से लोग फायदा उठाएँ (३) ऐसी नेक औलाद जो उस के लिये दुआ करती रहे।”

📕 मुस्लिम : ४२२३

दुनिया से बेरगबती रखने वाले मोमिन से दोस्ती करो

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“जब तुम किसी ऐसे मोमिन को देखो जिसे दुनिया से बेरगबती और कम बोलने की दौलत दी गई है तो तुम उस के पास रहा करो, इस लिये के वह हिकमत की बातें करता है।”

📕 तबरानी औसत : १९५६, अन अबी हुरैरह (र.अ)

जन्नत में दाखिल करने वाले आमाल

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“अल्लाह तआला की इबादत करते रहो, खाना खिलाते रहो और सलाम फैलाते रहो, (इन आमाल की वजह से जन्नत में सलामती के साथ दाखिल हो जाओगे।”

📕 तिर्मिज़ी : १८५५, अब्दुल्लाह बिन अम्र (र.अ)

पाक दामन औरतों पर तोहमत लगाने का गुनाह

क़ुरान में अल्लाह तआला फ़रमाता है –

“जो लोग पाक दामन औरतों पर (ज़िना की) तोहमत लगाते हैं, फिर अपने दावे पर चार गवाह न ला सकें, तो ऐसे लोगों को अस्सी कोड़े लगाओ और आइन्दा कभी उन की गवाही कबूल न करो और यह लोग (सख्त) गुनहगार हैं, मगर जो लोग इस तोहमत के बाद तौबा कर लें और अपनी इस्लाह कर लें, तो बेशक अल्लाह तआला बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है।”

📕 सूरह नूर : ४ ता ५

नमाज़े गुनाहों को मिटा देती हैं

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने सहाबा से पूछा:

“अगर किसी के दरवाजे पर एक नहर हो और उसमें वह हर रोज़ पाँच बार गुस्ल किया करे, तो क्या उसका कुछ मैल बाकी रह सकता है? सहाबा ने अर्ज किया  के कुछ भी मैल न रहेगा।”

आप (ﷺ) ने फर्माया के :

यही हालत है पाँचों वक्त की नमाज़ों की, के अल्लाह तआला उनके सब बगुनाों को मिटा देता है।”

📕 बुखारी: ५२८, अन अबी हुरैरह (र.अ)

पड़ोसी के साथ अच्छा सुलूक करना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“अल्लाह के नज़दीक बेहतरीन साथी (दोस्त) वह है, जो अपने साथी के लिये बेहतर हो और अल्लाह के नज़दीक बेहतरीन पड़ोसी वह है जो अपने पड़ोसी के हक़ में अच्छा हो।”

📕 तिर्मिज़ी : १९४४

जहन्नमियों का खाना

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“जहन्नम वालों का आज न कोई दोस्त होगा और न कोई खाने की चीज़ नसीब होगी, सिवाए जख्मों के धोवन के जिस को बड़े गुनहगारों के सिवा कोई न खाएगा।

📕 सूरह हाक्का : ३५ ता ३७


“दोज़खियों को खौलते हुए चश्मे का पानी पिलाया जाएगा, उन को कांटेदार दरख्त के अलावा कोई खाना नसीब न होगा, जो न मोटा करेगा और न भूक को दूर करेगा।”

📕 सूर-ए-गाशीया: ५ ता ७

नींद न आने का इलाज

हजरत जैद बिन साबित (र.अ) ने हुजूर (ﷺ) से नींद न आने की शिकायत की,
तो आप (ﷺ) ने फ़र्माया: यह पढ़ा करो:

तर्जमा : ऐ अल्लाह ! सितारे छुप गए और आँखें पुर सुकून हो गईं, तूह मेशा जिन्दा और कायम रहने वाला है, ऐ हमेशा जिन्दा और कायम रहने वाले! मेरी आंख को सुला दे और मेरी रात को पुर सुकून बना।

📕 मुअजमेल कबीर लित तबरानी: ४६८३

दुनिया की जाहिरी हालत धोका है

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“यह लोग सिर्फ दुनियावी ज़िंदगी की ज़ाहिरी हालत को जानते हैं और यह आख़िरत से बिल्कुल ग़ाफिल हैं।” (यानी इन्सान सिर्फ दुनिया की चीजों को जानते और उसी को हासिल करने की फिक्र में लगे रहते हैं, उन्हें पता ही नहीं है के इस के बाद दूसरी जिंदगी आने वाली है और वह हमेशा हमेशा की जिंदगी है, लिहाजा दुनिया में लगने के बजाए आखिरत की तय्यारी में मशगूल रहना चाहिये।)”

📕 सूरह रूम : ७

अल्लाह से मुहब्बत

रसूल अल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“अल्लाह तआला से मुहब्बत रखो, इस वजह से के वह तूमको खाने के लिये अपनी नेअमतें देता है और मुझ से मुहब्बत रखो, इस वजह से के अल्लाह तआला को मुझ से मुहब्बत है।”

📕 तिर्मिज़ी: ३७८९

सिरका के फवाइद

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:

“सिरका क्या ही बेहतरीन सालन है।”

📕 मुस्लिम: ५३५०, अन आयशा रज़ि०

फायदा : मुहद्दिसीन हज़रात कहते हैं के सिरका तिल्ली के बढ़ने को रोकता है, जिस्म में वरम नहीं होने देता, खाने को हज़म करता है, खून को साफ करता है, फोड़े फुन्सियों को दूर करता है। [अलइलाजुन नबी]

दुनिया में उम्मीदों का लम्बा होने का फितना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:

“मुझे अपनी उम्मत पर सब से ज़ियादा डर ख्वाहिशात और उम्मीदों के बढ़ जाने का है, ख्वाहिशात हक़ से दूर कर देती हैं और उम्मीदों का लम्बा होना आखिरत को भुला देता है, यह दुनिया भी चल रही है और हर दिन दूर होती चली जा रही है और आखिरत भी चल रही है और हर दिन करीब होती जा रही है।”

(यानी हर वक़्त ज़िन्दगी कम होती जा रही है और मौत करीब आती जा रही है, इसलिये आखिरत की तैयारी में लगे रहना चाहिए)

📕 कंजुल उम्माल : ४३७५८

दुनियावी ख्वाहिशों को पूरा करने का अंजाम

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“जो शख्स दुनिया में अपनी ख्वाहिशों को पूरा करता है, वह आखिरत में अपनी ख्वाहिशात के पूरा करने से महरूम होता है।”

📕 बैहाकि फी शोअबिल ईमान : ९३९०

नोट: अपनी तमाम चाहतों को इसी में पूरी करने की कोशिश नहीं करनी चाहिये वरना आखिरत में महरूम हो जाएगा।

क़यामत में झूटे खुदाओं की बेबसी

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :

जिसको तुम अल्लाह के सिवा पुकारते हो, वह खजूर की गुठली के एक छिलके का भी इख्तियार नहीं रखते, अगर तुम उनको पुकारो भी, तो वह तुम्हारी पुकार सुन भी नहीं सकते और अगर (बिलफर्ज़) सुन भी लें तो तुम्हारी ज़रूरत पूरी न कर सकेंगे और कयामत के दिन तुम्हारे शिर्क की मुखालफत व इन्कार करेंगे।”

📕 सूरह फातिर १३ ता १४

हर मामले में इंसाफ करो

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :

” ऐ ईमान वालो ! अल्लाह तआला के लिये सच्चाई पर कायम रहने वाले और इन्साफ के साथ शहादत (गवाही) देने वाले बन जाओ और किसी कौम की दुश्मनी तुम्हें इस बात पर आमादा न कर दे, के तुम इन्साफ न करो (बल्कि हर मामले में) इंसाफ करो, यह परहेजगारी के ज्यादा करीब है और अल्लाह तआला से डरते रहो बेशक जो कुछ तुम करते हो अल्लाह तआला उसे बाखबर है।”

📕 सूर-ए-मायदा : ८

अहेद और कस्मों को तोड़ने का गुनाह

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“यक़ीनन जो लोग अल्लाह तआला से अहेद कर के उस अहेद को और अपनी क़स्मों को थोड़ी सी कीमत पर फरोख्त कर डालते हैं, तो ऐसे लोगों का आखिरत में कोई हिस्सा नहीं और न अल्लाह तआला उनसे बात करेगा और न कयामत के दिन (रहमत की नज़र से) उनकी तरफ देखेगा और न उन को पाक करेगा और उन के लिये दर्दनाक अजाब होगा।”

📕 सूरह आले इमरान : ७७

किसी के वालिदैन को बुरा भला कहने का गुनाह

रसूलुल्लाह (ﷺ) फरमाते है :

“(शिर्क के बाद) कबीरा गुनाहों में सबसे बड़ा गुनाह यह है के आदमी अपने वालिदैन पर लानत करें”

पूछा गया : ऐ अल्लाह के रसूल! आदमी अपने वालिदैन पर कैसे लानत करेगा?

इर्शाद फ़रमाया :
“वह दूसरे के वालिदैन को बुरा भला कहे फिर वह आदमी उस के वालिदैन को बुरा भला कहे।”

📕 बुखारी : ५९७३

सूद खाने का अजाब

रसूलुल्लाह (ﷺ) फ़रमाते हैं के :

“मेराज की शब मेरा गुजर चंद ऐसे लोगों पर हुआ जिन के पेट धड़ों के मानिन्द बड़े बड़े थे, जिस में सांप थे, जो पेट के बाहर से नजर आते थे, मैं ने हज़रत जिब्रईल से पूछा: यह कौन लोग हैं? तो फ़रमाया: यह सूद खाने वाले हैं।”

📕 इब्ने माजाः २२७३

इस्मे आजम का वजीफा

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने एक शख्स को दुआ मांगते हुए सुना तो फ़र्माया :

तुम ने इस्मे आजम के साथ दुआ मांगी है के उस के साथ जो भी सवाल व दुआ की जाती है वह पूरी की जाती है, वह इस्मे आज़म यह है –

“Allahu la ilaha illa hu al ahad’us samad’ ulladhee lam yalid walam yulad wa lam yakun lahu kufuwan ahad”

📕 तिर्मिज़ी : ३४७५, अन बुरैदा (र.अ)

जमीन पर अकड़ कर मत चलो

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“जमीन पर अकड़ कर मत चलो (क्योंकि) तुम न तो जमीन को फाड़ सकते हो और ना तन कर चलने से पहाड़ों की बुलन्दी तक पहुँच सकते हो।”

📕 सूरह बनी इस्माईल : ३७

मुजिजात को न मानने का गुनाह

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“जब उन के रसूल उन के पास खुली हुई दलीलें ले कर आए, तो वह लोग अपने उस दुनियावी इल्म पर नाज़ करते रहे, जो उन्हें हासिल था, आखिरकार उनपर वह अज़ाब आ पड़ा जिस का वह मज़ाक़ उड़ाया करते थे।”

📕 सूरह मोमिन : ८३

वजू के दरमियान की दुआ

रसूलुल्लाह (ﷺ) वुजू के दौरान यह दुआ पढ़ते थे:

तर्जमा : ऐ अल्लाह ! मेरे गुनाहों को माफ़ फ़र्मा और मेरे घर में वुसअत और रिज्क में बरकत अता फ़र्मा।

📕 सुनन ऐ कुबरा नसाई: ९९०८, अन अबी मूसा (र.अ)

कयामत के दिन सब से पहले नमाज़ का हिसाब होगा

नमाज़ की सेहत पर रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“कयामत के दिन सब से पहले नमाज़ का हिसाब होगा, अगर नमाज़ अच्छी हुई तो बाकी आमाल भी अच्छे होंगे और अगर नमाज़ खराब हुई तो बाकी आमाल भी खराब होंगे।”

📕 तरगीब व तरकीब: ५१६


“क़यामत में सब से पहले नमाज़ का हिसाब लिया जाएगा, अगर वह अच्छी और पूरी निकल आई तो बाकी आमाल भी पूरे उतरेंगे और अगर वह खराब हो गई, तो बाक़ी आमाल भी खराब निकलेंगे।”

📕 तिर्मिजी: ४१३, अन अबू हरैराह रज़ि०

अल्लाह और उस के रसूल की इताअत करो

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

” ऐ ईमान वालो! तुम अल्लाह और उस के रसूल की इताअत करो
और (शरीअत के मुताबिक फैसला करने वाले) हाकिमों की भी इताअत करो।”

📕 सूरह निसा : ५९

कम दर्जे वाले जन्नती का इनाम

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया –

अदना दर्जे का जन्नती वह होगा, जिस के एक हज़ार महल होंगे, हर दो महलों के दर्मियान एक साल के बराबर चलने का फासला होगा, यह जन्नती दूर के महलों को इसी तरह देखेगा जिस तरह करीब के महलों को देखेगा, हर एक महल में खूबसूरत गहरी सियाह आँखों वाली हूर होंगी और उमदा बागात और (खिदमत के लिये) लड़के होंगे, जिस चीज़ की भी वह तलब करेगा, उसको पेश कर दी जाएगी।”

📕 तरगीब : ५२८०, अन इब्ने उमर (र.अ)

कब्र के जियारत की दुआ

रसूलुल्लाह (ﷺ) सहाब-ए-किराम को जियारते कुबूर (क़ब्र के जियारत) की यह दुआ सिखाते थे:

اَلسَّلَامُ عَلَیْکُمْ اَھْلَ الدِّیَارِ مِنَ الْمُؤْمِنِیْنَ وَالْمُسْلِمِیْنَ ،وَاِنَّااِنْ شَآئَ اللّٰہُ بِکُمْ لَلاَحِقُوْنَ أَسْأَلُ اللّٰہَ لَنَا وَلَکُمُ الْعَافِیَةَ۔

Assalamualaikum ya ahlad diyaar minal mu’mineena wal muslemeen.wainna insha allahu bikum lahiqoon.asalullahu lana walakumul aafiya.

तर्जमा : सलाम हो तुम पर ऐ इस इस बस्ती के मोमिनो और मुसलमानो ! और हम भी इन्शाअल्लाह तुम्हारे साथ मिलने वाले हैं, हम अपने और तुम्हारे लिये अल्लाह से आफियत चाहते हैं।

📕 मुस्लिम : २२५७, अन बुरैदा (र.अ)

किसी पर तोहमत लगाना गुनाह अज़ीम है

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“जो शख्स कोई छोटा या बड़ा गुनाह करे फिर उस की तोहमत (इल्जाम) किसी बेगुनाह पर लगा दे तो उसने बहुत बड़ा बोहतान और खुले गुनाह का बोझ अपने ऊपर लाद लिया।”

📕 सूर निसा : ११२

हज़रत मुहम्मद (ﷺ) को आखरी नबी मानना

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :

“( हज़रत मुहम्मद ﷺ ) अल्लाह के रसूल और खातमुन नबिय्यीन हैं।”

📕 सूरह अहज़ाब : ४०

वजाहत: रसूलुल्लाह (ﷺ) अल्लाह के आखरी नबी और रसूल हैं, लिहाजा आप (ﷺ) को आख़री नबी और रसूल मानना और अब क़यामत तक किसी दूसरे नए नबी के न आने का यकीन रखना फर्ज है।

नर्म मिज़ाजी इख्तियार करना

लोगों के साथ नर्मी से पेश आने की फ़ज़ीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“क्या मैं तुम को ऐसे शख्स की खबर न दूँ जो दोजख के लिये हराम है और दोज़ख की आग उस पर हराम है? हर ऐसे शख्स पर जो तेज़ मिजाज न हो बल्के नर्म हो, लोगों से क़रीब होने वाला हो, नर्म मिजाज हो।”

📕 तिर्मिज़ी : २४८८, अन इब्ने मसऊद (र.अ)

घर में नफील नमाज़ पढ़ने की फ़ज़ीलत

घर में नफील नमाज़ पढ़ने की फ़ज़ीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : 

“जब तुम में से कोई मस्जिद में (फ़र्ज़) नमाज़ अदा कर ले, तो अपनी नमाज़ में से कुछ हिस्सा घर के लिए भी छोड़ दे; क्योंकि अल्लाह तआला बन्दे की (नफ़्ल) नमाज़ की वजह से उस के घर में खैर नाज़िल करता हैं।”

📕 सही मुस्लिम : ७७८, अन जाबिर (र.अ)


एक और रिवायत में, रसूलअल्लाह(ﷺ) ने फरमाया –

“फ़र्ज़ नमाज़ के अलावा (सुन्नत और नवाफ़िल नमाज़े) घर में पढ़ना मेरी इस मस्जिद (मस्जिद-ए-नबवी) में नमाज़ पढ़ने से भी अफ़ज़ल है।”

📕 सुनन अबू दाऊद: 1044, जैद इब्ने थाबित (र.अ.)

नोट : ख्याल रहे के फ़र्ज़ नमाज़े मस्जिद में ही पढ़ना अफ़ज़ल और इन्तेहाई जरुरी है।

अल्लाह तआला के साथ शिर्क करने का गुनाह

अल्लाह तआला के साथ शिर्क करने का गुनाह

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“बिलाशुबा अल्लाह तआला शिर्क को मुआफ नहीं करेगा। शिर्क के अलावा जिस गुनाह को चाहेगा, माफ कर देगा और जिसने अल्लाह तआला के साथ किसी को शरीक किया, तो उसने अल्लाह के खिलाफ बहुत बड़ा झूट बोला।”

📕 सूरह निसा: ४४

दीनदार औरत से निकाह करो

हुस्न, खानदान और मालदारी की वजह से निकाह न करो

एक और रिवायत में रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“तुम औरतों से (सिर्फ) उन के हुस्न व जमाल की वजह से शादी न करो क्योकि हुस्न व जमाल खत्म होने वाला है और न उनकी मालदारी की वजह से शादी करो, मुमकिन है यह मालदारी उनको नाफ़रमानी में मुब्तला कर दे, अलबत्ता उनसे दीनदारी की बूनियाद पर निकाह करो।”

📕 इब्ने माजा: १८५९


दीनदारी की वजह से औरत से निकाह करो

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:

“औरत से चार चीजों की वजह से निकाह किया जाता है। उसके माल, हसब नसब, खूबसूरती और दीनदारी की वजह से। तुम्हारा भला हो! तुम दीनदार औरत को पसन्द कर के कामयाब हो जाओ।”

📕 बुखारी : ५०९०, अन अबी हुरैरह (र.अ)

मेहर अदा ना करने का गुनाह

रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“जिस आदमी ने किसी औरत से मेहर के बदले निकाह किया और उस का महेर अदा करने का इरादा न हो, तो वह जानी (जीना करने) के हुक्म में है और जिस आदमी ने किसी से क़र्ज़ लिया। फिर उस का क़र्ज़ अदा करने की निय्यत न हो, तो वह चोर के हुक्म में है।”

📕 तरग़ीब २६०२, अन अबी हुरैरह (र.अ)

कयामत के दिन के सवालात

रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:

“इन्सान के क़दम कयामत के दिन अल्लाह के सामने से उस वक़्त तक नहीं हटेंगे
जब तक उस से पाँच चीज़ो के बारे में सवाल न कर लिया जाए।

(1) उसकी उम्र के बारे में कि उसको कहाँ खत्म किया।
(2) उसकी जवानी के बारे में के उसको कहाँ ख़र्च किया।
(3) माल कहाँ से कमाया
(4) कहाँ खर्च किया।
(5) इल्म के मुताबिक़ क्या-क्या अमल किया।

📕 तिर्मिजी:2416, अन अब्दुल्लाह बिन मसऊद (र.अ)

अल्लाह और उसके बन्दों के हुकूक अदा करो

क़ुरान में अल्लाह तआला फर्माता है:

अल्लाह के सिवा किसी की इबादत न करो, वालिदेन के साथ अच्छा सुलूक करो, रिश्तेदारों, यतीमों और मिसकीनों के साथ भी अच्छा बर्ताव करो, लोगों से ख़ुश अख्लाक़ी से बात करो, नमाज़ क़ायम करो और ज़कात अदा करो।”

📕 सूरह बकरा: 83  

सलाम करने पर नेकियाँ

रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जिस ने अस्सलामु अलैकुम कहा, उस के लिये दस नेकियाँ लिखी जाती हैं
और जिस ने अस्सलामु अलैकुम वरहमतुल्लाह कहा, उस के लिये बीस नेकियाँ लिखी जाती है,
और जिसने अस्सलामु अलैकुम वरहमतुल्लाह व बरकातुह कहा, उस के लिये तीस नेकियाँ लिखी जाती हैं।”

📕 तबरानी कबीर : ५४२९

एक दिन के नफ़ली रोजे का सवाब

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“अगर कोई शख्स अल्लाह के वास्ते एक दिन का नफ़ली रोजा रखे और उसके बदले में उस को सारी जमीन भरकर सोना (रोजाना) दिया जाए, तो कयामत के दिन तक भी इस रोजे के सवाब का बदला अदा नहीं हो सकता।”

📕 कंजुल उम्माल:४१५१, अन अनस (र.अ)

किसी बुराई को देखे तो उसे रोकने की कोशिश करे

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“तुम में से जो शख्स किसी बुराई को देखे तो उसे अपने हाथ से रोके अगर इस की ताकत न हो तो अपनी ज़बान से रोके, फिर अगर इस की भी ताकत न हो तो दिल से उस जाने और यह ईमान का सब से कमजोर दर्जा है।”

📕 मुस्लिमः १७७

अल्लाह के ज़िक्र की फ़ज़ीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“जो शख्स सुबह को सौ मर्तबा और शाम को सौ मर्तबा “सुब्हान अल्लाही वबिहम्दिहि” पढ़े, उस के गुनाहों की मग़फ़िरत कर दी जाएगी ख़्वाह उस के गुनाह समुन्दर के झाग से ज़्यादा हों।”

📕 तबरानी कबीर: 3370, अन अबी मालिक (र.अ)

दाढ़ के दर्द का इलाज

एक मर्तबा हजरत अब्दुल्लाह बिन रवाहा (र.अ) ने हुजूर (ﷺ) से दाढ में शदीद दर्द की शिकायत की, तो आप (ﷺ) ने उन्हें करीब बुला कर दर्द की जगह अपना मुबारक हाथ रखा और सात मर्तबा यह दुआ फ़रमाई :

اللّهُمَّ أَذْهِبْ عَنْهُ سُوءَ مَا يَجِدُ، وَاشْفِهِ بِدَوَاءِ نَبِيِّكَ الْمُبَارَكِ الْمَكِينِ عِنْدَكَ

“Allahumma adhhib ‘anhu su’a ma yajidu, wa shfihi bidawaa’i Nabiyyika al-Mubarak al-Makki ‘indak.” चुनान्चे फ़ौरन आराम हो गया।

📕 दलाइलुन्नबह लिल बैहकी: २४३१

बीमार पुरसी के वक़्त की दुआ

रसूलुल्लाह (ﷺ) जब किसी बीमार की इयादत के लिये जाते या आप (ﷺ) की खिदमत में बीमार को हाज़िर किया जाता तो आप यह दुआ पढ़ते:

 اَللَّهُمَّ رَبَّ النَّاسِ مُذْهِبَ الْبَاسِ اشْفِ أَنْتَ الشَّافِيْ لَا شَافِيَ إِلَّا أَنْتَ شِفَاءً لَا يُغَادِرُ سَقَمًا

ALLAHumma Rabbannasi Muzhibal-baasi-shfee Antashhaafi La Shaafi Illa Anta Shifa-an La Yughaadiru Saqama

तर्जमा : “ऐ अल्लाह! लोगों के रब्ब! बीमारी को दूर करने वाले! शिफ़ा ‘अता फरमाए| तू ही शिफ़ा देने वाला है। तेरे सिवा कोई शिफ़ा देने वाला नहीं। ऐसी शिफ़ा ‘अता फरमा के जिसके बाद बीमारी बाक़ी न बचे।”

📕 बुखारी: ५६७५, अन आयशा (र.अ)

बारिश होने और रोके के लिए दुआ

बारिश के लिए यह दुआ मांगे

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने बारिश के लिये हाथ उठा कर यह दुआ माँगी

❝ Allaahumma aghithnaa, Allaahumma aghithnaa, Allaahumma aghithnaa. ❞

(ऐ अल्लाह! हमें बारिश दे। ऐ अल्लाह! हमें बारिश दे। ऐ अल्लाह! हमें बारिश दे।)

📕 सहीह बुखारी १०१४


सैलाबी बारिश रोकने की दुआ

हज़रत अनस (र.अ) बयान करते हैं के,
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने बारिश रोकने के लिये यह दुआ की :

तर्जमा : ऐ अल्लाह ! हमारे अतराफ में बारिश बरसा, हम पर बारिश न बरसा।

📕 बुखारी : १०१३

जिन लोगों ने नेक आमाल किये, उनके लिये दुनिया और आखिरत में भलाई है

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“जो लोग परहेजगार हैं, जब उनसे पूछा जाता है के तुम्हारे रब ने क्या चीज़ नाजिल की है?
तो जवाब में कहते हैं : बड़ी खैर व बरकत की चीज नाजिल फ़रमाई है।
जिन लोगों ने नेक आमाल किये, उनके लिये इस दुनिया में भी भलाई है और बिला शुबा आखिरत का घर तो दुनिया के मुकाबले में बहुत ही बेहतर है और वाक़ई वह परहेजगार लोगों का बहुत ही अच्छा घर है।”

📕 सूरह नहल: ३०

रसूलल्लाह (ﷺ) की नाफ़रमानी करने का गुनाह

रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“मेरे सब उम्मती जन्नत में जाएंगे मगर जिसने इन्कार कर दिया (वह जन्नत में दाखिल न होगा। ) अर्ज़ किया गया : या रसूलल्लाह (ﷺ) इन्कार कौन करेगा? फ़रमाया : जिसने मेरी इताअत की जन्नत में दाखिल हो गया और जिसने मेरी फ़रमानी की तो उसने इन्कार किया।

📕 बुखारी : ७२८० अन अबी हुरैरह (र.अ)

अल्लाह ताला कुफ्र को पसंद नहीं करता

अल्लाह ताला कुफ्र को पसंद नहीं करता

۞ बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम ۞

अल्लाह ताला कुरआन में फर्माता है :

“अगर तुम मुन्किर होगे, तो यकीन जानो के अल्लाह तआला तुम से बेनियाज है और अपने बन्दों के लिये कुफ्र को पसन्द नहीं करता और अगर तुम शुक्र करोगे, तो तुम्हारे इस शुक्र को पसन्द करेगा।”

📕 सूरह जुमर: ७

© HindiQuran.in

दुनिया की ज़िन्दगी खेल तमाशा है

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“दुनिया की ज़िन्दगी खेलकूद के सिवा कुछ भी नहीं है और आखिरत की जिन्दगी ही हकीकी जिन्दगी है, काश यह लोग इतनी सी बात समझ लेते।”

📕 सूरह अनकबूत : ६४


कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता:

यह दुनिया की जिंदगी तो सिर्फ़ खेल तमाशा है, अगर तुम अल्लाह पर ईमान लाओ और तक़वा इख्तियार करो तो वह तूम को तूम्हारा अज्र व सवाब अता फरमाएगा और तुम से तुम्हारा माल तलब नहीं करेगा (और) अगर वह तुम से तुम्हारा माल तलब करने लगे और आखरी हद तक तलब करता रहे तो तुम कंजूसी करने लगो और तुम्हारी नागवारी को ज़ाहिर कर दे।”

[ सूरह हूदः १५ ता १६ ]

विरासत में लड़की का हिस्सा

विरासत में लड़की का हिस्सा

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“अल्लाह तआला तुमको तुम्हारी औलाद के हक में हुक्म देता है के 1 लड़के का हिस्सा 2 लड़कियों के हिस्से के बराबर है।”

📕 सूरह निसा: ११

खुलासा: वालिदैन की विरासत में लड़के के 2 हिस्से और लडकी का 1 हिस्सा होता है, जिस का अदा करना फर्ज है।

अगर किसी बात पर तुम में इख़्तेलाफ़ हो जाए

कुरआन में अल्लाह तआला फर्रमाता है :

“अगर किसी बात पर तुम में इख़्तेलाफ़ हो जाए, तो अल्लाह और उसके रसूल के हुक्म की तरफ रूजूअ करो, अगर तुम अल्लाह और क़यामत के दिन पर ईमान रखते हो, यह तरीका तुम्हारे लिये बेहतर है और अच्छा भी है।”

📕 सूरह निसा: 59

सोने के आदाब (सुन्नत)

रसूलुल्लाह (ﷺ) जब सोने का इरादा करते
तो अपने दाहने हाथ को दाहने गाल के नीचे रख कर सोते फिर तीन बार यह दुआ पढ़ते :

(Allahumma qinee ‘adhabaka yawma tab’athu ‘ibadaka)

तर्जुमा: (ऐ अल्लाह! मुझे (उस दिन) अपने अ़ज़ाब से बचा, जिस दिन तू अपने बन्दों को उठायेगा।

📕 अबू दाऊद : ५०४५

जहन्नुम की गहराई

दोजख (जहन्नुम) की गहराई

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : 

“एक पत्थर को जहन्नम के किनारे से फेंका गया, वह सत्तर साल तक उस में गिरता रहा मगर उस की गहराई तक नहीं पहुंच सका।”

📕 मुस्लिम : ७४३५

हर मर्ज़ का इलाज मौजूद है

हज़रत उसामा (र.अ) बयान करते है के,
मैं हुज़ूर (ﷺ) की ख़िदमत में मौजूद था के,

कुछ देहात के रहने वाले आए और आप (ﷺ) से अर्ज़ किया : या रसूलल्लाह ! क्या हम दवा करें? तो रसूलुल्लाह ने फ़रमाया: ”अल्लाह के बन्दो! ज़रूर दवा किया करो: इसलिये के कोई बीमारी ऐसी नहीं है जिसकी दवा अल्लाह ने न पैदा की हो, सिवाए एक बीमारी के और वह बुढ़ापा है।

📕 मुस्नदे अहमद: 17986 

अहले जहन्नम पर दर्दनाक अजाब

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“बेशक जक्कूम का दरख्त बड़े मुजरिम का खाना होगा, जो तेल की तलछट जैसा होगा,
वह पेट में तेज़ गर्म पानी की तरह खौलता होगा (कहा जाएगा)
उस गुनहगार को पकड़ लो और घसीटते हुए दोजख के बीच में ले जाओ,
फिर उसके सर पर तकलीफ देने वाला खौलता हुआ पानी डालो,
(फिर कहा जाएगा) अज़ाब का मज़ा चख ! तू अपने आप को बड़ी इज्जत व शान वाला समझता था, यही वह अजाब है जिसके बारे में तुम शक किया करते थे।”

📕 सूरह दुखान : ४३ ता ५०

अल्लाह के वास्ते मुहब्बत करना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : 

“अल्लाह तआला फर्माता है, जो लोग मेरी अजमत व जलाल की वजह से आपस में मुहब्बत रखते हैं (क़यामत के दिन) उन के लिये ऐसे नूर के मिम्बर होंगे, जिन पर अम्बिया और शोहदा भी रश्क करेंगे।”

📕 तिर्मिजी: २३९०, अन मआज बिन जबल (र.अ)

मुत्तक़ी और परहेज़गारों का इनाम

क़ुरआन में अल्लाह तआला ने इर्शाद फ़रमाया है:

“जो लोग परहेज़गारी और तक़वा के पाबंद थे, अल्लाह तआला उन को कामयाबी के साथ जहन्नम से बचा लेगा, न उन को किसी तरह की तकलीफ़ पहुँचेगी और न वह कभी ग़मगीन होंगे।”

📕 सूरह जुमर: ६१

मेहमान का इकराम करने की फ़ज़ीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : 

“जब कभी भी कोई मुसलमान अपने मुसलमान भाई से मुलाकात के लिये जाए और मेजबान मेहमान का एजाज व इकराम करने की गर्ज से मेहमान को तकिया पेश करे तो अल्लाह तआला उस मेजबान की मग़फिरत फरमा देगा।” 

📕 तबरानी सगीर :७६२

मियाँ बीवी अपना राज़ बयान न करें

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“कयामत के रोज़ अल्लाह की नज़र में लोगों में सब से बदतरीन वह शख्स होगा, जो अपनी बीवी के पास जाए और उसकी बीवी उसके पास आए; फिर उनमें से एक अपने साथी का राज किसी दूसरे को बताए।”

📕 मुस्लिम: ३५४२, अबी सईद खुदरी (र.अ)

अनकरीब दुनिया खोल दी जाएगी

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“अनकरीब दुनिया की दौलत तुम पर खोल दी जाएगी, यहाँ तक के तुम अपने घरों को इस तरह आरास्ता करोगे जैसे काबा शरीफ़ को आरास्ता किया जाता है।”

📕 तिबरानी कबीर : ४०३५

दीनी भाई की जियारत की फ़ज़ीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जिस ने किसी मरीज़ की इयादत की, या किसी दीनी भाई की जियारत की, तो एक पुकारने वाला (फरिश्ता) कहता है। तुम (दुनिया में) अच्छे रहो, तुम्हारा (अच्छे कामों की तरफ) चलना मुबारक हो और तुम ने (अपने इस अमल के जरिये) जन्नत का बुलंद दर्जा हासिल कर लिया है।”

📕 तिर्मिज़ी: २००८

माल की मुहब्बत खुदा की नाशुक्री का सबब है

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“इन्सान अपने रब का बड़ा ही नाशुक्रा है, हालाँ के उसको भी इस की खबर है (और वह ऐसा मामला इस लिये करता है) के उस को माल की मुहब्बत ज़ियादा है।”

📕 सूरह आदियात: ६ ता ८

कयामत का मंजर

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“अगर (आखिरत के हौलनाक अहवाल के मुतअल्लिक) तुम्हें वह सब मालूम हो जाए जो मुझे मालूम है, तो तुम्हारा हँसना बहुत कम हो जाए और रोना बहुत बढ़ जाए।”

📕 बुखारी : ६४८६

बाराह रकात नफ़्ल नमाज अदा करने की फ़ज़ीलत

रसुलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“जो शख्स एक दिन में बाराह रकात नफ़्ल नमाज़ पढ़ेगा, तो इन नमाज़ों बदले में उसके लिए जन्नत में एक घर बनाया जाएगा।”

📕 अबू दाऊदः १२५०, अन उम्मे हबीबा (र.अ)

झूठी कसम खाने का वबाल

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“जो शख्स झूटी कसम खाए, ताके उस के ज़रिए किसी मुसलमान का माल हासिल कर ले, तो वह अल्लाह तआला से इस हाल में मुलाकात करेगा के अल्लाह तआला उस पर सख्त नाराज़ होगा।”

📕 अबू दाऊद: ३२४३

छह चीजों की जमानत: जब बात करो तो सच बोलो

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“तुम अपनी तरफ से मुझे छह चीजों की जमानत दे दो मैं तुम्हें जन्नत की जमानत देता हूँ। जब तुम बात करो तो सच बोलो, जब वादा करो तो पूरा करो, जब तुम्हारे पास अमानत रखी जाए तो अमानत अदा करो, अपनी शर्मगाहों की हिफाजत करो, अपनी आँखों को नीचे रखो और अपने हाथों को (जुल्म व सितम से) रोके रखो।”

📕 मुस्नदे अहमद : २२२५१, अन उबादा बिन सामित (र.अ)

कयामत के हालात

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है

“जब सूरज बेनूर हो जाएगा और सितारे टूट कर गिर पड़ेंगे और जब पहाड़ चला दिए जाएँगे और जब दस माह की गाभिन ऊँटनियाँ (कीमती होने के बावजूद आजाद) छोड़ दी जाएँगी और जब जंगली जानवर जमा हो जाएँगे और जब दर्या भड़का दिए जाएंगे।”

📕 सूर तकवीर: १-६

ज़ियादा अमल की तमन्ना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“अगर कोई बन्दा पैदाइश के दिन से मौत आने तक अल्लाह की इताअत में चेहरे के बल गिरा पड़ा रहे तो वह भी क़यामत के दिन अपने सारे अमल को हक़ीर समझेगा और यह तमन्ना करेगा के उस को दुनिया की तरफ वापस कर दिया जाए ताके और ज़ियादा नेक अमल कर ले।”

📕 मुस्नदे अहमद: १७१९८

कयामत का हौलनाक मंजर

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“(क़यामत का मुन्किर) पूछता है के कयामत का दिन कब आएगा?
जिस दिन आँखें पथरा जाएँगी और चाँद बेनूर हो जाएगा और सूरज व चाँद (दोनों बेनूर हो कर) एक हालत पर कर दिये जाएँगे,
उस दिन इंसान कहेगा : (क्या) आज कहीं भागने की जगह है? जवाब मिलेगा : हरगिज नहीं (आज) कहीं पनाह की जगह नहीं है, उस दिन सिर्फ आप के रब के पास ठिकाना होगा।

📕 सूरह कियामा : ६ ता १२

शौहर की विरासत में बीवी का हिस्सा

कुरआन में अल्लाह तअला फर्माता है :

“उन औरतों के लिये तुम्हारे छोड़े हुए माल में चौथाई हिस्सा है, जब के तुम्हारी कोई औलाद न हो अगर तुम्हारी औलाद हो तो उन के लिये तुम्हारे छोड़े हुए माल में आठवाँ हिस्सा है (उन को यह हिस्सा) तुम्हारी वसिय्यत और कर्ज को अदा करने के बाद मिलेगा।”

📕 सूरह निसा: १२

फायदा : शौहर के इन्तेकाल के बाद अगर उस की कोई औलाद न हो, तो बीवी को शौहर के माल का चौथाई हिस्सा देना और अगर कोई औलाद हो, तो आठवाँ हिस्सा देना जरूरी है।

शर्म व हया ईमान का जुज़ है

रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“ईमान के साठ से ऊपर या सत्तर से कुछ जायद शोअबे हैं।
सब से अफज़ल (ला इलाहा इलल्लाहु) पढ़ना है
और सब से कम दर्जा रास्ते से तकलीफ़ देह चीज़ का हटा देना है
और शर्म व हया ईमान का हिस्सा है।”

📕 मुस्लिम: १५३

हमेशा की जन्नत व जहन्नम

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“अल्लाह तआला जन्नतियों को जन्नत में दाखिल कर देगा और जहन्नमियों को जहन्नम में दाखिल कर देगा, फिर उन के दर्मियान एक एलान करने वाला कहेगा के ऐ जन्नतियों! अब मौत नहीं आएगी, ऐ जहन्नमियों! अब मौत नहीं आएगी (तुम में का जो जहाँ है हमेशा उस में रहेगा)”

📕 मुस्लिम: ७१८३, अन इब्ने उमर (र.अ)

हमेशा सच्ची गवाही देना

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :

“ऐ ईमान वालो ! इन्साफ पर कायम रहते हुए अल्लाह के लिए गवाही दो, चाहे वह तुम्हारी जात, वालिदैन और रिश्तेदारों के खिलाफ ही (क्यों न हो।”

📕 सूरह निसा : १३५

फायदा: सच्ची गवाही देना और झूठी गवाही देने से बचना जरुरी है।

निमोनिया का इलाज

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने निमोनिया के लिये वर्स, कुस्त और रोग़ने जैतून पिलाने को मुफीद बतलाया है।

फायदा : “वर्स” तिल के मानिंद एक किस्म की घास है, जिस से रंगाई का काम लिया जाता है और “कुस्त” एक खुशबूदार लकड़ी है जिस को ऊदे हिन्दी भी कहते हैं।

📕 इब्ने माजा : ३४६७

कब्र में नमाज की तमन्ना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जब मय्यित को क़ब्र में रख दिया जाता है, तो उस को सूरज गुरूब होता हुआ दिखाई देता है, तो वह बैठ कर आँखें मलने लगता है और कहता है, मुझे नमाज पढ़ने दो।”

📕 इब्ने माजा : ४२७२, अन जाबिर (र.अ)

मज़दूर की मज़दूरी पसीना सुखने से पहले दिया करो

मज़दूर को पसीना सुखने से पहले मज़दूरी दो

۞ हदीस: अब्दुल्ला इब्न उमर (रजि.) से रिवायत है की,
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“मज़दूर को उसकी मज़दूरी उसका पसीना सुखने से पहले दे दो।”

📕सुनन इब्न माजाह, हदीस:600


मज़दूर को पूरी मजदूरी देना

۞ हदीस: रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“मैं क़यामत के दिन तीन लोगों का मुक़ाबिल बन कर उन से झगडूंगा, (उन तीन में से एक) वह शख्स है जिसने किसी को मज़दूरी पर रखा और उससे पूरा-पूरा काम लिया मगर उसको पूरी मज़दूरी नहीं दी।”

📕 इब्ने माजाह : २४४२

खुलासा: मज़दूर को मुकम्मल मज़दूरी देना वाजिब है।

दुनिया चाहने वालों का अन्जाम

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“जो कोई दुनिया ही चाहता है, तो हम उस को दुनिया में जितना चाहते हैं, जल्द देते हैं फिर हम उस के लिए दोजख मुकर्रर कर देते हैं, जिस में (ऐसे लोग कयामत के दिन) जिल्लत व रुसवाई के साथ ढकेल दिए जाएंगे।”

📕 सूर-ए-बनी इसराईलः १८ 

दो आदतें: दीनी मामले में अपने से बुलन्द शख्स को देखे …

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“जो शख्स दीनी मामले में अपने से बुलन्द शख्स को देख कर उस की पैरवी करे और दुनियावी मामले में अपने से कमतर को देख कर अल्लाह तआला की अता करदा फजीलत पर उस की तारीफ करे, तो अल्लाह तआला उस को (इन दो आदतों की वजह से) सब्र करने वाला और शुक्र करने वाला लिख देता हैं।

और जो शख्स दीनी मामले में अपने से कमतर को देखे और दूनीयावी मामले में अपने से ऊपर वाले को देख कर अफसोस करे, तो अल्लाह तआला उसको साबिर व शाकिर नहीं लिखता।”

📕 तिर्मिज़ी : २५१२

कसरत से अल्लाह का जिक्र करना

अब्दल्लाह बिन अबी औफ़ (र.अ) बयान करते हैं के :

“रसुलल्लाह (ﷺ) कसरत से (अल्लाह का) जिक्र फरमाते, बेजा बात ना फरमाते, नमाज़ लम्बी पढ़ते, खुत्बाब मुख्तसर देते और बेवाओं और मिस्कीनों की जरुरत पूरी करने के लिए चलने में आर और शर्म महसूस न फरमाते।”

📕 नसई : १४१५

कयामत के दिन का अंदाज़

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“जिस दिन तमाम जानदार और फ़रिश्ते सफ़ बांधकर खड़े होंगे उस रोज कोई कलाम न कर सकेगा, अल्बत्ता जिस को खुदाए रहमान (यानी अल्लाह तआला) बात करने की इजाजत देदे और वह बात भी ठीक ही कहेगा, उस दिन का आना यकीनी है, जो शख्स चाहे अपने रब के पास ठिकाना बना ले।”

📕 सूरह नबाः ३८ ता ३९

इन आयतों में रोज़े क़यामत अल्लाह की अदालत में ह़ाज़िरी का अंदाज दिखाया गया है। और जो इस ख्याल में पड़े हैं कि उन के झूठे माबूद उनकी सिफारिश करेंगे उन को आगाह किया गया है कि उस दिन कोई बिना अल्लाह की इजाजत के मुँह नहीं खोलेगा और अल्लाह की इजाजत से सिफारिश भी करेगा।

सिफारिश तो उसी के लिये होगी जो दुनिआ में कलिमा-ऐ-हक़ “ला इलाहा इल्लल्लाह” को मानता हो। जबकि काफिर और मुशरिक किसी किस्म के लायक न होंगे।

दुनिया के फ़ितनों से बचो

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:

“सुनो ! दुनिया मीठी और हरी भरी है और अल्लाह तआला जरूर तुम्हें इस की खिलाफत अता फरमाएगा, ताके देखें के तुम कैसे आमाल करते हो, पस तुम दुनिया से और औरतों (के फितने) से बचो।”

📕 मुस्लिम ६९४८

मुस्कुराते हुए मुलाकात करना

हजरत जरीर (र.अ) के फर्माते हैं के मेरे इस्लाम लाने के बाद रसूलुल्लाह (ﷺ) ने मुझे कभी भी किसी भी वक्त अपने पास हाजिर होने से नहीं रोका और जब भी मुझे देखते तो आप मुस्कुराते थे।

📕 बूखारी : ३०३५

कलोंजी में हर बीमारी का इलाज है

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“तुम इस कलोंजी को इस्तेमाल करो, क्यों कि इस में मौत के अलावा हर बीमारी की शिफ़ा मौजूद है।”

📕 बुखारी: ५६८७,अन आयशा (र.अ)

फायदा: अल्लामा इब्ने कय्यिम फर्माते हैं : इस के इस्तेमाल से उफारा (पेट फूलना) खत्म हो जाता है, बलगमी बुखार के लिए नफ़ा बख्श है, अगर इस को पीस कर शहद के साथ माजून बना लिया जाए और गर्म पानी के साथ इस्तेमाल किया जाए, तो गुर्दे और मसाने की पथरी को गला कर निकाल देती है।

आदमी का दुनिया में कितना हक़ है

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“इब्ने आदम को दुनिया में सिर्फ चार चीजों के अलावा और किसी की जरूरत नहीं : (१) घर : जिस में वह रेहता है, (२) कपड़ा : जिस से वह सतर छुपाता है। (३) खुश्क रोटी। (४) पानी।“

📕 तिर्मिजी: २३४१

शिर्क और कत्ल करने का गुनाह

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:

“अल्लाह तआला हर गुनाह को माफ कर सकता है, मगर उस आदमी को माफ नहीं करेगा,
जो शिर्क की हालत में मर जाए, दूसरा वह आदमी जो किसी (बेगुनाह) मुसलमान भाई को जानबूझ कर क़त्ल कर दे।”

📕 अबू दाऊद: ४२७०

गैरुल्लाह को माबूद बनाने का गुनाह

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है:

“उन लोगों ने अल्लाह तआला को छोड़ कर और माबूद बना लिये हैं, इस उम्मीद पर के उन की मदद कर दी जाएगी। वह उन की कुछ मदद कर ही नहीं सकते; बल्के वह उन लोगों के हक़ में फरीके मुखालिफ बन कर हाजिर किये जाएँगे।”

📕 सूरह यासीन: ७४ ता ७५