अबू हरैराह (रज़ी) से रिवायत है के, अल्लाह के रसूल (ﷺ) ने फ़रमाया:
“शोहर की गैर हाजिरी मे इसकी इजाजत के बगैर कोई औरत रोज़ा ना रखे सिवाय रमज़ान के, और बगैर इस की इजाजत के इस की मौजूदगी में किसी को घर में आने की इजाजत न दे।”
मुस्लिम औरत | दुनिया की सबसे बेहतरीन पूंजी इस पोस्ट में हम मुस्लिम औरत की पहचान और खूबियाँ, उसकी जिम्मेदारियां, और उसको मिलने वाले हुकूक, उसकी नादानियों और शर्र की वजह से होने वाले हश्र पर गौर करेंगे। मुस्लिम ख़्वातीन से मुताअ़ल्लिक़ मोअ्तबर अह़ादीस़ का एक मुख़्तसर मजूमुआ औरत / माँ की रह़मत उमर बिन ख़त्ताब रजिअल्लाहु अ़न्हु फ़रमाते हैं कि वो अल्लाह के नबी ﷺ के पास कुछ क़ैदी ले कर आए। उन कैदियों में एक औ़रत भी थी जो (अपने) बच्चे को तलाश कर रही थी। जब उसे कोई बच्चा मिलता उसे अपने सीने से लगा लेती और दूध पिलाती। ये मंज़र देख कर अल्लाह के…
कीसी की तकलीफ दूर करने का सवाब: हदीस किसी की तकलीफ दूर करने का सवाब: हदीस रसूलअल्लाह (ﷺ) फरमाते है: "जिस शख्स ने किसी मुसलमान की दुनियावी मुश्किलात (तकलीफ) में से कोई मुश्किल दूर की तो अल्लाह तआला उस की क़यामत की मुश्किलात में से कोई मुश्किल दूर कर देगा" 📕 मुस्लिम, जिल्द 3, पेज 493
बदन में एक गोश का टुकड़ा है जब वो दुरुस्त होगा तो सारा बदन दुरुस्त होगा: हदीस हदिस: दिल के कैफ़ीयत की अहमियत नुमान बिन बशीर (र.अ.) से रिवायत है के, मैंने रसूलअल्लाह (ﷺ) से सुना की, "सुन लो ! बदन में एक गोश का टुकड़ा है जब वो दुरुस्त होगा तो सारा बदन दुरुस्त होगा और अगर वो बिगड़ गया तो सारा बदन बिगड़ गया और वो तुम्हारा दिल है।" 📕 सहीह अल बुखारी, हदीस: 52
देवर तो मौत है | शौहर के भाइयों से परदे का हुक्म रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "ना महरम) औरतों के पास आने जाने से बचो! एक अन्सारी सहाबी ने अर्ज किया : देवर के बारे में आप क्या फ़र्माते हैं ? तो आप (ﷺ) ने फर्माया: देवर तो मौत है।" 📕 बुखारी : ५२३२ वजाहत: शौहर के भाई वगैरह से परदा करना इन्तेहाई जरूरी है और उस से इस तरह बचना चाहिये। जिस तरह मौत से बचा जाता है।
इजाजत तलब करो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "(अगर किसी से मिलने जाओ तो अन्दर दाखिल होने से पहले) तीन मर्तबा इजाजत तलब करो, अगर इजाजत मिल जाए तो ठीक है वरना वापस लौट जाओ।" 📕 मुस्लिम : ५६३३
माँ बाप की नाफरमानी से बचो : क़ुरान हदीस की रौशनी में | Maa Baap ki Nafarmani se bachey ۞ बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम ۞ अपने माँ बाप को उफ्फ तक न कहो: "और तुम्हारे रब ने फ़रमाया है की, उसके सिवा किसी की ईबादत ना करो और अपने माँ बाप के साथ भलाई करते रहो और अगर तुम्हारे सामने उनमें से एक या दोनों बुढ़ापे को पहुँच जाये तो उन्हे उफ़ भी न कहो और ना उन्हें झिड़को और उनसे अदब से बात करो और उनके सामने शफ़कत से आजज़ी के साथ झुके रहो और कहो की एह मेरे रब! जैसे उन्होंने मुझे बचपन से पाला है इसी तरह तू भी उन पर रहम फरमा।" 📕 सुरह बनी इसराईल 17:23-24 बाप…
रोज़े की हालत में भी झूठ और दगाबाज़ी से बचे | Roze ki Halat me bhi Jhoot aur Dagabazi se bachey Hadees of the Day रोज़े की हालत में भी झूठ और दगाबाज़ी से बचे ۞ हदीस: अबू हुरैरा (र.अ.) से रिवायत है की,रसूलअल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमाया - "अगर कोई शक्श (रोजा रख कर भी) झूठ बोलना और दगाबाजी करना ना छोड़े तो अल्लाह सुभानहु ताला को उसकी कोई जरूरत नहीं कि वो अपना खाना पीना छोड़ दे।" 📕 सहिह बुखारी, खंड 3, हदीस 1903
तलाक, हलाला और खुला की हकीकत (Triple Talaq & Halala) • तलाक की हकीकत: पति पत्नी में अगर किसी तरह भी निबाह नहीं हो पा रहा है तो अपनी ज़िदगी जहन्नम बनाने से बहतर है कि वो अलग हो कर अपनी ज़िन्दगी का सफ़र अपनी मर्ज़ी से पूरा करें इसी को तलाक कहते है जो कि इंसान होने के नाते उनका हक है, इसी लिए दुनियां भर के कानून में तलाक़ की गुंजाइश मौजूद है। और इसी लिए पैगम्बरों के दीन (धर्म) में भी तलाक़ की गुंजाइश हमेशा से रही है। यूं तो तलाक़ कोई अच्छी चीज़ नहीं है और सभी लोग इसको ना पसंद करते हैं इस्लाम में भी…
Munafiq Meaning in Hindi (मुनाफिक का अर्थ) – कुरान और हदीस की रौशनी में Munafiq किसे कहते हैं? मुनाफिक (Munafiq) एक अरबी शब्द है जिसका मतलब होता है: ऐसा व्यक्ति जो बाहर से मुसलमान दिखे लेकिन दिल से ईमान न रखे। हिंदी में इसे पाखंडी या कपट करने वाला कहा जा सकता है। यह एक बहुत गंभीर इस्लामी संज्ञा है जिसका उल्लेख कुरान और हदीस में बार-बार हुआ है। 📖 मुनाफिक की पहचान – कुरान के अनुसार कुरान शरीफ मुनाफिकों को उन लोगों के रूप में पेश करता है जो जुबान से "हम ईमान लाए" कहते हैं, लेकिन उनके दिलों में ईमान नहीं होता। 🔹 आयत: “जब मुनाफिक तुम्हारे पास आते हैं, तो कहते…
ग़लत हदीस बयान करने की सज़ा रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "मेरी हदीस को बयान करने में एहतियात करो और वही बयान करो जिस का तुम्हें यक़ीनी इल्म हो, जो शख्स जान बूझ कर मेरी तरफ से कोई गलत बात बयान करे, वह अपना ठिकाना जहन्नम में बना ले।" 📕 तिर्मिज़ी: २९५१
पांच चीज़ों को 5 से पहले घनीमत समझो पांच चीज़ों को 5 से पहले घनीमत समझो हदीस: अब्दुल्ला इब्न अब्बास (र.) से रिवायत है के,अल्लाह के नबी (ﷺ) ने फरमाया: “पांच (5) चीज़ों को पांच (5) चीज़ों से पहले घनीमत समझो। (1). अपनी जवानी को बुढ़ापे से पहले,(2). अपनी सेहत को बीमारी से पहले,(3). अपनी मालदारी को गुरबत (गरीबी) से पहले,(4). अपनी फरागत को मसरुफियत से पहले,(5). अपनी जिंदगी को मौत से पहले। 📕 शुआब अल-ईमान, हदीस 9575
नमाजे अस्र की अहमियत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : "जिस शख्स ने अस्र की नमाज़ छोड़ दी, तो उस का अमल जाया हो गया।" 📕 बुखारी : ५५३. अन बुरैया (र.अ) वजाहत: दिन और रात में तमाम मुसलमानों पर पाँचों नमाजों को अदा करना तो फर्ज है ही, लेकिन ख़ास तौर से अस्त्र की नमाज़ छोड़ने वालों के हक में रसूलल्लाह (ﷺ) का वईद बयान फर्माना इस की अहमियत को मजीद बढ़ा देता है, चुनान्चे हमारे लिए जरूरी है के हम अस्र की नमाज वक्त पर अदा करें और कजा न करें। अल्लाहतआला हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल की तौफीक दे , अमीन।
MD. Salim Shaikh
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