Aaina dekhne ki Dua in Hindi Aaina dekhne ki Dua in Hindi | "अल्लाहुम्म अहसं त खल्फ़ी फ़ अहसिन खुलुक़ी " ए अल्लाह! तूने मेरी शक्लो सूरत बेहतर बनायी है तो मेरी सीरत (अखलाख) भी बेहतर बना दे।
शबे मेराज का वाकिया | Shab e Meraj ka waqia शबे मेराज का वाकिया | Shab e Meraj ka waqia in Hindi मेराज की घटना नबी (सल्ललाहो अलैहि वसल्लम) का एक महान चमत्कार है, और इस में आप (सल्ललाहो अलैहि वसल्लम) को अल्लाह ने विभिन्न निशानियों का जो अनुभव कराया यह भी अति महत्वपूर्ण है। मेराज के दो भाग हैं, प्रथम भाग को इसरा और दूसरे को मेराज कहा जाता है, लेकिन सार्वजनिक प्रयोग में दोनों ही को मेराज के नाम से याद कर लिया जाता है। इसरा क्या है ? इसरा कहते हैं रात के एक भाग में चलना, अभिप्राय यह है कि मुहम्मद (सल्ललाहो अलैहि वसल्लम) का रात…
क्या वह लोग नहीं देखते कि हर साल मुसीबत में मुबितला किए जाते हैं फिर भी ... हर साल मुसीबत में मुबितला किए जाते हैं - ۞ बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम ۞ " क्या वह लोग (इतना भी) नहीं देखते कि हर साल एक मरतबा या दो मरतबा बला (मुसीबत) में मुबितला किए जाते हैं फिर भी न तो ये लोग तौबा ही करते हैं और न नसीहत ही मानते हैं" 📕 Surah Taubah 9:126 अल्लाह पर इमांन के बारे में पढ़े अल्लाह कौन है – अल्लाह का परिचय और विशेषताएं इस्लाम क्या है - इस्लाम का सक्षिप्त परिचय इस्लाम से पहले क्या था ? क़यामत क्या है और क्यों आएगी?
माँ की नाफरमानी की सजा! अल्लाह के वली का इबरतनाक वाकिआ | Story of Juraij (Rh.) and his Mother वालिदैन की इता'अत क्या दर्ज़ा रखती है और इनकी नाफ़रमानी का नातीज़ा क्या होता है चाहे इंसान कितना ही नेक हो। आइये इसके ताल्लुक से एक वाकिये पर गौर करते हैं। माँ की नाफरमानी की सजा! अल्लाह के वली का इबरतनाक वाकिआ रसूलअल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) फरमाते हैं के:“हमसे पिछली उम्मत में एक नेक शख़्स थे जो अल्लाह के वली थे, जिनका नाम जुरैज़ था। उन्होन एक गिरजा तामीर किया था और उसमें वो अल्लाह की इबादत किया करते थे, नमाज अदा करते थे। एक मरतबा हुआ यूं कि जुरैज अपनी नमाज में थे तब उनकी वालिदा (माँ) आई और…
जानिए- क्यों मनाई जाती ही क़ुरबानी ईद ? (क़ुरबानी की हिक़मत) " कह दो कि मेरी नमाज़ मेरी क़ुरबानी 'यानि' मेरा जीना मेरा मरना अल्लाह के लिए है जो सब आलमों का रब है ।" [कुरआन 6:162] - बकरा ईद का असल नाम "ईदुल-अज़हा" है, मुसलमानों में साल में दो ही त्यौहार मजहबी तौर पर मनाए जाते हैं एक "ईदुल फ़ित्र" और दूसरा "ईदुल अज़हा"....। - ईदुल फ़ित्र जहाँ रमज़ान के पूरा होने पर मनाई जाती है वहीं वह कुरआन के नाज़िल होने के शुरू होने की ख़ुशी भी अपने अन्दर रखती है। - ऐसे ही ईदुल अज़हा जहाँ हज के पूरा होने पर मनाई जाती है,.. वहीं इन्ही दिनों में…
दज्जाल की हकीकत | दज्जाल कौन है, कहाँ है और कब निकलेगा? Dajjal ki Hakikat in Hindi दज्जाल की हकीकत | दज्जाल कौन है, दज्जाल कहाँ है, और वह कब निकलेगा? ۞ बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम ۞ अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान बहुत रहमवाला है। सब तारीफें अल्लाह तआला के लिए हैं जो सारे जहान का पालनहार है। हम उसी से मदद व माफी चाहते हैं,अल्लाह की ला’तादाद सलामती, रहमते व बरकतें नाज़िल हों मुहम्मद सल्ल. पर, आप की आल व औलाद और असहाब रजि. पर। व बअद - दज्जाल की हकीकत | दज्जाल कौन है, दज्जाल कहाँ है, और वह कब निकलेगा? दज्जाल का कैद से निकलना भी कयामत से पहले की दस…
माँ बाप की नाफरमानी से बचो : क़ुरान हदीस की रौशनी में | Maa Baap ki Nafarmani se bachey ۞ बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम ۞ अपने माँ बाप को उफ्फ तक न कहो: "और तुम्हारे रब ने फ़रमाया है की, उसके सिवा किसी की ईबादत ना करो और अपने माँ बाप के साथ भलाई करते रहो और अगर तुम्हारे सामने उनमें से एक या दोनों बुढ़ापे को पहुँच जाये तो उन्हे उफ़ भी न कहो और ना उन्हें झिड़को और उनसे अदब से बात करो और उनके सामने शफ़कत से आजज़ी के साथ झुके रहो और कहो की एह मेरे रब! जैसे उन्होंने मुझे बचपन से पाला है इसी तरह तू भी उन पर रहम फरमा।" 📕 सुरह बनी इसराईल 17:23-24 बाप…
हज की हिकमत - हज का असल मकसद (Hajj ki Hikmatain aur Maksad) यह बात हर मुसलमान जानता है कि हज इस्लाम की बुन्यादों में से एक है, और हज अदा करने के फज़ाईल भी लोग आम तौर पर जानते ही हैं लेकिन अक्सर मुसलमान "हज की हिकमत" से अनजान हैं और जिस इबादत से हिकमत निकल जाती है वह इबादत एक बेजान जिस्म की तरह रह जाती है फिर उसके वो असरात इंसान की ज़िन्दगी पर नहीं होते जो होने चाहियें थे। जैसे अल्लामा इकबाल ने कहा है: "रह गई रस्म-ऐ-अजां रूह-ऐ-बिलाली न रही...." हज का मामला भी आज कल यही है, लोग पूरा हज कर आते हैं और उन्हें पता ही…
ईद की नमाज़ से पहले क़ुरबानी कबुल नहीं: हदिस | Eid ki Namaz se pehle Qurbani Qabool nahi -… ईद की नमाज़ से पहले क़ुरबानी कबुल नहीं: हदिस जुन्दब (र.अ) से रिवायत है के, रसूलअल्लाह (ﷺ) ने ईद उल अजहा की नमाज़ पढ़ने के बाद खुत्बा दिया फिर क़ुरबानी की और फ़रमाया - "जिसने (ईद की) नमाज़ से पहले क़ुरबानी कर दी हो, उसे दूसरा जानवर बदले में क़ुरबानी करना चाहिए और जिसने नमाज़ से पहले क़ुरबानी न की हो वो अल्लाह के नाम से क़ुरबानी करे।" 📕 सहीह अल-बुखारी, हदिस 985
29. मुहर्रम | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा इस्लामी तारीख : कौमे लूत पर अजाब, कुदरत : दरख्तों के पत्तों के फायदे, एक फर्ज : दीन में नमाज़ की अहेमियत, गरीब व मिस्कीन से मुलाकात करना, क़यामत के दिन सब से बदहाल शख्स ...
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