शबे क़द्र और इस की रात का महत्वः (शबे क़द्र की फ़ज़ीलत हिंदी में) शबे क़द्र का अर्थ: रमज़ान महीने में एक रात ऐसी भी आती है, जो हज़ार महीने की रात से बेहतर है। जिसे शबे क़द्र कहा जाता है। शबे क़द्र का अर्थ होता हैः "सर्वश्रेष्ट रात", ऊंचे स्थान वाली रात”, लोगों के नसीब लिखी जानी वाली रात। शबे क़द्र बहुत ही महत्वपूर्ण रात है, जिस के एक रात की इबादत हज़ार महीनों (83 वर्ष 4 महीने) की इबादतों से बेहतर और अच्छा है। इसी लिए इस रात की फज़ीलत क़ुरआन मजीद और प्रिय रसूल मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की हदीसों से प्रमाणित है। ♪ Shabe Qadr ki Fazilat Audio me…
झूठ बोलना कब और कहाँ जायज़ है | 3 ऐसी जगह जहां झूठ बोलना जायज है ... झूठ बोलना कैसा है ? झूठ बहुत बड़ा गुनाह है, झूठे इंसान पर अल्लाह तालाह की लानत होती है। अल्लाह ताला कुराने करीम में फरमाता है “बेशक झूठ बोलने वाले पर अल्लाह की लानत है।” ३:६१ लेकिन आज हम आप को यहाँ पर झूठ के बारे में ऐसी बात बताने जा रहे हैं, जो शायद आप न जानते हों। झूठ बोलने के लिए इस्लाम में सख्ती से मना किया गया है, लेकिन कहा जाता है कि तीन मौके पर झूठ बोलना जायज़ है। अगर इंसान इन तीन मौके पर झूठ बोलता है तो उसे गुनाह नहीं मिलता है। झूठ बोलना…
दुनिया की जाहिरी हालत धोका है कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : "यह लोग सिर्फ दुनियावी ज़िंदगी की ज़ाहिरी हालत को जानते हैं और यह आख़िरत से बिल्कुल ग़ाफिल हैं।" (यानी इन्सान सिर्फ दुनिया की चीजों को जानते और उसी को हासिल करने की फिक्र में लगे रहते हैं, उन्हें पता ही नहीं है के इस के बाद दूसरी जिंदगी आने वाली है और वह हमेशा हमेशा की जिंदगी है, लिहाजा दुनिया में लगने के बजाए आखिरत की तय्यारी में मशगूल रहना चाहिये।)" 📕 सूरह रूम : ७
सुभानअल्लाह और ला इलाहा इलल्लाह की फ़ज़ीलत | तस्बीह, तहलील और तक्दिस ✦ मफ़हूम-ऐ-हदिस ✦ युसरा रजीअल्लाहु अन्हा फरमाती है के, नबी-ऐ-करीम (ﷺ) ने हम से फ़रमाया: "तुम लोग तस्बीह (सुभानअल्लाह) , तहलील (ला इलाहा इलल्लाह) और तक्दिस (सुभानल मलिकिल कुद्दुस या सुबहू कुद्दुस, रब्बना व ल मलाईकतु वा रुहु ) पढ़ते रहा करो।" और इनको उंगलियों के पोरों (Finger Tips) पर शुमार करो। इस लिए की क़यामत के दिन इस (उंगलियों) से सवाल किया जायेगा और वो बोलेगी, फिर गाफिल न हो जाना क्यूंकि इस से तुम असबाब-ऐ-रहमत भूल जाओगे।" 📕 जामिया तिरमिज़ी , 1506-हसन Subhan'Allah aur La ilaha illallah Ki Fazilat - Tasbeeh, Tahleel aur Taqdis Padhte Raha karo.
ज़कात क्या है ? और किसको देनी चाहिये ? ज़कात क्या है ? और किसको देनी चाहिये ? रमज़ान के अशरे में सब मुसलमान अपनी साल भर की कमाई की ज़कात निकालते है। तो ज़कात क्या है ? कुरआन मजीद में अल्लाह ने फ़र्माया है : "ज़कात तुम्हारी कमाई में गरीबों और मिस्कीनों का हक है।" ज़कात कितनी निकालनी चाहिये इसके लिए आप इस ऑडियो को सुने - ♫ Ramzan Ke Masail - Zakat , Fitr , Sadqa और ज़कात किसे देनी चाहिए इसपर हम इस पोस्ट में मुख़्तसर सा बयांन करने की कोशिश कर रहे है. ✦ ज़कात क्या है ? अल्लाह के लिये माल का एक हिस्सा…
अप्रैल फूल और इस्लाम | April Fool aur Islam अप्रैल फूल मनाना इस्लाम में जायज़ नहीं क्योंकि इस दिन लोगों को हंसाने और लोगों को प्रैक के नाम पर परेशान करने के लिए "झूठ" बोला जाता है।
रमज़ान का महिना ... जानिए: इसमें क्या है हासिल करना? हम मुसलमानों ने कुरआन की तरह रमज़ान को भी सिर्फ सवाब की चीज़ बना कर रख छोड़ा है, हम रमज़ान के महीने से सवाब के अलावा कुछ हासिल नहीं करना चाहते इसी लिए हमारी ज़िन्दगी हर रमज़ान के बाद फ़ौरन फिर उसी पटरी पर आ जाती है जिस पर वो रमज़ान से पहले चल रही थी
जानिए - रोज़ा क्या और क्यों ? इंसान के बुनियादी सवाल !!! इस सम्पूर्ण विश्व और इंसान का अल्लाह (ईश्वर) एक है। ईश्वर ने इंसान को बनाया और उसकी सभी आवश्यकताओं को पूरा करने का प्रबंध किया। इंसान को इस ग्रह पर जीवित रहने के लिए लाइफ सपोर्ट सिस्टम दिया। इंसान को उसके मूल प्रश्नों का उत्तर भी बताया। इंसान को क्या कोई बनाने वाला है? अगर है, तो वह क्या चाहता है? इंसान को पैदा क्यों किया गया? इंसान के जीवन का उद्देश्य क्या है? अगर है, तो उस उद्देश्य को पाने का तरीक़ा क्या है? इंसान को आज़ाद पैदा किया गया या मजबूर ? अच्छी…
Hasad meaning in Hindi | हसद: एक खतरनाक बिमारी Hasad meaning in Hindi : कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति की खुशहाली, समृद्धि, या सफलता देखकर असंतुष्ट और दुखी महसूस करता है इसे हसद कहते है
ताजिया क्या है और इसकी शुरूआत | Tajiya kya hota hai? मुहर्रम क्या है ? मुहर्रम कोई त्योहार नहीं है, यह सिर्फ इस्लामी हिजरी सन् का पहला महीना है। पूरी इस्लामी दुनिया में मुहर्रम की नौ और दस तारीख को मुसलमान रोजे रखते हैं और मस्जिदों-घरों में इबादत की जाती है। क्यूंकि ये तारीख इस्लामी इतिहास कि बहुत खास तारीख है….. रहा सवाल भारत में ताजियादारी का तो यह एक शुद्ध भारतीय परंपरा है, जिसका इस्लाम से कोई ताल्लुक़ नहीं है। .. तजिया की शुरुआत बरसों पहले तैमूर लंग बादशाह ने की थी, जिसका ताल्लुक शीआ संप्रदाय से था। तब से भारत के शीआ और कुछ क्षेत्रों में हिन्दू भी ताजियों (इमाम हुसैन…
Iman par Qayam Rehne ki Dua: Mai Razi hu ke Allah Mera Rab Hai Iman par Qayam Rehne ki Dua Mai Razi hu ke Allah Mera Rab Hai ✦ Hadees: Rasool-e-Kareem (ﷺ) ke khadim, Abu Salam (R.A.) se riwayat hai ki,Rasool'Allah (ﷺ) ne farmaya "Jo bhi Musalman ya Insaan (ya banda) Subah Shaam ye Kalimat kahe "Radhitu billahi Rabba Wa bil Islami Deena wa bi Muhammadin Nabiyyan" tou Allah Subhanahu Qayamat ke din usko jarur khush farma dega. (Main raazi hu Allah ke Rabb hone par, Islam ke Deen hone par aur Muhammad ﷺ ke nabi hone par.) 📕 Sunan Ibn Majah, Jild 3, 751-Hasan 📕 Sahih Ibn Hibban , 870-Hasan
रमज़ान का तआरुफी ख़ुत्बा | Ramzan ka Khutba ए लोगो!" तुम पर एक अज़ीम और मुबारक महीना साया फगन होने वाला है, ऐसा महीना जिसमें एक ऐसी रात (शबे कदर) है जो 1000 महीनों से बढ़कर ....
क़यामत के दिन लोगों की हालत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "क़यामत के रोज़ सूरज एक मील के फासले पर होगा और उसकी गर्मी में भी इज़ाफा कर दिया जाएगा, जिस की वजह से लोगों की खोपड़ियों में दिमाग़ इस तरह उबल रहा होगा जिस तरह हाँड़ियाँ जोश मारती हैं, लोग अपने गुनाहों के बक़द्र पसीने में डूबे हुए होंगे, बाज टखनों तक, बाज़ पिंडलियों तक, बाज कमर तक और बाज़ के मुंह में लगाम की तरह होगा।" 📕 मुस्नदे अहमद : २१६८२
MD. Salim Shaikh
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