सिर दर्द से हिफाजत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "हम्माम (गुस्ल खाना) से निकलने के बाद कदमों को ठन्डे पानी से धोना सिर दर्द से हिफाजत का जरिया है।" 📕 कन्जुल उम्माल: २८२९६
बुरी तदबीरें करने का गुनाह कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : "जो लोग बुरी बुरी तदबीरें (बुरी चाल) करते हैं उन को सख्त अज़ाब होगा और उन की सब तदबीरे (प्लानिंग) नाकाम हो जाएँगी।" 📕 सूरह फातिर: १०
मुसाफा मगफिरत का जरिया है रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: "जब दो मुसलमान आपस में मिलते हैं और मुसाफा करते हैं, तो जुदा होने से पहले उन दोनों की मगफिरत कर दी जाती है।" 📕 अबू दाऊद: ५२१२
हज़रत तल्हा बिन उबैदुल्लाह (र.अ) हजरत तल्हा बिन उबैदुल्लाह (र.अ) का शुमार भी उन दस लोगों में होता है जिन को रसूलुल्लाह (ﷺ) ने दुनिया ही में जन्नत की खुशखबरी सुना दी थी। आप इस्लाम लाने वालों में अव्वलीन साबिकीन में से की हैं, ग़ज़व-ए-बद्र के अलावह तमाम ग़जवात में रसूलुल्लाह (ﷺ) के साथ रहे और आप को बैअते रिजवान का भी शर्फ हासिल है। जंगे उहुद के दिन जब दुश्मनों ने रसूलुल्लाह (ﷺ) को अपने तीरों का निशाना बना रखा था, उस वक्त हज़रत तल्हा ने अपने जिस्म के ज़रिये आप (ﷺ) की हिफाजत की। जिस की वजह से उन का हाथ शल हो…
दूसरी बैते अक़बा मदीना मुनव्वरा में हजरत मुसअब बिन उमैर (र.अ) की दावत और मुसलमानों की कोशिश से हर घर में इस्लाम और पैगम्बरे इस्लाम का तजकेरा होने लगा था, लोग इस्लाम की खूबियों को देख कर ईमान में दाखिल होने लगे थे। सन १३ नबवी में मुसअब बिन उमैर (र.अ) ७० से ज़ियादा मुसलमानों पर मुश्तमिल एक जमात ले कर हज करने की गर्ज से मक्का आए, उस काफले में मुसलमानों के साथ क़बील-ए-औस व खज़रज के मुश्किीन भी थे। रसूलुल्लाह (ﷺ) ने अपने चचा हजरत अब्बास (र.अ) के साथ अक़बा नामी घाटी में आकर रात के वक़्त मुसलमानों से मुलाकात फर्माई।…
आँखों की हिफाजत अल्लाह तआला ने दुनिया के हसीन तरीन मनाजिर देखने के लिये हमें जिस तरह आँख जैसी नेअमत अता फ़रमाई है, इसी तरह उन की हिफाजत के लिये ख़ुद बखुद मशीन की तरह उन पर ऐसे परदे लगा दिये हैं के जब कोई नुकसान पहुंचाने वाली चीज़ आँखों के सामने आती है, तो वह खुद बख़ुद बंद होने लगती हैं, उन की हरकत से जहाँ बाहर की चीज़ों के हमले से हमारी आँखें महफूज़ हो जाती हैं, वहीं उन के खुलने और बंद होने से आँख का मैल कुचैल साफ होता रहता है। अल्लाह तआला ने अपनी हिकमत व कुदरत से…
किसी इज्जत की हिफाज़त करने का सवाब रसूलल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "जिस ने पीठ पीछे अपने भाई की इज्जत की हिफाजत की। अल्लाह तआला अपनी जिम्मेदारी से उस को (जहन्नम की) आग से आज़ाद कर देगा।" 📕 तबरानी कबीर : १९९१६
जबान और शर्मगाह की हिफाजत करना रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जो शख्स मुझे अपनी ज़बान और शर्मगाह की हिफाजत की जमानत दे दे मैं उसके लिये जन्नत की जमानत लेता हूँ।" 📕 बुखारी: ६४७४
बड़ी बीमारियों से हिफ़ाज़त रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : “जो शख्स हर महीने तीन दिन सुबह के वक्त शहद को चाटेगा तो उसे कोई बड़ी बीमारी नहीं होगी।” 📕 इब्ने माजा: ३४५०, अबी हुरैरह (र.अ)
मुसलमानों की हिजरते हबशा जब कुफ्फार व मुशरिकीन ने मुसलमानों को बेहद सताना शुरू किया, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने सहाबा-ए-किराम को इजाजत दे दी के जो चाहे अपनी जान और ईमान की हिफाजत के लिये मुल्के हबशा चला जाए। वहाँ का बादशाह किसी पर जुल्म नहीं करता, वह एक अच्छा मुल्क है। उस के बाद सहाबा की एक छोटी सी जमात माहे रज्जब सन ५ नबवी में हबशा रवाना हुई। उन में खलीफ-ए-राशिद हजरत उस्मान गनी (र.अ) है और उन की जौज-ए-मुहतरमा और हुजूर (ﷺ) की साहबजादी हज़रत रुकय्या भी थीं। कुफ्फार ने इन लोगों की हिजरत की खबर सुन कर पीछा किया, मगर कुफ्फार…
हिजाब क्या है? हिजाब क्या है? हिजाब" को लेकर आजकल एक गलतफहमी पाई जा रही है। लोग इसे एक कपड़ा समझ रहे हैं जो बुर्के के अलावा सिर पर बांधा जाता है। हालांकि ये ईजाद कपड़ा बेचने वालों ने की है। "हिजाब के असल मायने रुकावट और आड़ के हैं।" औरत अपने जिस्म और हम की नुमाइश को गैर मर्दो से छिपाने, रोकने के लिए जो तदबीर भी करती है इस्तेलाही(पारिभाषिक) तौर पर वो हिजाब है फिर चाहे वो चादर हो, बुर्का और नकाब हो, दरो दीवार हो, नज़रों का फेरना हो वगैराह। मर्द भी औरत को देखकर अपनी नज़रें फेर लेता है…
छह चीजों की जमानत: जब बात करो तो सच बोलो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "तुम अपनी तरफ से मुझे छह चीजों की जमानत दे दो मैं तुम्हें जन्नत की जमानत देता हूँ। जब तुम बात करो तो सच बोलो, जब वादा करो तो पूरा करो, जब तुम्हारे पास अमानत रखी जाए तो अमानत अदा करो, अपनी शर्मगाहों की हिफाजत करो, अपनी आँखों को नीचे रखो और अपने हाथों को (जुल्म व सितम से) रोके रखो।" 📕 मुस्नदे अहमद : २२२५१, अन उबादा बिन सामित (र.अ)
दीन के मुकम्मल होने का एलान रसूलुल्लाह (ﷺ) पर मैदाने अरफात में जुमा के दिन अस्र के बाद आख़री हज के मौके पर एक लाख से जाइद सहाब-ए-किराम के दर्मियान कुरआन की आयत नाज़िल हुई, वही के बोझ से आप (ﷺ) की ऊँटनी बैठ गई, उस में अल्लाह तआला ने खुशखबरी देते हुए फर्माया : "आज मैं ने तुम्हारे लिये तुम्हारा दीन मुकम्मल कर दिया और तुम पर अपनी नेअमत पूरी कर दी और हमेशा के लिये तुम्हारे लिये दीने इस्लाम को पसन्द कर लिया।" इस आयत में एलान कर दिया गया के इस्लाम ही एक ऐसा दिन (मजहब) है, जो कयामत तक आने वाली नस्ले…
मिस्वाक के फायदे रसूलुल्लाह (ﷺ) ने इर्शाद फ़रमाया : "मिस्वाक मुंह की सफाई और अल्लाह की रज़ामंदी का ज़रिया है।" 📕 नसई : ५, अन आयशा (र.अ) फायदा : अल्लामा इब्ने कय्यिम मिस्वाक के फवाइद में लिखते हैं, यह दाँतों में चमक पैदा करती है, मसूड़ों में मज़बूती और मुँह की बदबू ख़त्म करती है, जिससे दिमाग़ पाक व साफ हो जाता है। यह बलग़म को काटती है, निगाह को तेज़ और आवाज़ को साफ करती है और भी इस के बहुत से फवाइद हैं।
औरतों का चंद बातों पर अमल करना औरतों का चंद बातों पर अमल करना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "अगर औरत पाँच वक़्त की नमाज पढ़े और रमजान के रोजे रखे और अपनी शर्मगाह की हिफाज़त करे और अपने शौहर की फरमाबरदारी करे (तो कयामत के दिन) उससे कहा जाएगा: तुम जन्नत के जिस दरवाजे से चाहो जन्नत में दाखिल हो जाओ।" 📕 मुस्नदे अहमद : १६६४