हज़रत साबित (र.अ) के लिये पेशीनगोई हुजूर (ﷺ) का मुअजिजा आप (ﷺ) ने हज़रत साबित बिन कैस (र.अ) से फरमाया था: "क्या तुम इस पर राजी नहीं के एक अच्छी जिन्दगी बसर करो और शहीद की मौत मरोऔर फिर जन्नत में दाखिल हो जाओ? तो हजरत साबित ने फरमाया : या रसूलल्लाह (ﷺ) हाँ क्यों नहीं। चुनान्चे हज़रत साबित (र.अ) ने अच्छी जिन्दगी बसर कीऔर फिर अल्लाह की राह में शहीद हो गए।" 📕 मुअजमे कबीर लित तबरानी : १२९६
सोने के आदाब (सुन्नत) रसूलुल्लाह (ﷺ) जब सोने का इरादा करते तो अपने दाहने हाथ को दाहने गाल के नीचे रख कर सोते फिर तीन बार यह दुआ पढ़ते : (Allahumma qinee 'adhabaka yawma tab'athu 'ibadaka) तर्जुमा: (ऐ अल्लाह! मुझे (उस दिन) अपने अ़ज़ाब से बचा, जिस दिन तू अपने बन्दों को उठायेगा। 📕 अबू दाऊद : ५०४५
कसरत से इस्तिग़फार करने की सुन्नत हज़रत अबू हुरैरा (र.अ) फर्माते हैं के मैं ने रसूलुल्लाह (ﷺ) को फर्माते हुए सुना के: "ख़ुदा की कसम ! मैं दिन में सत्तर से जियादा मर्तबा अल्लाह तआला से तौबा व इस्तिगफार करता हूँ।" 📕 बुख़ारी: ६३०७
हराम माल से सदक़ा करने का गुनाह रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: "जब तू माल की ज़कात अदा कर दे, तो जो (वाजिब) हक़ तुझ पर था, वह तो अदा हो गया (आगे सिर्फ नवाफिल का दर्जा है) और जो शख्स हराम तरीके (सूद रिश्वत वगैरह) से माल जमा कर के सदका करे, उस को उस सदके का कोई सवाब नहीं मिलेगा, बल्के उस हराम कमाई का वबाल उस पर होगा।" 📕 इब्ने हिब्बान : ३२८५
जोहर से पहले की चार रकात सुन्नत पढ़ना हज़रत आयशा (र.अ) बयान फरमाती है के: "रसूलुल्लाह (ﷺ) जोहर से पहले चार रकात और फ़र्ज़ से पहले की दो रकात कभी नहीं छोड़ते थे।" 📕 बुखारी : १९८२
सज्दा करने का सुन्नत का तरीका रसूलुल्लाह (ﷺ) जब सज्दा फरमाते तो अपनी नाक और पेशानी को जमीन पर रखते और अपने बाजुओं को पहलू से अलग रखते और अपनी हथेलियों को कांधे के बराबर रखते। 📕 तिर्मिज़ी : २७०
औरतों का चंद बातों पर अमल करना औरतों का चंद बातों पर अमल करना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "अगर औरत पाँच वक़्त की नमाज पढ़े और रमजान के रोजे रखे और अपनी शर्मगाह की हिफाज़त करे और अपने शौहर की फरमाबरदारी करे (तो कयामत के दिन) उससे कहा जाएगा: तुम जन्नत के जिस दरवाजे से चाहो जन्नत में दाखिल हो जाओ।" 📕 मुस्नदे अहमद : १६६४
दरवाज़े पर सलाम करने की सुन्नत रसूलुल्लाह (ﷺ) जब किसी के घर के दरवाज़े पर आते, तो बिल्कुल सामने खड़े ना होते, बल्क़ि दायीं तरफ या बायीं तरफ तशरीफ फ़रमा होते और "अस्सलामु अलैकुम" फ़रमाते। 📕 अबू दाऊद: 5986, अन अब्दुल्लाह बिन बुन (र.अ)
अगली सफ में नमाज़ अदा करने की फजीलत रसलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "अल्लाह तआला और उसके फरिश्ते पहली सफ वालों पर रहमत भेजते हैं और मोअज्जिन के बुलंद आवाज़ के बकद्र उस की मगफिरत कर दी जाती है, खुश्की और तरी की हर चीज़ उस की आवाज़ की तसदीक करती है और उस के साथ नमाज़ पढ़ने वालों का सवाब उस को भी मिलेगा।" 📕 निसाई : ६४७
शहेद से पेट के दर्द का इलाज Highlights • एक शख्स ने अपने भाई की पेट की तकलीफ के लिए रसूलुल्लाह (ﷺ) से मदद मांगी, तो उन्होंने शहद पिलाने को कहा। • बार-बार शहद पिलाने के बावजूद आराम न मिलने पर भी रसूलुल्लाह (ﷺ) ने अल्लाह के वादे पर भरोसा करने को कहा। • आख़िरकार, शहद के लगातार इस्तेमाल से वह शख्स ठीक हो गया, साबित हुआ कि शहद में शिफा है। एक शख्स रसूलुल्लाह (ﷺ) के पास आया और अर्ज़ किया : “ऐ अल्लाह के रसूल! मेरे भाई के पेट में तकलीफ है।” रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : ‘शहेद पिलाओ।’ वह शख्स गया और शहेद पिलाया,…
जानवर पर रहेम करने का सवाब अबी हुरैरह (र.अ) से रिवायत है के, पूछा गया : “या रसूलल्लाह ! क्या जानवरों पर रहम करने में भी हमारे लिए सवाब है? आप (ﷺ) ने फर्माया : हर जानदार जिगर रखने वाले हैवान पर (रहम करने में) सवाब है!” 📕 बुखारी, हदीस : ६००१
एक दिन के नफ़ली रोजे का सवाब रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "अगर कोई शख्स अल्लाह के वास्ते एक दिन का नफ़ली रोजा रखे और उसके बदले में उस को सारी जमीन भरकर सोना (रोजाना) दिया जाए, तो कयामत के दिन तक भी इस रोजे के सवाब का बदला अदा नहीं हो सकता।" 📕 कंजुल उम्माल:४१५१, अन अनस (र.अ)
गुस्ल करने का सुन्नत तरीका रसूलुल्लाह (ﷺ) जब गुस्ले जनाबत फ़र्माते, तो सबसे पहले हाथ धोते, फिर सीधे हाथ से बाएँ हाथ पर पानी डालते, फिर इस्तिन्जे की जगह धोते, फिर जिस तरह नमाज के लिये वुजू किया जाता है उसी तरह वुजू करते, फिर पानी लेकर अपनी उंगलियों के जरिये सर के बालों की जड़ों में दाखिल करते, फिर तीन दफा दोनों हाथ भर कर यके बाद दीगर सर पर पानी डालते, फिर सारे बदन पर पानी बहाते और सबसे अखीर में दोनों पाँव धोते। 📕 मुस्लिमः १८
माल व औलाद दुनिया के लिए ज़ीनत कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : “माल और औलाद यह सिर्फ दुनिया की जिंदगी की एक रौनक है और (जो) नेक आमाल हमेशा बाकी रहने वाले हैं, वह आप के रब के नज़दीक सवाब और बदले के एतेबार से भी बेहतर हैं और उम्मीद के एतेबार से भी बेहतर हैं।” 📕 सूरह कहफ: १८:४६ (लिहाज़ा नेक अमल करने की पूरी कोशिश करनी चाहिए और उस पर मिलने वाले बदले की उम्मीद रखनी चाहिए।)
बीमारी की शिकायत न करना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "अल्लाह तआला फर्माता है के मै जब अपने मोमिन बंदे को (बीमारी में) मुबतला करता हूँ और वह अपनी इयादत करने वालों से मेरी शिकायत नहीं करता, तो मैं उस को अपनी कैद (यानी बीमारी) से नजात दे देता हूँ, और फिर उस के गोश्त को उससे उम्दा गोश्त और उसके खून को उम्दा खून से बदल देता हूँ ताके नए सिरे से अमल करे।" 📕 मुस्तरदक १२९०, अन अबी हुरैरह (र.अ) खुलासा: अगर कोइ बिमार हो जाए, तो सब्र करना चाहिए, किसी से शिकायत नही करनी चाहिए, उस पर इसे अल्लाह तआला इन्आमात से…
MD. Salim Shaikh
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