अस्तगफार कि दुआ (जिसने ये दुआ की उसके सारे गुनाह मुआफ कर दिए गए)
۞ हदीस: ज़ैद (र.अ) से रिवायत है के, रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: जिसने ये कहा तो उसके गुनाह मुआफ कर दिए जायेंगे चाहे वो मैदाने जंग से ही क्यों न भाग गया हो:
“अस्तग्फिरुल्लाह अल लज़ी ला इलाहा इल्ला हुवा अल हय्युल कय्यूम व अतुबू इलैह “
तर्जुमा : (मैं अल्लाह से अपने गुनाहों की मुआफी मांगता हु जिसके सिवा कोई इबादत के लायक नहीं, जो जिंदा और हमेशा रहने वाला है और मैं उसी की तरफ तौबा करता हु)
शोहर के इजाजत की अहमियत: हदीस | Shohar ki ijazat Hadees शोहर के इजाजत की अहमियत: हदीस अबू हरैराह (रज़ी) से रिवायत है के, अल्लाह के रसूल (ﷺ) ने फ़रमाया: "शोहर की गैर हाजिरी मे इसकी इजाजत के बगैर कोई औरत रोज़ा ना रखे सिवाय रमज़ान के, और बगैर इस की इजाजत के इस की मौजूदगी में किसी को घर में आने की इजाजत न दे।" 📕 सुनन अबू दावूद, हदीस 2458
मौत के वक्त कलमा तय्यबा पढ़ने की फ़ज़ीलत : हदीस मौत के वक्त कलमा तय्यबा पढ़ने की फ़ज़ीलत ۞ हदीस: मुआद बिन जबल (र.अ.) से रिवायत है के, रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फरमाया: "जिस नफ्स को भी इस हाल में मौत आए की वो इस बात की गवाही देता हो की अल्लाह के सिवा कोई माबूद नही और मैं (मुहम्मद सलअल्लाहू अलैही वसल्लम) अल्लाह का रसूल हूँ और ये गवाही दिल के यकीन से हो तो अल्लाह सुबहानहु उसकी मगफिरत फरमा देगा।" 📕 सुनन इब्न माजा, 3796 सुभान अल्लाह ! ۞ अल्लाह ताला हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल की तौफ़ीक़ अता फरमाए। ۞ जबतक हमे ज़िंदा रखे इस्लाम और इमां…
इल्मे दीन को छुपाने का गुनाह रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "जिसने इल्म को छुपाया, क़यामत के दिन उस को आग की लगाम पहनाई जाएगी।" 📕 तबरानी कबीर: १०६८९, अन इब्ने अब्बास रज़ि०
गुनाह से न रोकने का वबाल रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जो आदमी ऐसे लोगों के दर्मियान रह कर गुनाह के काम करता हो के वह उस को रोकने पर कादिर हों, मगर फिर भी न रोकें तो अल्लाह तआला मरने से पहले उन को भी उस गुनाह के अज़ाब में मुब्तला कर देगा।" 📕 अबू दाऊद: ४३३९-हसन
ज़िक्रे इलाही (अल्लाह के ज़िक्र) की फ़ज़ीलत : हदीस रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: “जो किसी जगह बैठे और उसमें वो अल्लाह का जिक्र ना करे, तो यह बैठक अल्लाह की तरफ से उसके लिए बाइसे हसरत व नुकसान होगी और जो किसी जगह लेटे और उसमें अल्लाह को याद ना करे तो लेटना उसके लिए अल्लाह की तरफ से बाइसे हसरत व नुकसान होगा.” 📕 सुनन अबू दाऊद : 4856
सबसे ज्यादा आज़माइश किन लोगों की हुई? हदीसे नबवी ﷺ सबसे ज्यादा आज़माइश किन लोगों की हुई? हज़रत मुसब बिन साद रज़िअल्लाहु अन्हु फरमाते हैं के, मैंने रसूलल्लाह ﷺ से दरियाफ्त किया: या रसूलल्लाह! सब से ज्यादा आजमाइश में किन लोगों को डाला जाता है? आप ﷺ ने इरशाद फरमाया: “अंबिया अलैहि सलाम को, फिर उसे जो अंबिया से करीबतर हो, फिर उसे जो अंबिया से करीब हो। (यानी जो अंबिया से जितना ज्यादा कुर्ब ओ ताल्लुक रखेगा उसे उतना ही ज्यादा आज़माया जाएगा)। आदमी को उसके दीन के मुताबिक आज़माया जाता है, पस अगर वो अपने दीन में पुख़्ता हो तो उसकी आज़माइश भी कड़ी होती…
कयामत के रोज़ सब को जिंदा किया जाएगा कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : “(दोबारा) सूर फूंका जाएगा, तो सब के सब कब्रों से निकल कर अपने रब की तरफ दौड़ पड़ेंगे। वह कहेंगे: हाय हमारी बरबादी! हमको हमारी ख्वाब गाहों से किस ने उठा दिया? (जवाब मिलेगा) यह वही है जिसका रहमान (अल्लाह) ने वादा किया था और रसूलों ने सच कहा था। बस वह एक जोर की आवाज़ होगी, जिस से सब जमा हो कर हमारे पास हाजिर कर दिए जाएंगे।” 📕 सूरह यासीन : ५१ ता ५३
माँ बाप पर लानत भेजने का गुनाह रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: “(शिर्क के बाद) सब से बड़ा गुनाह यह है के आदमी अपने माँ बाप पर लानत करे।" अर्ज किया गया: ऐ अल्लाह के रसूल ! कोई अपने माँ बाप पर लानत कैसे भेज सकता है? फर्माया : इस तरह के जब किसी के माँ बाप को बुरा भला कहेगा तो वह भी उसके माँ बाप को बुरा भला कहेगा।” 📕 मुस्लिम : २६३
किसी पर तोहमत लगाना गुनाह अज़ीम है कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : “जो शख्स कोई छोटा या बड़ा गुनाह करे फिर उस की तोहमत (इल्जाम) किसी बेगुनाह पर लगा दे तो उसने बहुत बड़ा बोहतान और खुले गुनाह का बोझ अपने ऊपर लाद लिया।” 📕 सूर निसा : ११२
जब बुरा ख्वाब देखे तो यह अमल करे: हदीस Bura Khwab Dekhne Par Kya Karna Chahiye हदीस: रसूलल्लाह (ﷺ) फरमाते है : "जब तुम में से कोई बुरा ख्वाब देखे, तो तीन मर्तबा बाएं तरफ थुक दे और तीन मर्तबा शैतान के शर्र (बुराई) से अल्लाह की पनाह चाहे ( आऊज़ो बिल्लाहि मिनश शैतानिर रजीम पढ़े और) करवट बदल कर सो जाए।" 📕 मुस्लिम, हदीस 5904
गुस्सा ना किया करो : हदीस गुस्सा ना किया करो : हदीस अबू हुरैरा (रज़ि) से वर्णित है के : एक आदमी ने पैगंबर (ﷺ) से कहा, "मुझे सलाह दीजिये!" पैगंबर (ﷺ) ने कहा, "गुस्सा करने से बचो और उग्र मत बनो।" आदमी ने (वही) बार-बार पूछा, और पैगंबर (ﷺ) ने प्रत्येक मामले में कहा, "क्रोध से बचो और उग्र मत बनो।" 📕 सहिह अल-बुखारी ६११६📕 इन-बुक संदर्भ: पुस्तक 78, हदीस 143
मोमिन के साथ क़ब्र का सुलूक रसलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जब मोमिन बन्दे को दफन किया जाता है, तो कब्र उस से कहती है: तुम्हारा आना मुबारक हो, मेरी पुश्त पर चलने वालों में तुम मुझे सब से जियादा महबूब थे, जब तुम मेरे हवाले कर दिए गए और मेरे पास आ गए, तो तुम आज मेरा हुस्ने सुलूक देखोगे, तो जहाँ तक नजर जाती है क़ब्र कुशादा हो जाती है और उसके लिये जन्नत का दरवाजा खोल दिया जाता है।" 📕 तिरमिजी : २४६०, अन अबी सईद खुदरी (र.अ)
अजान और इक़ामत के बिच में दुआ रद्द नहीं की जाती अजान और इक़ामत के बिच में दुआ ۞ हदीस : अल्लाह के नबी (ﷺ) ने फ़रमाया : “अजान और इक़ामत के बिच में दुआ रद्द नहीं की जाती, इसीलिए तुम दुआ करो।” 📕 मुसनदे अहमद, 13357
गुनहगारों के साथ क़ब्र का सुलूक रसलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जब गुनहगार या काफ़िर बन्दे को दफ़्न किया जाता है, तो कब्र उससे कहती है : तेरा आना ना मुबारक हो, मेरी पीठ पर चलने वालों में तुम मुझे सब से जियादा ना पसंद थे, जब तुम मेरे हवाले कर दिए गए और मेरे पास आ गए, तो तुम आज मेरी बद सुलूकी देखोगे, फिर कब्र उस को दबाती है और उस पर मुसल्लत हो जाती है, तो उसकी पसलियों एक दूसरे में घुस जाती हैं।" 📕 तिर्मिज़ी : २४६०, अन अबी सईद (र.अ)