सुन्नत पर अमल करने पर शहीद का सवाब

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जो मेरी उम्मत में बिगाड़ के वक्त मेरी सुन्नत को मजबूती से थामे रहेगा, उसके लिये एक शहीद का सवाब है।”

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