खुलासा : अगर किसी शख्स ने कोई सामान यह कह कर माँगा के वापस कर दूंगा, तो उस का मुक़र्रर वक्त पर लौटाना वाजिब है, उसको अपने पास रख लेना और बहाना बनाना जाइज नही है।
सबसे ज्यादा आज़माइश किन लोगों की हुई? हदीसे नबवी ﷺ सबसे ज्यादा आज़माइश किन लोगों की हुई? हज़रत मुसब बिन साद रज़िअल्लाहु अन्हु फरमाते हैं के, मैंने रसूलल्लाह ﷺ से दरियाफ्त किया: या रसूलल्लाह! सब से ज्यादा आजमाइश में किन लोगों को डाला जाता है? आप ﷺ ने इरशाद फरमाया: “अंबिया अलैहि सलाम को, फिर उसे जो अंबिया से करीबतर हो, फिर उसे जो अंबिया से करीब हो। (यानी जो अंबिया से जितना ज्यादा कुर्ब ओ ताल्लुक रखेगा उसे उतना ही ज्यादा आज़माया जाएगा)। आदमी को उसके दीन के मुताबिक आज़माया जाता है, पस अगर वो अपने दीन में पुख़्ता हो तो उसकी आज़माइश भी कड़ी होती…
जन्नत में दाखिल करने वाली चीज़ रसूलुल्लाह (ﷺ) से पूछा गया के, "लोगों को सब से ज़ियादा जन्नत में दाखिल करने वाली क्या चीज़ है?" आप (ﷺ) ने फर्माया : "अल्लाह से डरना और अच्छे अख्लाक़", और सब से ज़ियादा आग में दाखिल करने वाली चीज़ के बारे में सवाल किया गया। तो आप (ﷺ) ने फर्माया : मुंह और शर्मगाह।" 📕 तिर्मिज़ी : २००४, अन अबी हुरैरा (र.अ)
अमानत का वापस करना कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है: "अल्लाह तआला तुम को हुक्म देता है के जिन की अमानतें हैं उनको लौटा दो।" 📕 सूरह निसा: ५८ फायदा : अगर किसी ने किसी शख्स के पास कोई चीज़ अमानत के तौर पर रखी हो तो मुतालबे के वक़्त उसका अदा करना जरूरी है।
जख्मी हाथ का अच्छा हो जाना एक मर्तबा रसूलुल्लाह (ﷺ) खाना खा रहे थे, इतने में हज़रत जरहद अस्लमी (र.अ) हाजिरे खिदमत हुए, हुजूर ने फ़र्माया: खाना खा लीजिए, हज़रत जरहद के दाहिने हाथ में कुछ तकलीफ थी, लिहाजा उन्होंने अपना बायाँ हाथ बढ़ाया, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया: दाहिने हाथ से खाओ, हज़रत जरहदने (र.अ) फर्माया : इस में तकलीफ है, तो आप (ﷺ) ने उनके हाथ पर फूंक मारी, तो वह ऐसा ठीक हुआ के उन को मौत तक फिर वह तकलीफ महसूस नहीं हुई। 📕 तबरानी कबीर : २१०८
मोतदिल गिज़ा का इस्तेमाल खीरा (ककड़ी) के फवाइद रसूलुल्लाह (ﷺ) खजूर के साथ खीरे खाते थे। 📕 बुखारी : ५४४७ फायदा : मुहद्विसी ने किराम फ़र्माते हैं के खजूर चूँकि गर्म होती है इस लिये आप (ﷺ) उस के साथ ठंडी चीज खीरा (ककड़ी) इस्तेमाल फर्माते थे ताके दोनों मिलकर मोतदिल हो जाएं।
इल्म की फजीलत रसूलल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "इल्म की फजीलत इबादत की फजीलत से बेहतर है और दीन में बेहतरीन चीज़ तक़वा व परहेजगारी है।" 📕 तबरानी औसत: ४१०७
सिफारिश पर बतौरे हदिया माल लेना एक गुनाह रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : “किसी ने अपने (मुसलमान) भाई की किसी चीज़ में सिफारिश की और सिफारिश करने पर सामने वाले ने उस को कोई चीज बतौरे हदिया पेश की और उस ने कुबूल कर ली, तो वह सूद के बहुत बड़े दरवाजे पर आ पहुँचा।” 📕 अबू दाऊद: ३५४१
दुनिया व आखिरत में आफियत की दुआ रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : बन्दे की अपने रब से माँगी जाने वाली दुआओं में सबसे अफजल यह है: तर्जमा: ऐ अल्लाह! मैं दुनिया और आखिरत में तुझसे आफियत व भलाई का सवाल करता हूँ। 📕 इब्ने माजा: ३८५१
मोमिन पर तोहमत लगाने का गुनाह रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जो शख्स अपने मोमिन भाई को मुनाफिक के शर से बचाए, तो अल्लाह तआला कयामत के दिन ऐसे आदमी के साथ एक फरिश्ते को मुकर्रर कर देगा, जो उसके बदन को जहन्नम से बचाएगा; और जो आदमी भोमिन भाई पर किसी चीज़ की तोहमत लगाए जिस से उस को जलील करना मक्सूद हो, तो अल्लाह तआला उस को जहन्नम के पुल पर रोक देगा, यहाँ तक के वह अपनी कही हुई बात का बदला न दे दे।" 📕 अबू दाऊद : ४८८३, अन मुआन बिन अनस (र.अ)
हर बीमारी का इलाज तिब्बे नबवी से रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : “अल्लाह तआला ने हर बीमारी के लिए दवा उतारी है, जब बीमारी को सही दवा पहुँच जाती है, तो अल्लाह तआला के हुक्म से बीमारी ठीक हो जाती है।” 📕 मुस्लिम : ५७४१ एक मर्तबा हज़रत जिब्रईल (अ) रसूलुल्लाह (ﷺ) के पास तशरीफ़ लाए और पूछा: ऐ मुहम्मद (ﷺ) ! क्या आप को तकलीफ है? रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: हाँ! तो जिब्रईल ने यह दुआ पढ़ी: तर्जमा: अल्लाह के नाम से दम करता हूँ हर उस चीज़ से जो आपको तकलीफ़ दे ख्वाह किसी जानदार की बुराई हो या हसद करने वाली आँख की बुराई…
खुम्बी (मशरूम) से आँखों का इलाज रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़ारमाया : "खुम्बी का पानी ऑखों के लिये शिफा है।" 📕 बुखारी: ५७०८ फायदा : हजरत अबू हुरैरह (र.अ) अपना वाकिआ बयान करते हैं, मैंने तीन या पाँच या सात खुम्बिया ली और उसका पानी निचोड़ कर एक शीशी में रख लिया, फिर वही पानी मैंने अपनी बाँदी की दूखती हुई आँख में डाला तो वह अच्छी हो गई। [तिर्मिजी: २०११] नोट : खुम्बी को हिन्दुस्तान के बाज इलाकों में साँप की छतरी और बाज दूसरे इलाकों में कुकरमत्ता कहते हैं, याद रहे के बाज खुम्बियाँ जहरीली भी होती हैं, लिहाजा तहकीक के बाद इस्तेमाल की जाये।
इस्मे आजम का वजीफा रसूलुल्लाह (ﷺ) ने एक शख्स को दुआ मांगते हुए सुना तो फ़र्माया : तुम ने इस्मे आजम के साथ दुआ मांगी है के उस के साथ जो भी सवाल व दुआ की जाती है वह पूरी की जाती है, वह इस्मे आज़म यह है – “Allahu la ilaha illa hu al ahad’us samad’ ulladhee lam yalid walam yulad wa lam yakun lahu kufuwan ahad” 📕 तिर्मिज़ी : ३४७५, अन बुरैदा (र.अ)
अल्लाह से मदद चाहो और हिम्मत मत हारो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "अपने नफे की चीज को कोशिश से हासिल करो और अल्लाह से मदद चाहो और हिम्मत मत हारो और अगर तुम्हें कोई हादसा पेश आजाए तो यू मत कहो के अगर मैं यू करता तो एसा हो जाता बल्के यू कहो के अल्लाह तआला ने यही मुकद्दर फर्माया था और जो उसको मंजूर था उसने वही किया।" 📕 मुस्लिम ६७७४
अल्लाह और रसूल की नाफरमानी का गुनाह कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है : “जो शख्स अल्लाह और उस के रसूल की नाफर्मानी करेगा, और उसकी (मुकर्रर की हुई) हदों से आगे बढ़ेगा तो अल्लाह तआला उस को आग में दाखिल करेगा, जिसमें वह हमेशा रहेगा, और उसको जलील व रुस्वा करने वाला अजाब होगा।” 📕 सूरह निसा १४ "जो शख्स अल्लाह और उसके रसूल का कहना न माने वह खुली हुई गुमराही में है।" 📕 सूर-ए-अहजाब: ३६ "बिला शुबा जो लोग अल्लाह और उस के रसूल को (उन का हुक्म न मान कर) तकलीफ देते हैं, अल्लाह तआला उन पर दुनिया व आखिरत में लानत करता…
अगली सफ में नमाज़ अदा करने की फजीलत रसलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "अल्लाह तआला और उसके फरिश्ते पहली सफ वालों पर रहमत भेजते हैं और मोअज्जिन के बुलंद आवाज़ के बकद्र उस की मगफिरत कर दी जाती है, खुश्की और तरी की हर चीज़ उस की आवाज़ की तसदीक करती है और उस के साथ नमाज़ पढ़ने वालों का सवाब उस को भी मिलेगा।" 📕 निसाई : ६४७
MD. Salim Shaikh
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