“दिलों में भी ज़ंग लगता है, जैसे के लोहे में जब पानी लग जाता है” तो पूछा गया (दिलों का ज़ंग) कैसे दूर होगा? रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया “मौत को खूब याद करने और क़ुरआन पाक की तिलावत से।”
मौत के वक्त कलमा तय्यबा पढ़ने की फ़ज़ीलत : हदीस मौत के वक्त कलमा तय्यबा पढ़ने की फ़ज़ीलत ۞ हदीस: मुआद बिन जबल (र.अ.) से रिवायत है के, रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फरमाया: "जिस नफ्स को भी इस हाल में मौत आए की वो इस बात की गवाही देता हो की अल्लाह के सिवा कोई माबूद नही और मैं (मुहम्मद सलअल्लाहू अलैही वसल्लम) अल्लाह का रसूल हूँ और ये गवाही दिल के यकीन से हो तो अल्लाह सुबहानहु उसकी मगफिरत फरमा देगा।" 📕 सुनन इब्न माजा, 3796 सुभान अल्लाह ! ۞ अल्लाह ताला हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल की तौफ़ीक़ अता फरमाए। ۞ जबतक हमे ज़िंदा रखे इस्लाम और इमां…
कसरत से इस्तिग़फार करने की सुन्नत हज़रत अबू हुरैरा (र.अ) फर्माते हैं के मैं ने रसूलुल्लाह (ﷺ) को फर्माते हुए सुना के: "ख़ुदा की कसम ! मैं दिन में सत्तर से जियादा मर्तबा अल्लाह तआला से तौबा व इस्तिगफार करता हूँ।" 📕 बुख़ारी: ६३०७
कसरत से सज्दा करने की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "कसरत से सज्दा किया करो क्योंकि जब तुम सिर्फ और सिर्फ अल्लाह के लिये सज्दा करोगे तो अल्लाह तआला उस के बदले तुम्हें एक दर्जा बुलंद करेगा और तुम्हारा एक गुनाह माफ करेगा।" 📕 मुस्लिम: 1093
अपने घरवालों पर खर्च करने की फ़ज़ीलत अपने घरवालों पर खर्च करने की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "एक वह दीनार जिसे तुमने अल्लाह के रास्ते में खर्च किया और एक वह दीनार जिसे तुमने किसी गुलाम के आज़ाद करने में खर्च किया और एक वह दीनार जो तुमने किसी ग़रीब को सदका किया और एक वह दीनार जो तुम ने अपने घर वालों पर खर्च किया तो इन में से उस दीनार का अज्र व सवाव सबसे ज़ियादा है, जो तुमने अपने अहल व अयाल पर खर्च किया।" 📕 मुस्लिम : २३११
जहन्नम का जोश कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : "जब जहन्नम (क़यामत के झुटलाने वालों) को दूर से देखेगी, तो वह लोग (दूर ही से) उस का जोश व खरोश सुनेंगे और जब वह दोज़ख़ की किसी तंग जगह में हाथ पाँव जकड़ कर डाल दिये जाएंगे, तो वहाँ मौत ही मौत पुकारेंगे। (जैसा के मुसीबत में लोग मौत की तमन्ना करते हैं)।" 📕 सूर-ए-फुरकान : १२ ता १३
अल्लाह के रास्ते में मौत की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "जो अल्लाह के रास्ते में कत्ल किया जाए, या उसको मौत आजाए, तो वह (सीधा) जन्नत में जाता है।" 📕 मुस्तदरक हाकिम: २५२१, अन उमर (र.अ)
मौत की तमन्ना करना कैसा? मौत की तमन्ना करना कैसा ?, "किसी तकलीफ़ में अगर कोई शख़्स मुबतला हो तो उसे मौत की तमन्ना नहीं करनी चाहीए और अगर कोई मौत की तमन्ना करने ही लगे तो ये
लोगों की जरूरतें पूरी करने वालो की फ़ज़ीलत रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "अल्लाह तआला ने कुछ बन्दों को लोगों की जरूरत पूरी करने के लिये पैदा किया है, लोग उन के पास अपनी ज़रूरत ले कर जाते हैं, लोगों की जरूरत पूरी करने वाले यह लोग अल्लाह के अज़ाब से महफूज रहेंगे।” 📕 तबरानी कबीर : १३१५३
हमेशा की जन्नत व जहन्नम रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "अल्लाह तआला जन्नतियों को जन्नत में दाखिल कर देगा और जहन्नमियों को जहन्नम में दाखिल कर देगा, फिर उन के दर्मियान एक एलान करने वाला कहेगा के ऐ जन्नतियों! अब मौत नहीं आएगी, ऐ जहन्नमियों! अब मौत नहीं आएगी (तुम में का जो जहाँ है हमेशा उस में रहेगा)" 📕 मुस्लिम: ७१८३, अन इब्ने उमर (र.अ)
अल्लाह तआला सबको दोबारा ज़िन्दा करेगा कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है: "अल्लाह वह है, जिसने तुम को पैदा किया और वही तुम्हें रोजी देता है, फिर (वक्त आने पर) वही तुम को मौत देगा और फिर तुम को वही दोबारा जिन्दा करेगा।" 📕 सूरह रूम : ४० वजाहत: मरने के बाद अल्लाह तआला दोबारा जिन्दा करेंगा, जिसको "बअस बादल मौत" कहते हैं, इसके हक होने पर ईमान लाना फर्ज है।
देवर तो मौत है | शौहर के भाइयों से परदे का हुक्म रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "ना महरम) औरतों के पास आने जाने से बचो! एक अन्सारी सहाबी ने अर्ज किया : देवर के बारे में आप क्या फ़र्माते हैं ? तो आप (ﷺ) ने फर्माया: देवर तो मौत है।" 📕 बुखारी : ५२३२ वजाहत: शौहर के भाई वगैरह से परदा करना इन्तेहाई जरूरी है और उस से इस तरह बचना चाहिये। जिस तरह मौत से बचा जाता है।
मुसीबत या खतरे को टालने की दुआ जब किसी मुसीबत या बला का अंदेशा हो, तो इस दुआ को कसरत से पढ़े: “हमारे लिए अल्लाह काफ़ी है और वह बेहतरीन काम बनाने वाला है, हम उसी पर भरोसा करते हैं।” 📕 तिर्मिज़ी : २४३१, अन अबी सईद खुदरी (र.अ)
वसिय्यत के लिए दो इंसाफ पसंद लोग गवाह हो कूरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है: "ऐ ईमान वालो ! जब तुम में से किसी को मौत आने लगे वसीय्यत के वक्त शहादत के लिये तूम (मुसलमानों) में से दो इन्साफ पसन्द आदमी गवाह होने चाहिये या फिर तुम्हारे अलावा दूसरी कौम के लोग गवाह होने चाहिये। जैसे तुम सफर में गए हो, फिर तुम्हें मौत का हादसा आ जाए।" 📕 सूरह मायेदा: १०६
क़यामत से पहले माल का ज़ियादा होना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने इरशाद फर्माया : "उस वक़्त तक क़यामत नहीं आएगी जब तक तुम्हारे अन्दर माल की इतनी कसरत न हो जाए के वह बहने लगे, यहाँ तक के माल वाले आदमी को इस बात पर रंज व ग़म होगा के उस से कौन सदक़ा क़बूल करेगा? वह एक आदमी को सद्के के लिये बुलाएगा तो वह कह देगा के मुझे इस की कोई जरूरत नहीं।" 📕 मुस्लिम: २३४०, अन अबी हुरैरह (र.अ)
गुनाहों को छोड़ देना बेहतरीन हिजरत है हज़रत अनस की वालिदा ने सरकारे दो आलम (ﷺ) कीखिदमत में हाज़िर हो कर अर्ज किया: मुझे कुछ वसिय्यत फर्माइये। आप (ﷺ) ने इर्शाद फ़ाया : "गुनाहों को छोड़ देना बेहतरीन हिजरत है, फ़राइज़ की हिफ़ाज़त करना बेहतरीन जिहाद है और ज़िक्रे इलाही ब कसरत करती रहो, इस लिए के तुम अल्लाह के यहाँ इस से जियादा महबूब चीज़ लेकर नहीं आ सकती हो।" 📕 तबरानी कबीर : २०८२१
MD. Salim Shaikh
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