हज़रत तल्हा बिन उबैदुल्लाह (र.अ)

हजरत तल्हा बिन उबैदुल्लाह (र.अ)  का शुमार भी उन दस लोगों में होता है जिन को रसूलुल्लाह (ﷺ) ने दुनिया ही में जन्नत की खुशखबरी सुना दी थी। आप इस्लाम लाने वालों में अव्वलीन साबिकीन में से की हैं, ग़ज़व-ए-बद्र के अलावह तमाम ग़जवात में रसूलुल्लाह (ﷺ) के साथ रहे और आप को बैअते रिजवान का भी शर्फ हासिल है। 

जंगे उहुद के दिन जब दुश्मनों ने रसूलुल्लाह (ﷺ) को अपने तीरों का निशाना बना रखा था,

उस वक्त हज़रत तल्हा ने अपने जिस्म के ज़रिये आप (ﷺ) की हिफाजत की। जिस की वजह से उन का हाथ शल हो गया। 

एक मर्तबा रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : “जो शख्स जमीन पर चलने वाले किसी शहीद को देख कर खुशी हासिल करना चाहे, तो वह तल्हा बिन उबैदुल्लाह (र.अ)  की जियारत कर ले।”

हज़रत तल्हा – हुजूर (ﷺ) के विसाल फर्माने के तकरीबन पच्चीस साल बाद सन ३६ हिजरी में जंगे जमल में शहीद हुए। 

📕 इस्लामी तारीख

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