तहज्जुद की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : ”जब कोई आदमी रात को अपनी बीवी को बेदार करता है और अगर उस पर नींद का ग़लबा हो, तो उसके चेहरे पर पानी छिडक कर उठाता है और फिर दोनों अपने घर में खड़े होकर रात का कुछ हिस्सा अल्लाह की याद में गुज़रते हैं तो उन दोनों की मग़फिरत कर दी जाती है।” 📕 तबरानी कबीर:3370, अन अबी मालिक (र.अ)
मुसाफा से गुनाहों का झड़ना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जब मोमिन दूसरे मोमिन से मिल कर सलाम करता है और उस का हाथ पकड़ कर मुसाफा करता है, तो उन दोनों के गुनाह इस तरह झड़ते हैं जैसे दरख्त के पत्ते गिरते हैं।" 📕 तबरानी औसत : २५०, अन हुजैफा (र.अ)
रुख्सत के वक़्त मुसाफा करना रसूलुल्लाह (ﷺ) जब किसी को रुख्सत फर्माते, तो उस का हाथ अपने हाथ में ले लेते और उस वक़्त तक (उसका हाथ) न छोड़ते, जब तक के वह आप के हाथ को खुद न छोड़ दे। 📕 तिर्मिजी : ३४४२, अन इब्ने उमर (र.अ)
अल्लाह के रास्ते में मौत की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "जो अल्लाह के रास्ते में कत्ल किया जाए, या उसको मौत आजाए, तो वह (सीधा) जन्नत में जाता है।" 📕 मुस्तदरक हाकिम: २५२१, अन उमर (र.अ)
दो आदतें: दीनी मामले में अपने से बुलन्द शख्स को देखे ... रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "जो शख्स दीनी मामले में अपने से बुलन्द शख्स को देख कर उस की पैरवी करे और दुनियावी मामले में अपने से कमतर को देख कर अल्लाह तआला की अता करदा फजीलत पर उस की तारीफ करे, तो अल्लाह तआला उस को (इन दो आदतों की वजह से) सब्र करने वाला और शुक्र करने वाला लिख देता हैं। और जो शख्स दीनी मामले में अपने से कमतर को देखे और दूनीयावी मामले में अपने से ऊपर वाले को देख कर अफसोस करे, तो अल्लाह तआला उसको साबिर व शाकिर नहीं लिखता।" 📕 तिर्मिज़ी : २५१२
घर में नफील नमाज़ पढ़ने की फ़ज़ीलत घर में नफील नमाज़ पढ़ने की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जब तुम में से कोई मस्जिद में (फ़र्ज़) नमाज़ अदा कर ले, तो अपनी नमाज़ में से कुछ हिस्सा घर के लिए भी छोड़ दे; क्योंकि अल्लाह तआला बन्दे की (नफ़्ल) नमाज़ की वजह से उस के घर में खैर नाज़िल करता हैं।" 📕 सही मुस्लिम : ७७८, अन जाबिर (र.अ) एक और रिवायत में, रसूलअल्लाह(ﷺ) ने फरमाया – “फ़र्ज़ नमाज़ के अलावा (सुन्नत और नवाफ़िल नमाज़े) घर में पढ़ना मेरी इस मस्जिद (मस्जिद-ए-नबवी) में नमाज़ पढ़ने से भी अफ़ज़ल है।” 📕 सुनन अबू दाऊद: 1044, जैद इब्ने…
अरफ़ा के दिन रोजा रखने की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : “अरफ़ा के दिन का रोजा रखना एक साल अगले एक साल पिछले गुनाहों को माफ़ करा देता है।” 📕 सही इब्ने खुजैमाः३०३४
रास्ते से तकलीफ़ देह चीज़ को हटाने की फ़ज़ीलत सूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : “एक आदमी का इन्तेकाल हो गया, उसने कोई नेकी नहीं की थी, हां! उस ने रास्ते से कांटे की टहनी उठा कर फेंकी थी या (रास्ते पर) कोई दरख्त था जिसे उसने काट डाला था और उसे किनारे डाल दिया था, अल्लाह तआला ने उसे इस के बदले में जन्नत में दाखिल कर दिया।” 📕 अबू दाऊद : ५२४५, अन अबी हुरैरह (र.अ) रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया: “एक आदमी रास्ते से गुजर रहा था, के उसे काँटेदार दरख्त की शाख रास्ते में पड़ी मिली, तो उस ने हटा कर किनारे कर दिया और उस पर अल्लाह…
नर्म मिज़ाजी इख्तियार करना लोगों के साथ नर्मी से पेश आने की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "क्या मैं तुम को ऐसे शख्स की खबर न दूँ जो दोजख के लिये हराम है और दोज़ख की आग उस पर हराम है? हर ऐसे शख्स पर जो तेज़ मिजाज न हो बल्के नर्म हो, लोगों से क़रीब होने वाला हो, नर्म मिजाज हो।" 📕 तिर्मिज़ी : २४८८, अन इब्ने मसऊद (र.अ)
अल्लाह की राह में अपनी जवानी लगाने की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया: "जिसने अपनी जवानी अल्लाह के रास्ते में गुजार दी, तो कयामत के दिन उस के लिये एक नूर होगा।" 📕 निसाई : ३१४४
मुसाफा मगफिरत का जरिया है रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: "जब दो मुसलमान आपस में मिलते हैं और मुसाफा करते हैं, तो जुदा होने से पहले उन दोनों की मगफिरत कर दी जाती है।" 📕 अबू दाऊद: ५२१२
बाराह रकात नफ़्ल नमाज अदा करने की फ़ज़ीलत रसुलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : “जो शख्स एक दिन में बाराह रकात नफ़्ल नमाज़ पढ़ेगा, तो इन नमाज़ों बदले में उसके लिए जन्नत में एक घर बनाया जाएगा।” 📕 अबू दाऊदः १२५०, अन उम्मे हबीबा (र.अ)
अपने अख़्लाक़ दुरूस्त करने की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "कामयाब हो गया वह आदमी जिस ने अपने दिल को ईमान के लिये सफारिश कर दिया और उसे सही सालिम रखा और अपनी जबान को सच्चा बनाया, अपने नफ़्स को नफ्से मुतमइन्ना और अख़्लाक़ को दुरूस्त बनाया और कानों को हक़ बात सुनने का और आँखों को अच्छी चीजों को देखने का आदी बनाया।" 📕 मुस्नदे अहमद: २०८०३, अन अबी जर (र.अ)
थोड़ी सी रोज़ी पर रहने की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "जो शख्स अल्लाह तआला से थोड़ी रोजी पर राजी रहे, तो अल्लाह तआला भी उसकी तरफ से थोड़े से अमल पर राजी हो जाता हैं।" 📕 बैहकी शोअबुल ईमान : ४०९
MD. Salim Shaikh
Assalamu Alaikum – I am Mohammad Salim Shaikh, founder of Ummat-e-Nabi.com, sharing authentic Islamic knowledge since 2010. My mission is to present the beauty of Islam in a simple and clear way through Qur’an and Hadith. Alhamdulillah, our Facebook page fb.com/UENofficial
with 900,000+ followers continues to spread Islamic teachings, building a strong global community of learning and faith.