कुरआन की तिलावत करना

एक अहेम अमल की फजीलत | Ek Aham amal ki Fazilat

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“कुरआन शरीफ की तिलावत किया करो, इस लिए के कयामत के दिन अपने साथी (यानी पढ़ने वाले) की शफ़ाअत करेगा।”

📕 मुस्लिम: १८७४

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