बीमारी की शिकायत न करना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "अल्लाह तआला फर्माता है के मै जब अपने मोमिन बंदे को (बीमारी में) मुबतला करता हूँ और वह अपनी इयादत करने वालों से मेरी शिकायत नहीं करता, तो मैं उस को अपनी कैद (यानी बीमारी) से नजात दे देता हूँ, और फिर उस के गोश्त को उससे उम्दा गोश्त और उसके खून को उम्दा खून से बदल देता हूँ ताके नए सिरे से अमल करे।" 📕 मुस्तरदक १२९०, अन अबी हुरैरह (र.अ) खुलासा: अगर कोइ बिमार हो जाए, तो सब्र करना चाहिए, किसी से शिकायत नही करनी चाहिए, उस पर इसे अल्लाह तआला इन्आमात से…
कुरआन की तिलावत करना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : “कुरआन शरीफ की तिलावत किया करो, इस लिए के कयामत के दिन अपने साथी (यानी पढ़ने वाले) की शफ़ाअत करेगा।” 📕 मुस्लिम: १८७४
इस्तिन्जे के बाद वुजू करना हजरत आयशा (र.अ) फर्माती हैं के - रसूलुल्लाह (ﷺ) जब बैतुलखला से निकलते तो वुजू फरमाते। 📕 मुस्नदे अहमद : २५०३३
सिला रहमी करना कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है: "जो लोग अल्लाह के अहद को तोड़ते हैं, उस को मजबूत कर लेने के बाद और उन तअल्लुक़ात को तोड़ते हैं, जिन के जोड़ने का अल्लाह तआला ने हुक्म दिया है और जमीन में फसाद मचाते हैं, यही लोग नुकसान उठाने वाले हैं।" 📕 सूरह बकरा : २७ फायदा: रिश्ते, नाते और तअल्लुक़ात को बरकरार (सिला रहमी करना) रखना और उस को खत्म न करना बहुत जरूरी है।
दीनी भाई की जियारत की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जिस ने किसी मरीज़ की इयादत की, या किसी दीनी भाई की जियारत की, तो एक पुकारने वाला (फरिश्ता) कहता है। तुम (दुनिया में) अच्छे रहो, तुम्हारा (अच्छे कामों की तरफ) चलना मुबारक हो और तुम ने (अपने इस अमल के जरिये) जन्नत का बुलंद दर्जा हासिल कर लिया है।" 📕 तिर्मिज़ी: २००८
इल्म हासिल करना फ़र्ज़ है ... रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : “इल्म हासिल करना हर मुसलमान पर फर्ज है।” 📕 इब्ने माजा: २२४ फायदा : हर मुसलमान पर इल्मे दीन का इतना हासिल करना फर्ज है के जिस से हलाल व हराम में तमीज़ कर ले और दीन की सही समझ बूझ, इबादात के तरीके और सही मसाइल की मालमात हो जाए।
पानी न मिलने पर तयम्मुम करना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "पाक मिट्टी मुसलमान का सामाने तहारत है, अगरचे दस साल तक पानी न मिले, पस जब पानी पाए तो चाहिये के उस को बदन पर डाले यानी उस से वुजू या ग़ुस्ल कर ले। क्योंकि यह बहुत अच्छा है।" 📕 अबू दाऊद : ३३२
मेहमान का अच्छे अलफाज़ से इस्तिकबाल करना हज़रत इब्ने अब्बास फ़रमाते हैं के, जब रसूलुल्लाह (ﷺ) की ख़िदमत में क़बील-ए-बनू अबदुल कैस के लोग आए, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया "खुशामदीद" (यानी आपका आना मुबारक हो।) 📕 बुखारी: ५३ फायदा: जब कोई मेहमान आए, तो खुशामदीद, मरहबाया इस तरह के अल्फ़ाज़ कहना सुन्नत है।
नमाजों को सही पढ़ने पर मगफिरत का वादा रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : "पाँच नमाजें अल्लाह तआला ने फर्ज की हैं, जिस ने उन के लिऐ अच्छी तरह वुजू किया और ठीक वक्त पर उन को पढ़ा और रुकू व सज्दह जैसे करना चाहिये वैस हो किया, तो ऐसे शख्स के लिये अल्लाह तआला का पक्का वादा है, के वह उसको बख्श देगा। और जिस ने ऐसा नहीं किया तो लिए अल्लाह तआला का कोई वादा नहीं, चाहेगा तो उसको बख्श देगा और चाहेगा तो सजा देगा।" 📕 अबू दाऊद: ४२५
मौत की तमन्ना करना कैसा? मौत की तमन्ना करना कैसा ?, "किसी तकलीफ़ में अगर कोई शख़्स मुबतला हो तो उसे मौत की तमन्ना नहीं करनी चाहीए और अगर कोई मौत की तमन्ना करने ही लगे तो ये
वालिदैन के साथ अच्छा सुलूक करना कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है : "हम ने इन्सानों को अपने वालिदैन के साथ हुस्ने सुलूक ही करने का हुक्म दिया है।" 📕 सूरह अहकाफ:१५ फायदा: वालिदैन की इताअत फ़रमाबरदारी करना, उनके साथ अच्छा सलूक करना और उनके सामने अदब के साथ पेश आना इन्तेहाई जरूरी है।
शहेद से पेट के दर्द का इलाज Highlights • एक शख्स ने अपने भाई की पेट की तकलीफ के लिए रसूलुल्लाह (ﷺ) से मदद मांगी, तो उन्होंने शहद पिलाने को कहा। • बार-बार शहद पिलाने के बावजूद आराम न मिलने पर भी रसूलुल्लाह (ﷺ) ने अल्लाह के वादे पर भरोसा करने को कहा। • आख़िरकार, शहद के लगातार इस्तेमाल से वह शख्स ठीक हो गया, साबित हुआ कि शहद में शिफा है। एक शख्स रसूलुल्लाह (ﷺ) के पास आया और अर्ज़ किया : “ऐ अल्लाह के रसूल! मेरे भाई के पेट में तकलीफ है।” रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : ‘शहेद पिलाओ।’ वह शख्स गया और शहेद पिलाया,…
वुजू में तीन मर्तबा कुल्ली करना हजरत अली (र.अ) रसूलुल्लाह (ﷺ) के वुजू की कैफियत बयान करते हुए फ़र्माते हैं के : "रसूलुल्लाह (ﷺ) ने तीन बार कुल्ली की।" 📕 मुस्नदे अहमद : ८७४
हदीस: फज़र और असर पाबन्दी से अदा करना... हदीस: फज़र और असर पाबन्दी से अदा करना। रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "हरगिज़ वह आदमी जहन्नम में दाखिल नहीं हो सकता, जो सूरज निकलने से पहले फज़्र की नमाज और सूरज गुरूब होने से पहले अस्र की नमाज़ पढ़े।" 📕 मुस्लिम : १४३६
नमाज के बाद दूसरी नमाज़ का इंतज़ार करने की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: "तकलीफ और नागवारी के बावजूद पूरी तरह मुकम्मल वुजू करना, मस्जिदों की तरफ जियादा कदम बढ़ाना और एक नमाज के बाद दूसरी नमाज़ का इंतज़ार करना, यह आमाल गुनाहों से (आदमी को) बिलकुल पाक साफ कर देते हैं।" 📕 मुस्तदरक : ४५६
MD. Salim Shaikh
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