“उस वक़्त तक क़यामत नहीं आएगी जब तक तुम्हारे अन्दर माल की इतनी कसरत न हो जाएके वह बहने लगे,यहाँ तक के माल वाले आदमी को इस बात पर रंज व ग़म होगा केउस से कौन सदक़ा क़बूल करेगा?वह एक आदमी को सद्के के लिये बुलाएगा तोवह कह देगा के मुझे इस की कोई जरूरत नहीं।”
कयामत किन लोगों पर आएगी रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "कयामत सिर्फ बदतरीन लोगों पर ही आएगी।" 📕 मुस्लिम : ७४०२ फायदा: जब तक इस दुनिया में एक शख्स भी अल्लाह का नाम लेने वाला जिंदा रहेगा, उस वक्त तक दुनिया का निजाम चलता रहेगा, लेकिन जब अल्लाह का नाम लेने वाला कोई न रहेगा और सिर्फ बदतरीन और बुरे लोग ही रह जाएँगे, तो उस वक़्त क़यामत कायम की जाएगी।
पांच चीज़ों को 5 से पहले घनीमत समझो पांच चीज़ों को 5 से पहले घनीमत समझो हदीस: अब्दुल्ला इब्न अब्बास (र.) से रिवायत है के,अल्लाह के नबी (ﷺ) ने फरमाया: “पांच (5) चीज़ों को पांच (5) चीज़ों से पहले घनीमत समझो। (1). अपनी जवानी को बुढ़ापे से पहले,(2). अपनी सेहत को बीमारी से पहले,(3). अपनी मालदारी को गुरबत (गरीबी) से पहले,(4). अपनी फरागत को मसरुफियत से पहले,(5). अपनी जिंदगी को मौत से पहले। 📕 शुआब अल-ईमान, हदीस 9575
कर्ज़ अदा करना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "क़र्ज़ की अदायगी पर ताकत रखने के बावजूद टाल मटोल करना जुल्म है।" 📕 बुखारी : २४००, अन अबू हुरैरह (र.अ) फायदा: अगर किसी ने कर्ज़ ले रखा है और उस के पास कर्ज अदा करने के लिए माल है, तो फिर कर्ज, अदा करना ज़रूरी है, टाल मटोल करना जाइज नहीं है।
यतीमों का माल खाने का गुनाह कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : "यतीमों के माल उन को देते रहा करो और पाक माल को नापाक माल से न बदलो और उन का माल अपने मालों के साथ मिला कर मत खाओ ऐसा करना यकीनन बहुत बड़ा गुनाह है।" 📕 सूरह निसा : २
मय्यित का कर्ज अदा करना हजरत अली (र.अ) फ़र्माते हैं के: रसुलअल्लाह (ﷺ) ने कर्ज को वसिय्यत से पहले अदा करवाया, हालाँकि तुम लोग (कुरआन पाक में) वसिय्यत का तजकेरा कर्ज से पहले पढ़ते हो। 📕 तिर्मिज़ी : २१२२ फायदा: अगर किसी शख्स ने कर्ज लिया और उसे अदा करने से पहले इन्तेकाल कर गया, तो कफन दफन के बाद माले वरासत में से सबसे पहले कर्ज अदा करना जरूरी है, चाहे सारा माल उस की। अदायगी में खत्म हो जाए।
कंजूसी करने का गुनाह कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : "जो लोग अल्लाह तआला के अता करदा माल व दौलत को (खर्च करने में) बुख्ल (कंजूसी) करते हैं, वह बिल्कुल इस गुमान में ना रहें के (उनका यह बूख्ल करना) उनके लिये बेहतर है, बल्के वह उन के लिये बहुत बुरा है, कयामत के दिन उनके जमा करदा माल व दौलत को तौक बनाकर गले में पहना दिया जाएगा और आसमान व जमीन का मालिक अल्लाह तआला ही है और अल्लाह तआला तुम्हारे आमाल से बाखबर है।" 📕 सूरह आले इमरानः १८०
माल के मुताल्लिक़ फ़रिश्तों का एलान रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "हर रोज़ जब अल्लाह के बन्दे सुबह को उठते हैं, दो फरिश्ते नाज़िल होते हैं उनमें से एक कहता है। ऐ अल्लाह! (अच्छे कामों में) खर्च करने वाले को मज़ीद अता फ़रमा और दूसरा कहता है ऐ अल्लाह ! माल को (अच्छे कामों में खर्च करने के बजाए) रोक कर रखने वाले का माल ज़ाये फ़रमा।" 📕 बुखारी : १४४२, अन अबी हुरैरह (र.अ)
हलाक करने वाली चीजें कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है: "हर ऐसे शख्स के लिये बड़ी ख़राबी है, जो ऐब लगाने वाला और ताना देने वाला हो, जो माल जमा करता हो और उस को गिन गिन कर रखता हो और ख़याल करता हो के उस का (यह) माल हमेशा उस के पास रहेगा। हरगिज़ ऐसा नहीं है, वह ऐसी आग में डाला। जाएगा जिसमें जो कुछ पड़ेगा वह उस को तोड़फोड़ कर रख देगी।" 📕 सूरह हुमज़ह : १ ता ४
दुनिया छूटने वाली है जब की "बन्दा कहता है मेरा माल मेरा माल..." रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया: “बन्दा कहता है मेरा माल मेरा माल, हालांकि उस के लिए उस के माल में से तीन चीजें हैं: (१) वह जो खा कर खत्म कर दिया, (२) जो पहेन कर पुराना कर दिया, (३) वह जो (सदका) देकर (आखिरत के लिए) ज़खीराह कर लिया। और इसके अलावा जो कुछ है वह खत्म होने वाला और लोगों के लिए छोड़ने वाला है।” 📕 मुस्लिम, हदीस ४२२
झूठी कसम खाने का वबाल रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : “जो शख्स झूटी कसम खाए, ताके उस के ज़रिए किसी मुसलमान का माल हासिल कर ले, तो वह अल्लाह तआला से इस हाल में मुलाकात करेगा के अल्लाह तआला उस पर सख्त नाराज़ होगा।” 📕 अबू दाऊद: ३२४३
तुम्हारा माल और औलादे बस आज़माइश है अल्लाह तआला कुरान ए करीम में फरमाता है: "तुम्हारे माल (दौलत) और तुम्हारी औलादे (संतान) बस आज़माइश (परीक्षा) है और अल्लाह के यहाँ तो बड़ा अज्र (पुण्य) मौजूद है।" [ पवित्र कुरआन ६४:१५ ]
नमाज़ छोड़ने का नुकसान रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : "जिस शख्स की एक नमाज़ भी फौत हो गई वह ऐसा है के गोया उस के घर के लोग और माल व दौलत सब छीन लिया गया।" 📕 इब्ने हिब्बान : १४९०, नौफल बिन मुआविया (र.अ)
हराम माल से सदक़ा करने का गुनाह रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: "जब तू माल की ज़कात अदा कर दे, तो जो (वाजिब) हक़ तुझ पर था, वह तो अदा हो गया (आगे सिर्फ नवाफिल का दर्जा है) और जो शख्स हराम तरीके (सूद रिश्वत वगैरह) से माल जमा कर के सदका करे, उस को उस सदके का कोई सवाब नहीं मिलेगा, बल्के उस हराम कमाई का वबाल उस पर होगा।" 📕 इब्ने हिब्बान : ३२८५
माल व औलाद दुनिया के लिए ज़ीनत कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : “माल और औलाद यह सिर्फ दुनिया की जिंदगी की एक रौनक है और (जो) नेक आमाल हमेशा बाकी रहने वाले हैं, वह आप के रब के नज़दीक सवाब और बदले के एतेबार से भी बेहतर हैं और उम्मीद के एतेबार से भी बेहतर हैं।” 📕 सूरह कहफ: १८:४६ (लिहाज़ा नेक अमल करने की पूरी कोशिश करनी चाहिए और उस पर मिलने वाले बदले की उम्मीद रखनी चाहिए।)
आफत व बला दूर होने की दुआ रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: “जो शख्स (माशाअल्लाह ला हौल वाला क़ूवता इल्लाह बिल्लाह ) पढ़ लिया करे, तो सिवाए मौत के अपने अहल व अयाल और माल में कोई आफत नहीं देखेगा।” 📕 तबरानी औसत: ४४१२
MD. Salim Shaikh
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