दुनिया से बेरगबती रखने वाले मोमिन से दोस्ती करो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: "जब तुम किसी ऐसे मोमिन को देखो जिसे दुनिया से बेरगबती और कम बोलने की दौलत दी गई है तो तुम उस के पास रहा करो, इस लिये के वह हिकमत की बातें करता है।” 📕 तबरानी औसत : १९५६, अन अबी हुरैरह (र.अ)
मजलिस में जाये तो सलाम करे मजलिस में जाये तो सलाम करे ۞ हदीस: रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : “जब तुम में से कोई आदमी मजलिस में जाए, तो सलाम करे और फिर जी चाहे, तो मजलिस में शरीक हो जाए, और फिर जाते वक्त भी सलाम कर के जाए।” 📕 तिर्मिज़ी, हदीस २७०६, अन अबी हुरैराह (र.अ)
ज़ुल्म के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाना: हदीस Hadees of the Day ज़ुल्म के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाना: हदीस अबु बक्र सिद्दीक (रजी) से रिवायत है की,रसुलल्लाह (ﷺ) ने फरमाया: "अगर लोग जालीम को जुल्म करते हुए देखे और उसे न रोके तो करीब है की अल्लाह तआला उन सबको अजाब मे मुब्तला कर देगा।" 📕 रियाद अस-सलीहिन, हदीस, 197
कर्ज़ अदा करना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "क़र्ज़ की अदायगी पर ताकत रखने के बावजूद टाल मटोल करना जुल्म है।" 📕 बुखारी : २४००, अन अबू हुरैरह (र.अ) फायदा: अगर किसी ने कर्ज़ ले रखा है और उस के पास कर्ज अदा करने के लिए माल है, तो फिर कर्ज, अदा करना ज़रूरी है, टाल मटोल करना जाइज नहीं है।
कीसी की तकलीफ दूर करने का सवाब: हदीस किसी की तकलीफ दूर करने का सवाब: हदीस रसूलअल्लाह (ﷺ) फरमाते है: "जिस शख्स ने किसी मुसलमान की दुनियावी मुश्किलात (तकलीफ) में से कोई मुश्किल दूर की तो अल्लाह तआला उस की क़यामत की मुश्किलात में से कोई मुश्किल दूर कर देगा" 📕 मुस्लिम, जिल्द 3, पेज 493
शोहर के इजाजत की अहमियत: हदीस | Shohar ki ijazat Hadees शोहर के इजाजत की अहमियत: हदीस अबू हरैराह (रज़ी) से रिवायत है के, अल्लाह के रसूल (ﷺ) ने फ़रमाया: "शोहर की गैर हाजिरी मे इसकी इजाजत के बगैर कोई औरत रोज़ा ना रखे सिवाय रमज़ान के, और बगैर इस की इजाजत के इस की मौजूदगी में किसी को घर में आने की इजाजत न दे।" 📕 सुनन अबू दावूद, हदीस 2458
झूठे बादशाह का अंजाम: हदीस झूठे बादशाह का अंजाम: हदीस अल्लाह के रसूल (ﷺ) ने फ़रमाया: "अल्लाह तआला रोज़े क़यामत 3 तरह के लोगो से न कलाम करेगा और न ही उनकी तरफ नज़रे रेहमत से देखेगा, और उनको दर्दनाक अजाब में मुब्तेला करेगा, और वो 3 ये लोग होंगे: "बुढा जानी, झूठा बादशाह और मुतक्कबिर फ़क़ीर।" 📕 सहीह मुस्लिम, हदीस 107
माँ बाप पर लानत भेजने का गुनाह रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: “(शिर्क के बाद) सब से बड़ा गुनाह यह है के आदमी अपने माँ बाप पर लानत करे।" अर्ज किया गया: ऐ अल्लाह के रसूल ! कोई अपने माँ बाप पर लानत कैसे भेज सकता है? फर्माया : इस तरह के जब किसी के माँ बाप को बुरा भला कहेगा तो वह भी उसके माँ बाप को बुरा भला कहेगा।” 📕 मुस्लिम : २६३
गुनाह से न रोकने का वबाल रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जो आदमी ऐसे लोगों के दर्मियान रह कर गुनाह के काम करता हो के वह उस को रोकने पर कादिर हों, मगर फिर भी न रोकें तो अल्लाह तआला मरने से पहले उन को भी उस गुनाह के अज़ाब में मुब्तला कर देगा।" 📕 अबू दाऊद: ४३३९-हसन
गुनाह और जुल्म व ज्यादती की बातें न करो कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : “ऐ ईमान वालो! जब तुम आपस में खुफिया बातें करो, तो गुनाह और जुल्म व ज्यादती और रसुल की नाफ़रमानी की बातें न किया करो, बलके भलाई और परहेजगारी की बातें किया करो और अल्लाह से डरते रहो, जिसके पास तुम सब जमा किये जाओगे।" 📕 सूरह मुजादला : 58:9
गुनाह देख कर खामोश ना रहो कुरआन में अल्लाह तआला फ़रमाता है - "तुम ऐसे अज़ाब से बचो, जो सिर्फ गुनाह करने वालों ही पर नहीं आएगा, बल्कि गुनाह देख कर खामोश रहने वालों को भी अपनी पकड़ में लेगा खूब जान लो के अल्लाह सख्त सज़ा देने वाला है।" 📕 सूर-ए-अनफाल: २५
लोगों के लिये वही चीज पसंद करो जो तुम अपने लिये पसंद करते हो रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "तक़वा व परहेजगारी इख्तियार करो, सब से बड़े इबादत गुजार बन जाओगे और थोड़ी चीज पर रजामन्द हो जाओ सब से बड़े शुक्रगुज़ार बन जाओगे और लोगों के लिये वही चीज पसंद करो जो तुम अपने लिये पसंद करते हो, तुम (सच्चे) मोमिन बन जाओगे और तुम अपने पड़ोसी के साथ हुस्ने सुलूक करो (पक्के) मुसलमान बन जाओगे और कम हँसा करो, क्योंकि ज्यादा हँसने से दिल मुर्दा हो जाता है।" 📕 इब्ने माजा : ४२१७
Islam ki khubiyan : इस्लाम की विशेषताएं | इस्लाम धर्म की शिक्षाएं इस पोस्ट में हम जानेंगे "इस्लाम धर्म की शिक्षाएं, इस्लाम धर्म के सिद्धांत, इस्लाम की सच्चाई, इस्लाम के नियम, इस्लाम का उदय।" १. इस्लाम धर्म की बुनियादी शिक्षाएं हैं "शांति, प्रेम, सद्भाव व भाईचारा" २. इस्लाम की एक विशेषता यह भी है कि यह लोगों के ऊपर दया तथा कृपा करने वाला धर्म है। पैग़म्बर मुहम्मद ने फ़रमाया किः “अल्लाह रफ़ीक (नरम) है, नरमी को पसंद करता है तथा नरमी बरतने पर वह जो कुछ देता है सख़्ती बरतने पर नहीं देता।" [मुस्लिम] ३. इस्लाम तुम्हें आदेश देता है कि तुम लोगों के साथ न्याय करो और उनके लिए वही चीज़ पसंद करो जो अपने…
MD. Salim Shaikh
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