19. जिल हिज्जा | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा
19 Zil Hijjah | Sirf Paanch Minute ka Madarsa
1. इस्लामी तारीख
हज़रत मौलाना जलालुद्दीन रूमी (रह.)
आप का नाम मुहम्मद, लकब जलालुद्दीन और मौलाना रुम के नाम से मशहूर हैं, बल्ख में ६ रबीउल अव्वल सन ६०४ हिजरी को पैदा हुए, आप के वालिद शेख मुहम्मद बहाउद्दीन अपने ज़माने के बड़े आलिम और मशहूर बुजुर्ग थे, इब्तिदाई तालीम अपने वालिद से हासिल की, बादशाहे वक्त के किसी बात से नाराज़ हो कर वहाँ से शेख बहाउद्दीन अपने बेटे जलालुद्दीन को ले कर कौनिया चले गए।
उस वक्त जलालुद्दीन रुमी की उम्र १८ या १९ साल थी, आप ने कौनिया में तकरीबन आठ साल मुख्तलिफ़ असातिजा से इल्म हासिल करते हुए मुल्के शाम के इल्मी शहर “हल्ब” का रुख किया। और मदरसा हलाविया में रह कर शेख उमर बिन अहमद और बाज़ दूसरे मदारिस के माहिर व मुमताज़ उलमा की खिदमत में रह कर तमाम उलूम में मुकम्मल महारत हासिल कर ली।
2. अल्लाह की कुदरत
सितारे
रात में खुले आस्मान पर बेशुमार सितारे चमकते हुए नज़र आते हैं। इन सितारों की चमक और रौशनी से आसमान बड़ा खूबसूरत दिखाई देता है। खुद अल्लाह तआला फ़र्माता है: “हम ने आसमाने दुनिया को रोशन चरागों से ज़ीनत अता फ़रमाई।” यह कितनी अजीब बात है के हज़ारों साल से करोड़ों सितारे आसमान पर ऐसे जगमगा रहे हैं के कभी रौशनी खत्म नहीं होती। लोग इन सितारों के ज़रिए रास्ते और मंज़िल की सिम्त मालूम कर लेते हैं।
आज के तरक्की याफ्ता ज़माने में भी रात में जहाज़ के कप्तान सितारों की मदद से रुख मालूम करते हैं। इन सितारों का बराबर चमकना और वक्ते मुकर्रर पर निकलना अल्लाह की कुदरत की अज़ीम निशानी है।
3. एक फर्ज के बारे में
तकदीर पर ईमान लाना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“हर चीज़ तकदीर से है, यहाँ तक के आदमी का नाकारा और नाकाबिल होना और काबिल व होशियार होना (भी तकदीर हीसे है)।”
📕 मुस्लिम : १७५१, अन अब्दुल्लाह बिन उमर (र.अ)
फायदा: तकदीर कहते हैं, के दुनिया में जो कुछ भी हो रहा है, अच्छा हो या बुरा, वह सब अल्लाह तआला के हुक्म और उस की मशिय्यत से है, जिस को अल्लाह तआला पहले ही तय कर चुका है, हमारे ऊपर इसका यकीन रखना और इसपर ईमान लाना फ़र्ज है।
4. एक सुन्नत के बारे में
खूशबू को रद नहीं करना चाहिए
रसूलुल्लाह (ﷺ) को जब खूशबू का हदिया दिया जाता, तो आप उसको रद नहीं फर्माते थे।
📕 तिर्मिज़ी : २७८९, अन अनस दिन मालिक (र.अ)
5. एक अहेम अमल की फजीलत
हाजी से मुलाकात करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“जब किसी हाजी से मुलाकात हो, तो उसको सलाम करो और उससे मुसाफ़ा करो और उससे घर में दाखिल होने से पहले अपने लिए दुआए मगफिरत की दरख्वास्त करो, क्योंकि वह अपने गुनाहों से पाक व साफ़ हो कर आया है।”
📕 मुस्नद अहमद:५३४८, अन इब्ने उमर (र.अ)
6. एक गुनाह के बारे में
मुसलमानों के क़त्ल में मदद करने की सज़ा
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“जो शख्स किसी मुसलमान को कत्ल करने में मदद करे, अगरचे एक लफ़्ज़ बोल कर ही हो, तो वह कयामत के दिन इस हालत में आएगा के उसकी पेशानी पर लिखा होगा के यह शख्स अल्लाह की रहमत से महरूम है।”
📕 इब्ने माजा: २६२०, अन अबी हुरैरह (र.अ)
7. दुनिया के बारे में
दुनिया से बे रग़बती पैदा करना
रसलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“मौत का (जिक्र) दूनिया से बेरगबत करने और आखिरत की तलब के लिए काफ़ी है।”
8. आख़िरत के बारे में
अहले जन्नत का इन्आम
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“उस दिन बहुत से चेहरे तर व ताज़ा होंगे अपने (नेक) आमाल की वजह से खुश होंगे ऊँचे ऊँचे बागों में होंगे। वह उन बागों में कोई बेहुदा बात नहीं सुनेंगे। उन में चश्में बहरहे होंगे।”
9. तिब्बे नबवी से इलाज
तल्बीना से इलाज
हज़रत आयशा (र.अ) बीमार के लिए तल्बीना तय्यार करने का हुक्म देती थीं और फ़र्माती थीं के मैं ने रसूलुल्लाह (ﷺ) को इर्शाद फर्माते हुए सुना के “तल्बीना बीमार के दिल को सुकून पहुँचाता है और रंज व गम को दूर करता है।”
📕 बुखारी : ५६८९, अन आयशा (र.अ)
फायदा: जौ (Barley) को कूट कर दूध में पकाने के बाद मिठास के लिए उस में शहद डाला जाता है; जिसे तल्बीना कहते हैं।
10. कुरआन की नसीहत
जन्नत में दाखिल करने वाले आमाल
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“ऐ ईमान वालो! अल्लाह से डरते रहो और हर शख्स को इस बात पर गौर करना चाहिए के उस ने कल (आखिरत) के लिए क्या आगे भेजा है और अल्लाह से डरते रहो और अल्लाह तआला को तुम्हारे सब आमाल की खबर है।”