गम के वक्त यह दुआ पढ़े रसूलुल्लाह (ﷺ) ने ग़म व मुसीबत के वक्त इस दुआ को पढ़ने के लिये फर्मायाः إِنَّا لِلَّهِ وَإِنَّا إِلَيْهِ رَاجِعُونَ اللَّهُمَّ أْجُرْنِي فِي مُصِيبَتِي وَأَخْلِفْ لِي خَيْرًا مِنْهَا ( inna Lillahi Wa inna ilaihi rajeuun , Allahumma Ajurni fi Musibati Wa Akhlifli Khairam Minha ) तर्जमा : हम सब…
किसी की मुसीबत पर खुशी का इजहार मत करो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "तम अपने किसी भाई की मुसीबत पर खुशी का इजहार मत करो। (अगर एसा करोगे तो हो सकता है के) अल्लाह तआला उसको उस मुसीबत से नजात दे दे और तुम को उस मुसीबत में मुब्तला कर दे।" 📕 तिर्मिजी: २५०६
आपस में झगड़ा न करो कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है: “तुम अल्लाह और उस के रसूल की इताअत करो और आपस में झगड़ा न करो, वरना तुम बुजदिल हो जाओगे और दुश्मन के मुकाबले में तुम्हारी हवा उखड़ जाएगी और (मुसीबत के वक्त) सब्र करो, बेशक अल्लाह तआला सब्र करने वालों के साथ है।”…
आमुल हुज़्न (ग़म का साल) रसूलुल्लाह (ﷺ) की जौज-ए-मोहतरमा हज़रत ख़दीजा (र.अ) और चचा अबू तालिब हर वक्त आप (ﷺ) का साथ दिया करते थे। एक मर्तबा अबू तालिब बीमार हो गए और इंतकाल का वक्त करीब आ गया। आप (ﷺ) ने फ़रमाया : ऐ चचा ! एक मर्तबा ” ला इलाहा इलल्लाह “ कह लो ताके…
रुख्सत के वक़्त मुसाफा करना रसूलुल्लाह (ﷺ) जब किसी को रुख्सत फर्माते, तो उस का हाथ अपने हाथ में ले लेते और उस वक़्त तक (उसका हाथ) न छोड़ते, जब तक के वह आप के हाथ को खुद न छोड़ दे। 📕 तिर्मिजी : ३४४२, अन इब्ने उमर (र.अ)
क़ज़ा नमाजों की अदायगी रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "जो कोई नमाज पढ़ना भूल गया या नमाज के वक्त सोता रह गया, तो (उसका कफ्फारा यह है के) जब याद आए उसी वक्त पढ़ ले।” 📕 तिर्मिज़ी: १७७ फायदा: अगर किसी शख्स की नमाज किसी उज्र की वजह से छूट जाए या सोने की…
जहन्नम का जोश कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : "जब जहन्नम (क़यामत के झुटलाने वालों) को दूर से देखेगी, तो वह लोग (दूर ही से) उस का जोश व खरोश सुनेंगे और जब वह दोज़ख़ की किसी तंग जगह में हाथ पाँव जकड़ कर डाल दिये जाएंगे, तो वहाँ मौत ही मौत…