मस्जिदे नबवी में चालीस नमाज़ों का सवाब रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : "जिस ने मेरी मस्जिद में चालीस नमाज़े अदा की और कोई नमाज़ कजा नहीं की, तो उस के लिए जहन्नम से बरात और अज़ाब से नजात लिख दी जाती है और निफ़ाक से बरी कर दिया जाता है।" 📕 मुसनदे अहमद : १२९४१, अन अनस (र.अ)
नमाजे अस्र की अहमियत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : "जिस शख्स ने अस्र की नमाज़ छोड़ दी, तो उस का अमल जाया हो गया।" 📕 बुखारी : ५५३. अन बुरैया (र.अ) वजाहत: दिन और रात में तमाम मुसलमानों पर पाँचों नमाजों को अदा करना तो फर्ज है ही, लेकिन ख़ास तौर से अस्त्र की नमाज़ छोड़ने वालों के हक में रसूलल्लाह (ﷺ) का वईद बयान फर्माना इस की अहमियत को मजीद बढ़ा देता है, चुनान्चे हमारे लिए जरूरी है के हम अस्र की नमाज वक्त पर अदा करें और कजा न करें। अल्लाहतआला हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल की तौफीक दे , अमीन।
नमाज के बाद दूसरी नमाज़ का इंतज़ार करने की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: "तकलीफ और नागवारी के बावजूद पूरी तरह मुकम्मल वुजू करना, मस्जिदों की तरफ जियादा कदम बढ़ाना और एक नमाज के बाद दूसरी नमाज़ का इंतज़ार करना, यह आमाल गुनाहों से (आदमी को) बिलकुल पाक साफ कर देते हैं।" 📕 मुस्तदरक : ४५६
कयामत के दिन सब से पहले नमाज़ का हिसाब होगा नमाज़ की सेहत पर रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "कयामत के दिन सब से पहले नमाज़ का हिसाब होगा, अगर नमाज़ अच्छी हुई तो बाकी आमाल भी अच्छे होंगे और अगर नमाज़ खराब हुई तो बाकी आमाल भी खराब होंगे।" 📕 तरगीब व तरकीब: ५१६ "क़यामत में सब से पहले नमाज़ का हिसाब लिया जाएगा, अगर वह अच्छी और पूरी निकल आई तो बाकी आमाल भी पूरे उतरेंगे और अगर वह खराब हो गई, तो बाक़ी आमाल भी खराब निकलेंगे।" 📕 तिर्मिजी: ४१३, अन अबू हरैराह रज़ि०
हर आने वाला ज़माना पहले ज़माने से बुरा होगा हजरत अनस (र.अ) से रिवायत है के, अल्लाह के रसूल (ﷺ) ने फ़रमाया: “हर आने वाला ज़माना पहले ज़माने से बुरा होगा। “ [ बुखारी #हदीस 7068 ]
बिच्छू के जहर का इलाज हजरत अली (र.अ) फरमाते हैं : एक रात रसूलुल्लाह (ﷺ) नमाज़ पढ़ रहे थे के नमाज के दौरान एक बिच्छू ने आप को डंक मार दिया, रसूलुल्लाह (ﷺ) ने उस को मार डाला जब नमाज़ से फारिग हुए तो फरमाया : अल्लाह बिच्छू पर लानत करे, यह न नमाज़ी को छोड़ता है और न गैरे नमाज़ी को, फिर पानी और नमक मंगवा कर एक बर्तन में डाला और जिस उंगली पर बिच्छू ने डंक मारा था, उस पर पानी डालते और मलते रहे और सूरह फलक व सूरह नास पढ़कर उस जगह पर दम करते रहे। 📕 बैहकी फी शोअबिल…
सामने वाले की बात पूरी तवज्जोह से सुनना जब आप (ﷺ) से कोई मुलाकात करता और गुफ्तगू करता, तो आप (ﷺ) उस की तरफ से तवज्जोह न हटाते, यहाँ तक के वह आप से रुख न हटा लेता। 📕 इब्ने माजा: ३७१६, अन अनस (र.अ)
अल्लाह के लिये अपने भाई की जियारत करना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "क्या मैं तुम्हें जन्नती लोगों के बारे में खबर न करूं? सहाबा (र.अ) ने अर्ज किया: जरूर या रसूलल्लाह (ﷺ)! आप (ﷺ) ने फर्माया: नबी जन्नती है, सिद्दीक जन्नती है और वह आदमी जन्नती है जो सिर्फ अल्लाह की रजा के लिये शहर के दूर दराज इलाके में अपने भाई की जियारत के लिये जाए।" 📕 तबरानी औसत: १८१०, अन अनस बिन मालिक (र.अ)
कद्दू (दूधी) से इलाज ۞ हदीस: हज़रत अनस (र.अ) फर्माते हैं के,"मैंने खाने के दौरान रसूलुल्लाह (ﷺ) को देखा के प्याले के चारों तरफ से कद्दू तलाश कर के खा रहे थे, उसी रोज़ से मेरे दिल में कद्दु की रग़बत पैदा हो गई।" 📕 बुख़ारी : ५३७९ फायदा : अतिब्बा ने इस के बे शुमार फवायद लिखे हैं और अगर बही के साथ पका कर इस्तेमाल किया जाए तो बदन को उम्दा ग़िज़ाइयत बख्शता है, गरम मिजाज और बुख़ार जदा लोगों के लिये यह गैर मामूली तौर पर नफा बख्श है।
बगैर किसी उज्र के नमाज़ क़ज़ा करने का गुनाह रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: "जो शख्स दो नमाज़ों को बगैर किसी उज्र के एक वक्त में पढ़े वह कबीरा गुनाहों के दरवाजों में से एक दरवाजे पर पहुँच गया।" 📕 मुस्तदरक : १०२०, अन इब्ने अब्बास (र.अ)
नमाज़ में भूल चूक हो जाए तो सज्दा-ए-सहव करना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जब तुम में से किसी को (नमाज़ में) भूल चूक हो जाए, तो सज्दा-ए-सहव कर ले।" 📕 मुस्लिम १२८३ फायदा : अगर नमाज़ में कोई वाजिब से छूट जाए या वाजिबात और फराइज़ में से किसी को अदा करने में देर हो जाए तो सज्द-ए-सब करना वाजिब है, इस के बगैर नमाज़ नहीं होती।
अज़ान सुन कर नमाज़ के लिए न जाने वाले शख्स का हाल मुआज दिन अनस (र.अ) से रिवायत है के, रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : “सरासर जुल्म, कुफ्र और निफाक है उस शख्स का जो अल्लाह के मुनादी (यानी मोअज्जिन) की आवाज़ सुने और नमाज़ को न जाए।” 📕 तबरानी कबीर, हदीस: १६८०४
जो शख्स किसी मां को उसके बच्चे से जुदा करेगा तो... ۞ हदीस: अनस रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की, रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फरमाया: "जो शख्स किसी मां को उसके बच्चे से जुदा करेगा अल्लाह सुबहानहु क़यामत के दिन उसको उसके महबूब लोगो से जुदा कर देगा।" 📕 जामिया तिरमिज़ी , जिल्द 1, 1291-हसन
जोहर से पहले की चार रकात सुन्नत पढ़ना हज़रत आयशा (र.अ) बयान फरमाती है के: "रसूलुल्लाह (ﷺ) जोहर से पहले चार रकात और फ़र्ज़ से पहले की दो रकात कभी नहीं छोड़ते थे।" 📕 बुखारी : १९८२
खड़े हो कर नमाज़ पढ़ना कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : “नमाज़ में अल्लाह के सामने आजिज़ बने हुए खड़े हुआ करो।” 📕 सूरह बकराह: २३८ फायदा: अगर कोई शख्स खड़े होकर नमाज़ पढ़ने की ताकत रखता हो तो उस पर फ़र्ज और वाजिब नमाज़ को खड़े हो कर पढ़ना फ़र्ज़ है।
MD. Salim Shaikh
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