Contents
- 1. इस्लामी तारीख
- ग़ारे सौर से हुजूर (ﷺ) की रवानगी
- 2. अल्लाह की कुदरत
- साँस लेने का निज़ाम
- 3. एक फर्ज के बारे में
- नमाजों को सही पढ़ने पर मगफिरत का वादा
- 4. एक सुन्नत के बारे में
- बीमारों की इयादत करना
- 5. एक अहेम अमल की फजीलत
- नमाज़ के लिये पैदल आना
- 6. एक गुनाह के बारे में
- मस्जिद में दुनिया की बातें करने का गुनाह
- 7. दुनिया के बारे में
- अपने बीवी बच्चों से होशियार रहो
- 8. आख़िरत के बारे में
- कयामत के हालात
- 9. तिब्बे नबवी से इलाज
- पछना के जरिये दर्द का इलाज
- 10. क़ुरान की नसीहत
- आपस में झगड़ा न करो
27 Rabi-ul-Akhir | Sirf Panch Minute ka Madarsa
1. इस्लामी तारीख
ग़ारे सौर से हुजूर (ﷺ) की रवानगी
रसूलुल्लाह (ﷺ) हिजरत के दौरान गारे सौर में जुमा, सनीचर और इतवार तीन दिन रहे, फिर जब मक्का में शोर व हंगामे में कमी हुई तो मदीना के लिये निकलने का इरादा फ़रमाया, अब्दुल्लाह बिन अरीक़त को रास्ते की रहनुमाई में बहुत महारत थी, उन्हें हज़रत अबू बक्र (र.अ.) ने दो सवारी देकर मदीना पहुँचाने के लिये उजरत पर पहले ही से तय्यार कर रखा था, जब अब्दुल्लाह बिन अरीक़त सवारियाँ ले कर आया, तो आप (ﷺ) की खिदमत में पेश किया, चुनान्चे आपने एक ऊँटनी क़ीमतन पसन्द किया।
इस तरह हुजूर (ﷺ) , हज़रत अबू बक्र, आमिर बिन फुहरा और अब्दुल्लाह बिन अरीकत मदीना की तरफ निकल पड़े। इन हज़रात ने आम रास्ते को छोड़ कर साहिली रास्ता इख्तियार किया, इसी सफर में आप (ﷺ) का गुजर उम्मे माबद के खेमे से हुआ, तो आप ने उम्मे माबद की इजाजत से उन की खुश्क थनों वाली और कमजोर बकरी से दूध दूहा, सब ने सैर हो कर पिया, फिर दूध दूह कर उम्मे माबद को दे कर सफर का रुख किया।
कुफ्फार ने एलान किया था के जो मुहम्मद (ﷺ) को गिरफ्तार कर के लाएगा, उस को इनाम में सौ ऊँट दिए जाएँगे। चुनान्चे सुराक़ा बिन मालिक ने ऊँटों की लालच में घोड़े पर सवार हो कर पीछा किया। जब क़रीब पहुँचा तो आप (ﷺ) ने दुआ फर्माई, जिसकी वजह से उस के घोड़े के अगले दोनों पैर घुटनों तक जमीन में फँस गए। वह माफी माँगने लगा और वादा किया के अगर नजात मिली, तो कुफ्फार को आपका पीछा करने से रोक दूंगा, फिर आप (ﷺ) ने दुआ फ़र्माई तो उस को नजात मिली।
To be Continued …
2. अल्लाह की कुदरत
साँस लेने का निज़ाम
जब हम गर्द व गुबार वाली हवा में साँस लेते हैं तो मिट्टी के ज़र्रात भी उस में शामिल हो जाते हैं। जिनसे हिफाजत के लिये अल्लाह तआला ने नाक से फेफड़े तक हवा के रास्ते में बलगम पैदा कर दिया है जो हवा की नालियों को तर (गिला) रखता है, जब हवा उन नालियों से गुज़रती है तो उस में मौजूद गर्द व गुबार बलग़म से चिपक जाते हैं और साफ सुथरी हवा फेफड़े में पहुँच जाती है, फिर बलगम के जरिये यह गर्द व गुबार साँस की नालियों के बाहर आ जाता है। सुबहानल्लाह !
अल्लाह ने अपनी कुदरत से हमारे फेफड़े की हिफाज़त का कैसा गैबी इन्तेजाम फ़रमाया है।
3. एक फर्ज के बारे में
नमाजों को सही पढ़ने पर मगफिरत का वादा
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“पाँच नमाजें अल्लाह तआला ने फर्ज की हैं, जिस ने उन के लिऐ अच्छी तरह वुजू किया और ठीक वक्त पर उन को पढ़ा और रुकू व सज्दह जैसे करना चाहिये वैस हो किया, तो ऐसे शख्स के लिये अल्लाह तआला का पक्का वादा है, के वह उसको बख्श देगा। और जिस ने ऐसा नहीं किया तो लिए अल्लाह तआला का कोई वादा नहीं, चाहेगा तो उसको बख्श देगा और चाहेगा तो सजा देगा।”
4. एक सुन्नत के बारे में
बीमारों की इयादत करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) बीमारों की इयादत करते और जनाजे में शरीक होते और गुलामों की दावत कबूल फरमाते थे।
5. एक अहेम अमल की फजीलत
नमाज़ के लिये पैदल आना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“सब से जियादा नमाज का सवाब उस आदमी को मिलेगा जो सबसे जियादा पैदल चल कर आए फिर उससे जियादा सवाब उस आदमी को मिलेगा जो उस से ज़ियादा दूर से चल कर आए।”
6. एक गुनाह के बारे में
मस्जिद में दुनिया की बातें करने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“एक जमाना ऐसा आएगा के लोग मस्जिद में हलके लगाकर दुनियावी बातें करेंगे, तुमको चाहिये के उन लोगों के पास बिल्कुल न बैठो, अल्लाह को उन लोगों से कोई वास्ता नहीं।”
7. दुनिया के बारे में
अपने बीवी बच्चों से होशियार रहो
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“ऐ ईमान वालो ! तुम्हारी बाज़ बीवियाँ और बाज़ औलाद
तुम्हारे हक़ में दुश्मन हैं, तो तुम उन से होशियार रहो।”
वजाहत: बीवी बच्चे बाज़ मर्तबा दुनियावी नफे के लिये
शरीअत के खिलाफ कामों का हुक्म देते हैं,
उन्हीं लोगों को अल्लाह तआला ने दीन का दुश्मन बताया है
और उन के हुक्म को पूरा न करने की हिदायत दी है।
8. आख़िरत के बारे में
कयामत के हालात
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है
“जब सूरज बेनूर हो जाएगा और सितारे टूट कर गिर पड़ेंगे और जब पहाड़ चला दिए जाएँगे और जब दस माह की गाभिन ऊँटनियाँ (कीमती होने के बावजूद आजाद) छोड़ दी जाएँगी और जब जंगली जानवर जमा हो जाएँगे और जब दर्या भड़का दिए जाएंगे।”
9. तिब्बे नबवी से इलाज
पछना के जरिये दर्द का इलाज
हजरत इब्ने अब्बास (र.अ) बयान करते हैं के :
“रसूलुल्लाह (ﷺ) ने एहराम की हालत में दर्द की वजह से सर में पछना लगवाया।”
फायदा: पछना लगाने से बदन से फ़ासिद खून निकल जाता है जिस की वजह से दर्द वगैरह खत्म हो जाता है और आँख की रोशनी तेज़ हो जाती है।
10. क़ुरान की नसीहत
आपस में झगड़ा न करो
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“तुम अल्लाह और उस के रसूल की इताअत करो
और आपस में झगड़ा न करो,
वरना तुम बुजदिल हो जाओगे
और दुश्मन के मुकाबले में तुम्हारी हवा उखड़ जाएगी
और (मुसीबत के वक्त) सब्र करो,
बेशक अल्लाह तआला सब्र करने वालों के साथ है।”
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