۞ हदीस: ज़ैद (र.अ) से रिवायत है के, रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: जिसने ये कहा तो उसके गुनाह मुआफ कर दिए जायेंगे चाहे वो मैदाने जंग से ही क्यों न भाग गया हो:
“अस्तग्फिरुल्लाह अल लज़ी ला इलाहा इल्ला हुवा अल हय्युल कय्यूम व अतुबू इलैह “
तर्जुमा : (मैं अल्लाह से अपने गुनाहों की मुआफी मांगता हु जिसके सिवा कोई इबादत के लायक नहीं, जो जिंदा और हमेशा रहने वाला है और मैं उसी की तरफ तौबा करता हु)
माँ बाप पर लानत भेजने का गुनाह रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: “(शिर्क के बाद) सब से बड़ा गुनाह यह है के आदमी अपने माँ बाप पर लानत करे।" अर्ज किया गया: ऐ अल्लाह के रसूल ! कोई अपने माँ बाप पर लानत कैसे भेज सकता है? फर्माया : इस तरह के जब किसी के माँ बाप को बुरा भला कहेगा तो वह भी उसके माँ बाप को बुरा भला कहेगा।” 📕 मुस्लिम : २६३
कयामत के हालात कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है “जब सूरज बेनूर हो जाएगा और सितारे टूट कर गिर पड़ेंगे और जब पहाड़ चला दिए जाएँगे और जब दस माह की गाभिन ऊँटनियाँ (कीमती होने के बावजूद आजाद) छोड़ दी जाएँगी और जब जंगली जानवर जमा हो जाएँगे और जब दर्या भड़का दिए जाएंगे।” 📕 सूर तकवीर: १-६
बदन में एक गोश का टुकड़ा है जब वो दुरुस्त होगा तो सारा बदन दुरुस्त होगा: हदीस हदिस: दिल के कैफ़ीयत की अहमियत नुमान बिन बशीर (र.अ.) से रिवायत है के, मैंने रसूलअल्लाह (ﷺ) से सुना की, "सुन लो ! बदन में एक गोश का टुकड़ा है जब वो दुरुस्त होगा तो सारा बदन दुरुस्त होगा और अगर वो बिगड़ गया तो सारा बदन बिगड़ गया और वो तुम्हारा दिल है।" 📕 सहीह अल बुखारी, हदीस: 52
शोहर के इजाजत की अहमियत: हदीस | Shohar ki ijazat Hadees शोहर के इजाजत की अहमियत: हदीस अबू हरैराह (रज़ी) से रिवायत है के, अल्लाह के रसूल (ﷺ) ने फ़रमाया: "शोहर की गैर हाजिरी मे इसकी इजाजत के बगैर कोई औरत रोज़ा ना रखे सिवाय रमज़ान के, और बगैर इस की इजाजत के इस की मौजूदगी में किसी को घर में आने की इजाजत न दे।" 📕 सुनन अबू दावूद, हदीस 2458
ज़ुल्म के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाना: हदीस Hadees of the Day ज़ुल्म के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाना: हदीस अबु बक्र सिद्दीक (रजी) से रिवायत है की,रसुलल्लाह (ﷺ) ने फरमाया: "अगर लोग जालीम को जुल्म करते हुए देखे और उसे न रोके तो करीब है की अल्लाह तआला उन सबको अजाब मे मुब्तला कर देगा।" 📕 रियाद अस-सलीहिन, हदीस, 197
गुनाह से न रोकने का वबाल रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जो आदमी ऐसे लोगों के दर्मियान रह कर गुनाह के काम करता हो के वह उस को रोकने पर कादिर हों, मगर फिर भी न रोकें तो अल्लाह तआला मरने से पहले उन को भी उस गुनाह के अज़ाब में मुब्तला कर देगा।" 📕 अबू दाऊद: ४३३९-हसन
जब बुरा ख्वाब देखे तो यह अमल करे: हदीस Bura Khwab Dekhne Par Kya Karna Chahiye हदीस: रसूलल्लाह (ﷺ) फरमाते है : "जब तुम में से कोई बुरा ख्वाब देखे, तो तीन मर्तबा बाएं तरफ थुक दे और तीन मर्तबा शैतान के शर्र (बुराई) से अल्लाह की पनाह चाहे ( आऊज़ो बिल्लाहि मिनश शैतानिर रजीम पढ़े और) करवट बदल कर सो जाए।" 📕 मुस्लिम, हदीस 5904
मुसलमानों को तकलीफ देने का गुनाह रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : “जिस शख्स ने किसी मुसलमान को तकलीफ दी, उस ने मुझे तकलीफ पहुँचाई और जिसने मुझे तकलीफ पहुँचाई उसने अल्लाह को तकलीफ पहुँचाई।” 📕 मोअजमे औसत लित्तबरानी : ३७४५
एक महान शिक्षक: पैग़म्बर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम आपकी शिक्षाएं: सारे इंसानों को एक ईश्वर (अल्लाह) ने बनाया है। सारे इंसान एक आदम की संतान हैं। दुनिया में कोई इंसान छोटा-बड़ा, छूत-अछूत, ऊँचा-नीचा नहीं है। बेटियों की हत्या महापाप है। इंसानों के बीच भेदभाव करना ईश्वर को नापसंद है। इंसान में बड़ा वो है जिसमें ईश्वरभय (तक़वा) हो। दुनिया एक परीक्षा स्थल है, मरने के बाद हिसाब होगा। दुनिया में जो भी सुविधाएं प्राप्त हैं, परलोक में उनका हिसाब होगा। पैग़म्बर मुहम्मद सल्ल. के बारे में और अधिक जानने तथा आपकी शिक्षाओं को पढ़ने के लिए, हमारे इस्लामिक स्रोत पीडीएफ़ को मुफ्त प्राप्त करें। अभी व्हाट्सएप करें: 96176…
कुरआन पढ़ना और उस पर अमल करना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जिसने कुरआन पढ़ा और उसके हुक्मों पर अमल किया, तो उसके माँ बाप को कयामत के दिन ऐसा ताज पहनाया जाएगा, जिस की रोशनी आफताब की रोशनी सभा ज्यादा होगी, अगर वह आफताब तुम्हारे घरों में मौजूद हो।" 📕 अबू दाऊद : १४५३
मौत के वक्त कलमा तय्यबा पढ़ने की फ़ज़ीलत : हदीस मौत के वक्त कलमा तय्यबा पढ़ने की फ़ज़ीलत ۞ हदीस: मुआद बिन जबल (र.अ.) से रिवायत है के, रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फरमाया: "जिस नफ्स को भी इस हाल में मौत आए की वो इस बात की गवाही देता हो की अल्लाह के सिवा कोई माबूद नही और मैं (मुहम्मद सलअल्लाहू अलैही वसल्लम) अल्लाह का रसूल हूँ और ये गवाही दिल के यकीन से हो तो अल्लाह सुबहानहु उसकी मगफिरत फरमा देगा।" 📕 सुनन इब्न माजा, 3796 सुभान अल्लाह ! ۞ अल्लाह ताला हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल की तौफ़ीक़ अता फरमाए। ۞ जबतक हमे ज़िंदा रखे इस्लाम और इमां…
मोमिन के साथ क़ब्र का सुलूक रसलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जब मोमिन बन्दे को दफन किया जाता है, तो कब्र उस से कहती है: तुम्हारा आना मुबारक हो, मेरी पुश्त पर चलने वालों में तुम मुझे सब से जियादा महबूब थे, जब तुम मेरे हवाले कर दिए गए और मेरे पास आ गए, तो तुम आज मेरा हुस्ने सुलूक देखोगे, तो जहाँ तक नजर जाती है क़ब्र कुशादा हो जाती है और उसके लिये जन्नत का दरवाजा खोल दिया जाता है।" 📕 तिरमिजी : २४६०, अन अबी सईद खुदरी (र.अ)
MD. Salim Shaikh
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