अज़ान का जवाब दे कर दुआ करने की फ़ज़ीलत एक आदमी ने अर्ज किया: "या रसूलल्लाह (ﷺ) ! मोअज्जिन हज़रात फजीलत में हम से आगे बढ गए। रसुलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "तुम भी इसी तरह अज़ान का जवाब दिया करो, जिस तरह वह अजान देते है फिर जब तुम फारिग़ हो जाओ तो अल्लाह तआला से दुआ करो, तुम्हारी दुआ पूरी होगी!" 📕 अबू दाऊद : ५२४
दुआ कराने वाले की दुआ पर आमीन कहेना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : "जब कुछ लोग जमा हो और उनमें से कोई एक आदमी दुआ करे और दूसरे आमीन कहें तो अल्लाह तआला उनकी दुआ कबूल फरमाता है।" 📕 हाकिम : ५४७८
गम के वक्त यह दुआ पढ़े रसूलुल्लाह (ﷺ) ने ग़म व मुसीबत के वक्त इस दुआ को पढ़ने के लिये फर्मायाः إِنَّا لِلَّهِ وَإِنَّا إِلَيْهِ رَاجِعُونَ اللَّهُمَّ أْجُرْنِي فِي مُصِيبَتِي وَأَخْلِفْ لِي خَيْرًا مِنْهَا ( inna Lillahi Wa inna ilaihi rajeuun , Allahumma Ajurni fi Musibati Wa Akhlifli Khairam Minha ) तर्जमा : हम सब अल्लाह की मिलकियत में हैं और उसी की तरफ जाने वाले हैं, या अल्लाह ! तू मुझे मेरी इस मुसीबत में सवाब दे और मुझे इससे बेहतर बदला इनायत फ़र्मा। 📕 मुस्लिम २१२६
कयामत का हौलनाक मंजर ۞ बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम ۞ क़यामत का मालूम हो जाये तो हसना कम और रोना बहुत बढ़ जाए रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: "अगर (आखिरत के हौलनाक अहवाल के मुतअल्लिक) तुम्हें वह सब मालूम हो जाए जो मुझे मालूम है, तो तुम्हारा हँसना बहुत कम हो जाए और रोना बहुत बढ़ जाए।" 📕 बुखारी : ६४८६ कयामत के दिन आँखें पथरा जाएँगी और चाँद बेनूर हो जाएगा कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है: "(क़यामत का मुन्किर) पूछता है के कयामत का दिन कब आएगा? जिस दिन आँखें पथरा जाएँगी और चाँद बेनूर हो जाएगा और सूरज व चाँद (दोनों बेनूर हो कर) एक…
कुफ्र व नाफर्मानी की सजा कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : “जो शख्स मुंह मोड़ेगा और कुफ्र करेगा, तो अल्लाह तआला उस को बड़ा अज़ाब देगा फिर उन को हमारे पास आना है। फिर हमारे ज़िम्मे उन का हिसाब लेना है।” 📕 सूरह गाशिया: २३ ता २६
जिस्म के दर्द का इलाज हजरत उस्मान बिन अबिल आस (र.अ) ने रसूलुल्लाह (ﷺ) की खिदमत में हाजिर हो कर अपने जिस्म के दर्द को बताया तो रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : जहां दर्द होता हो वहां हाथ रख कर तीन बार “बिस्मिल्लाह” और सात मर्तबा यह दुआ पढ़ो: ( أَعُوذُ بِاللَّهِ وَقُدْرَتِهِ مِنْ شَرِّ مَا أَجِدُ وَأُحَاذِرُ ) “A’udhu Billahi Wa Qudratihi Min Sharri Ma Ajidu Wa Uhadhiru” तर्जमा: मैं अल्लाह और उस की कुदरत की पनाह चाहता हुँ उस तकलीफ़ से जो मुझे पहुँची है और जिस से मैं डरता हुँ। चुनान्चे उन सहाबी ने जब यह कलिमात कहे तो उन का दर्द…
तुम्हारे रब ने फरमाया है के मुझ से दुआ माँगो कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है : "तुम्हारे रब ने फरमाया है के मुझ से दुआ माँगो मैं तुम्हारी दुआ कबूल करूँगा, बिला शुबा जो लोग मेरी इबादत करने से एराज़ करते हैं, वह अन्ज़रीब ज़लील हो कर जहन्नम में दाखिल होंगे।" 📕 सूरह मोमिन ६०
जहन्नुम से नजात की दुआ रसलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: “जब तुम मग़रिब की नमाज़ से फारिग हो जाओ, तो सात मर्तबा यह दुआ पढ लिया करो। ( Allahumma Ajirni Minan Naar )( ऐ अल्लाह! मुझ को दोजख से महफूज़ रख ) जब तुम इस को पढ़ लो और फिर उसी रात तुम्हारी मौत आजाए तो दोजख से महफूज़ रहोगे और अगर इस दुआ को सात मर्तबा फज़्र की नमाज के बाद (भी) पढ लो और उसी दिन तूम्हारी मौत आजाए तो दोजख से महफूज़ रहोगे।” 📕 अबू दाऊद : ५०७९, अन मुस्लिम बिन हारिस तमीमी (र.अ)
मोहताजगी व जिल्लत से पनाह माँगना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : फक्र व मोहताजगी और जिल्लत से इस तरह पनाह माँगा करो : "हम अल्लाह की पनाह चाहते हैं, फक्र व फाका और जिल्लत से और इससे के हम किसी पर जुल्म करें, या हम पर कोई जुल्म करे।" 📕 इब्ने माजा : ३८४२
अज़ान सुन कर नमाज़ के लिए न जाने वाले शख्स का हाल मुआज दिन अनस (र.अ) से रिवायत है के, रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : “सरासर जुल्म, कुफ्र और निफाक है उस शख्स का जो अल्लाह के मुनादी (यानी मोअज्जिन) की आवाज़ सुने और नमाज़ को न जाए।” 📕 तबरानी कबीर, हदीस: १६८०४
काफ़िरों के माल से तअज्जुब न करना कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : “तुम उन (काफ़िरों) के माल और औलाद से तअज्जुब में मत पड़ना, कयोंकि अल्लाह तआला दुनियाही की ज़िंदगी में उन काफ़िरों को अज़ाब में मुब्तला करना चाहता है और जब उनकी जान निकलेगी, तो कुफ्र की हालत में मरेंगे।” 📕 सूरह तौबा: ५५ खुलासा : काफ़िरों को माल व औलाद जो दी जाती है, उन की ज़ियादती से किसी को तअज्जुब नहीं होना चाहिए, क्योंकि उन्हें अल्लाह तआला उन चीज़ों के ज़रिए उन की नाफ़र्मानी और बगावत की वजह से अज़ाब देना चाहता है।
Sajde ki dua : सजदा-ए-तिलावत की दुआ Sajde ki dua : रसूलुल्लाह (ﷺ) कुआन मजीद की तिलावत करते हुए आयते सज्दा पर पहुँचते तो इस दुआ को सज्दा-ए-तिलावत में पढ़ा करते -
MD. Salim Shaikh
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