घर से वुजू कर के मस्जिद जाने का सवाब रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "जब तुम में से कोई घर से वुजू कर के मस्जिद आए, तो घर लौटने तक उसे नमाज का सवाब मिलता रहेगा।" 📕 मुस्तदरक : ७४४
अमेरिका के तीन ईसाई पादरी आये इस्लाम की… एक साथ तीन पादरियो ने अपनाया ईस्लाम: अमेरिका के तीन ईसाई पादरी इस्लाम की शरण में आ गए। उन्हीं तीन पादरियों में से एक पूर्व ईसाई पादरी यूसुफ एस्टीज की जुबानी कि कैसे वे जुटे थे एक मिस्री मुसलमान को ईसाई बनाने में, मगर जब सत्य सामने आया तो खुद…
तीन उंगलियों से खाना हजरत कअब बिन मालिक (र.अ) फरमाते हैं : रसूलुल्लाह (ﷺ) तीन उंगलियों से खाते थे और जब खाने से फारिग हो जाते तो उंगलियाँ चाट लेते थे। 📕 मुस्लिम: ५२९८ नोट: खाने के बाद उंगलियों को चाटना सुन्नत है, लेकिन इस तरह नहीं चाटना चाहिये के देखने वाले को नागवार…
मिस्वाक दाँतों की चौड़ाई में करना रबीआ बिन अकसम (र.अ.) फ़रमाते हैं के: “रसूलुल्लाह (ﷺ) दांतों की चौड़ाई में (यानी दाएँ से बाएँ और बाएँ से दाएँ) मिस्वाक फरमाते थे।” 📕 सुनने कुबरा लिल बैहकी: ४०/२
इस्तिन्जे के बाद वुजू करना हजरत आयशा (र.अ) फर्माती हैं के - रसूलुल्लाह (ﷺ) जब बैतुलखला से निकलते तो वुजू फरमाते। 📕 मुस्नदे अहमद : २५०३३
इन्सान की पैदाइश तीन अंधेरों में काइनात की सब से हसीन तरीन मख्लूख “इन्सान” जिस के लिये अल्लाह तआला ने इस कारखान ए आलम को वुजूद बख्शा है, उसकी तखलीख अल्लाह तआला जहाँ कर रहा हैं, वह जगह न बहुत बड़ी है और न वहाँ रोशनी का इन्तज़ाम है, न वहाँ कोई काम करने वाले हैं, बल्के अल्लाह…
वुजू कर के इमाम के साथ नमाज अदा करने की फ़ज़ीलत रसुलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जिस ने अच्छी तरह मुकम्मल वुजू किया, फिर फर्ज नमाज अदा करने के लिये गया और इमाम के साथ नमाज पढी, उसके (सगीरा गुनाह) माफ कर दिये जाते हैं।" 📕 इब्ने खुजैमा १४०९
तीन आदमी अल्लाह की जमानत में है रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया: "तीन आदमी की अल्लाह ने जमानत ले रखी है, अगर वह जिन्दा रहें तो बक्रद्रे जरूरत रोजी मिलती है और अगर वफात पा जाएं तो अल्लाह तआला जन्नत में दाखिल फ़र्माता है (एक वह) जो घर में दाखिल होते वक़्त सलाम करे तो अल्लाह तआला उस…
तीन काम में देर ना करो (नमाज़, जनाज़ा और निकाह) रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "ऐ अली! तीन काम वह है जिनमें ताखीर न करो। (१) नमाज़, जब उस का वक्त आ जाए।(२) जनाज़ा, जब तैयार हो जाए।(३) बेशोहर वाली औरत का निकाह, जब उसके लिए कोई मुनासिब जोडा (रिश्ता) मिल जाए।" 📕 तिर्मिजी: १७१. अली बिन अबी तालिब (र.अ)