सबसे ज्यादा आज़माइश किन लोगों की हुई? हदीसे नबवी ﷺ सबसे ज्यादा आज़माइश किन लोगों की हुई? हज़रत मुसब बिन साद रज़िअल्लाहु अन्हु फरमाते हैं के, मैंने रसूलल्लाह ﷺ से दरियाफ्त किया: या रसूलल्लाह! सब से ज्यादा आजमाइश में किन लोगों को डाला जाता है? आप ﷺ ने इरशाद फरमाया: “अंबिया अलैहि सलाम को, फिर उसे जो अंबिया से करीबतर हो, फिर उसे जो अंबिया से करीब हो। (यानी जो अंबिया से जितना ज्यादा कुर्ब ओ ताल्लुक रखेगा उसे उतना ही ज्यादा आज़माया जाएगा)। आदमी को उसके दीन के मुताबिक आज़माया जाता है, पस अगर वो अपने दीन में पुख़्ता हो तो उसकी आज़माइश भी कड़ी होती…
अल्लाह के रास्ते में जाने वाले को दुआ देना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने एक जमात को अल्लाह के रास्ते में रवाना करते हुए फ़रमाया : “अल्लाह के नाम पर सफर शुरू करो और यह दुआ दी: तर्जमा: ऐ अल्लाह! इनकी मदद फ़र्मा। 📕 तबरानी कबीर: ११३८९
इल्म हासिल करना फ़र्ज़ है ... रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : “इल्म हासिल करना हर मुसलमान पर फर्ज है।” 📕 इब्ने माजा: २२४ फायदा : हर मुसलमान पर इल्मे दीन का इतना हासिल करना फर्ज है के जिस से हलाल व हराम में तमीज़ कर ले और दीन की सही समझ बूझ, इबादात के तरीके और सही मसाइल की मालमात हो जाए।
वसिय्यत के लिए दो इंसाफ पसंद लोग गवाह हो कूरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है: "ऐ ईमान वालो ! जब तुम में से किसी को मौत आने लगे वसीय्यत के वक्त शहादत के लिये तूम (मुसलमानों) में से दो इन्साफ पसन्द आदमी गवाह होने चाहिये या फिर तुम्हारे अलावा दूसरी कौम के लोग गवाह होने चाहिये। जैसे तुम सफर में गए हो, फिर तुम्हें मौत का हादसा आ जाए।" 📕 सूरह मायेदा: १०६
अल्लाह के लिये अपने भाई की जियारत करना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "क्या मैं तुम्हें जन्नती लोगों के बारे में खबर न करूं? सहाबा (र.अ) ने अर्ज किया: जरूर या रसूलल्लाह (ﷺ)! आप (ﷺ) ने फर्माया: नबी जन्नती है, सिद्दीक जन्नती है और वह आदमी जन्नती है जो सिर्फ अल्लाह की रजा के लिये शहर के दूर दराज इलाके में अपने भाई की जियारत के लिये जाए।" 📕 तबरानी औसत: १८१०, अन अनस बिन मालिक (र.अ)
इल्म की फजीलत रसूलल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "इल्म की फजीलत इबादत की फजीलत से बेहतर है और दीन में बेहतरीन चीज़ तक़वा व परहेजगारी है।" 📕 तबरानी औसत: ४१०७
हारूत व मारूत हारूत व मारूत क़दीम ज़माने में शहरे बाबुल (Babylon) में रहने वाले यहुदियों के दर्मियान जादू बहुत ज़्यादा आम हो गया था वह लोग जादू के ज़रिये अजीब व ग़रीब कमालात दिखाते थे यहाँ तक कि बाज़ लोग जादू के ज़ोर पर नुबुव्वत का दावा करने लगते थे। अल्लाह तआला ने बाबुल शहर में हारूत व मारूत नामी फरिश्तों को भेजा ताकि लोगों को जादू की हक़ीक़त से आगाह कर सकें। चुनाचें लोग इबरत हासिल करने के बजाए दुनिया कमाने और दुसरों को नुक़सान पहुँचाने के लिये उन से जादू सीखने आते थे हलाकि दोनों फरिश्ते जादू सिखाने से पहले…
अल्लाह से रेहम तलब करने की दुआ अल्लाह तआला से रहम तलब करने के लिये दुआ ( Anta waliyyuna fagh-fir lana war-hamna, wa anta Khayrul- ghafirin ) तर्जुमा: (ऐ अल्लाह) तू ही हमारी खबर रखने वाला हैं, इस लिये हमारी मगफिरत और हमपर रहम फर्मा और तू सब से जियादा बेहतर माफ करने वाला हैं। 📕 सूरह आराफ: १५५ ( Rabbana amanna faghfir lana warhamna wa anta khayrur Rahimiin ) तर्जमा : ऐ हमारे पालने वाले हम ईमान लाए तो तू हमको बख्श दे और हम पर रहम कर तू तो तमाम रहम करने वालों से बेहतर है। 📕 सूरह मोमिनून : १09
मेहमान की दावत व मेहमान नवाजी तीन दिन है मेहमान की दावत व मेहमान नवाजी तीन दिन है रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "जो आदमी अल्लाह और यौमे आखिरत पर ईमान रखता हो, उसे अपने मेहमान का इकराम करना चाहिये, एक दिन व रात की खिदमत उस का जाइज हक़ है और उस की दावत व मेहमान नवाजी तीन दिन है, उस के बाद की मेजबानी उस के लिये सदक़ा है और मेहमान के लिये जियादा दिन ठहर कर मेजबान को तंगी में मुब्तला करना जाइज नहीं है।" 📕 बुखारी : ६१३५
इलाज करने वालों के लिये अहम हिदायत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: “अगर किसी ने बगैर इल्म और तजुर्बे के इलाज किया तो कयामत के दिन उस के बारे में पूछा जाएगा।” 📕 अबू दाऊद: ४५८६ फायदा: मतलब यह है के अगर हकीम या डॉक्टर की ना तजरबा कारी और अनाड़ीपन की वजह से मरीज को तकलीफ पहुँचती है या वह मर जाता है तो ऐसे हकीम और डॉक्टर की कयामत के दिन गिरिफ्त होगी।
कंजूसी करने का गुनाह कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : "जो लोग अल्लाह तआला के अता करदा माल व दौलत को (खर्च करने में) बुख्ल (कंजूसी) करते हैं, वह बिल्कुल इस गुमान में ना रहें के (उनका यह बूख्ल करना) उनके लिये बेहतर है, बल्के वह उन के लिये बहुत बुरा है, कयामत के दिन उनके जमा करदा माल व दौलत को तौक बनाकर गले में पहना दिया जाएगा और आसमान व जमीन का मालिक अल्लाह तआला ही है और अल्लाह तआला तुम्हारे आमाल से बाखबर है।" 📕 सूरह आले इमरानः १८०
अपने घर वालों को खिलाना पिलाना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: "जो तुमने खुद खा लिया वह तुम्हारे लिये सदका है और जो कुछ तुम ने अपनी औलाद को खिलाया वह तुम्हारे लिये सदका है और जो कुछ तुम ने अपनी बीवी को खिलाया वह तुम्हारे लिये सदका है और जो कुछ तुमने अपने खादिम को खिलाया उस में भी तुम्हारे लिये सदके का सवाब है।" 📕 मुस्नदे अहमद: १६७२७
इल्म सीखते हुए वफात पा जाने की फ़ज़ीलत रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "जिस को इल्म सीखते हुए मौत आजाए, वह इस हाल में अल्लाह तआला से मुलाकात करेगा के उसके और नबियों के दर्मियान सिर्फ नुबुब्बत के दर्जे का फर्क होगा।" 📕 तबरानी औसत : ११५११
दुनिया से ज्यादा आखिरत अहेम कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : “तुम तो दुनिया का माल व असबाब चाहते हो और अल्लाह तआला तुमसे आखिरत को चाहता हैं।” 📕 सूर-ए-अन्फाल: ६५ वजाहत: इन्सान हर वक्त दुनियावी फायदे में मुन्हमिक रहता है और इसी को हासिल करने की फिक्र करता रहता है; हालांके अल्लाह तआला चाहता हैं के दुनिया के मुकाबले में आखिरत की फिक्र जियादा की जाए; क्योंकि आखिरत की फ़िक्र करना ज्यादा अहेम है।
नमाज के लिये मस्जिद जाना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : "जो शख्स सुबह व शाम मस्जिद जाता है अल्लाह तआला उस के लिये जन्नत में मेहमान नवाज़ी का इंतिज़ाम फ़रमाता हैं, जितनी मर्तबा जाता है उतनी मर्तबा अल्लाह तआला उस के लिये मेहमान नवाज़ी का इंतिज़ाम फ़रमाता हैं।" 📕 बुखारी:662, अन अबी हुरैरह (र.अ)
MD. Salim Shaikh
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