बदला लेने के बजाये कातिलो को क्यों कर दिया मुआफ ?

” अगर मेरे बेटे की मौत का बदला लेने की कोशिश की, तो मैं मस्जिद छोड़ दूंगा. ये शहर भी छोड़ दूंगा.”

जी हा ! ये बात उस मौलाना ने कही जिसके १६ साल के बेटे को पश्चिम बंगाल के दंगों में बेरहमी के साथ मार दिया गया ,.

# क्या वो मौलाना नासमझ है जो उन्होंने ऐसी बात की ?

नहीं मेरे भाइयो! क्यूंकि उन्हें परमसत्य का ज्ञान है , वो जानते है के सांसारिक जीवन बोहोत ही थोडे दिनों के लिए है, इसके बाद हमें और आपको सबको मरना है, और हिसाब के दिन जिसे क़यामत कहते है उस दिन हम सबको जिन्दा होना है,

उस दिन हर हिन्दू, हर मुस्लिम, हर ईसाई पारसी और दुनिया में जितने भी धर्म है सब के सब अपने परमसत्य एक इश्वर अल्लाह के आगे पेश किये जायेंगे, वो हमारे कर्मो का हिसाब हमे बताएगा, जिसके कर्म उसके आदेशानुसार होंगे वो हमेशा हमेशा के लिए स्वर्ग में जायगे और जिसने उसकी अवहेलना की वो हमेशा हमेशा के लिए नरक की आग में झोक दिया जायेगा, जहा उसे तरह तरह की यातनए दी जायेगीं क्यूंकि वो अपने इश्वर के आज्ञाओं का पालन करने के बजाये उन लोगो की बाते सुनते जो धरती में फसाद करते फिरते थे,..

मेरे दोस्तों, इस्लाम का अर्थ है ही शांति, ये वो रास्ता है जिसपर चलकर मनुष्य अपने इश्वर के प्रति अपने कर्तव्य का पालन करता है, और ऐसे व्यक्ति को मुस्लिम कहा जाता है, और संसार का पहला व्यक्ति भी मुस्लिम ही था क्यूंकि वो अपने ईश्वर का आज्ञाकारी था,.. वक्त के साथ लोगो ने नए नए पूजनीय बना लिए . और यही पूजनीय उन्हें अपने इश्वर से दूर करते गए, लेकिन वो इश्वर (अल्लाह) इतना करुणाशील है के मनुष्यों को नरक की यातनाओ से बचाने के लिए हर दौर में युगपुरुषो को भेजता रहा, जिन्हें नबी और रसूल कहा जाता है, इश्वर उनतक अपनी इशवाणी द्वारा अपने सन्देशो को पोहोचाता ताकि लोग अपने सत्य इश्वर की उपासना करे और मरने के बाद जो हिसाब किया जायेगा उसमे मनुष्य कामियाब होकर स्वर्ग को पा ले और नरक से बच जाये, लेकिन फिर भी कुछ लोग इश्वर के बजाये ऐसे वस्तुओ की पूजा करते रहते है जिसका कोई अस्तित्व ही नहीं ,.. जबकि अकल्मन्द लोग ज्ञान प्राप्त कर अपने परम सत्य इश्वर यानी अल्लाह के मार्ग को स्वीकार लेते है ,..

इश्वर(अल्लाह) हम सबको सत्य के मार्ग पर चलाये …

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