पड़ोसी के साथ अच्छा सुलूक करना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "अल्लाह के नज़दीक बेहतरीन साथी (दोस्त) वह है, जो अपने साथी के लिये बेहतर हो और अल्लाह के नज़दीक बेहतरीन पड़ोसी वह है जो अपने पड़ोसी के हक़ में अच्छा हो।" 📕 तिर्मिज़ी : १९४४
इल्म हासिल करना फ़र्ज़ है ... रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : “इल्म हासिल करना हर मुसलमान पर फर्ज है।” 📕 इब्ने माजा: २२४ फायदा : हर मुसलमान पर इल्मे दीन का इतना हासिल करना फर्ज है के जिस से हलाल व हराम में तमीज़ कर ले और दीन की सही समझ बूझ, इबादात के तरीके और सही मसाइल की मालमात हो जाए।
वारिसीन के दर्मियान विरासत तकसीम करना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "माल (विरासत) को किताबुल्लाह के मुताबिक हक़ वालों के दर्मियान तकसीम करो।" 📕 मुस्लिम: ४१४३ फायदा : अगर किसी का इन्तेकाल हो जाए और उस ने माल छोड़ा हो, तो उस को तमाम हक वालों के दर्मियान तकसीम करना वाजिब है, बगैर किसी शरई वजह के किसी वारिस को महरूम करना या अल्लाह तआला के बनाए हुए हिस्से से कम देना जाइज नहीं है ।
नफ़्स की बुराई से पनाह माँगने की दुआ रसूलल्लाह (ﷺ) ने हजरत इमरान बिन हुसैन (र.अ) के वालिद को यह दुआ सिखाई: तर्जमा: ऐ अल्लाह! मेरे दिल में भलाई डाल दे और मेरे नफ़्स की बुराई से मुझे बचा दे। 📕 तिर्मिज़ी: ३४८३
जमात से नमाज़ अदा करना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया: "जिस ने तक्बीरे ऊला के साथ चालीस दिन तक अल्लाह की रज़ा के लिए जमात के साथ नमाज़ पढी उस के लिये दोजख से नजात और निफाक से बरात के दो परवाने लिख दिये जाते हैं।" 📕 तिर्मिज़ी: २४१
अल्लाह तआला के साथ शिर्क करने का गुनाह अल्लाह तआला के साथ शिर्क करने का गुनाह कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : "बिलाशुबा अल्लाह तआला शिर्क को मुआफ नहीं करेगा। शिर्क के अलावा जिस गुनाह को चाहेगा, माफ कर देगा और जिसने अल्लाह तआला के साथ किसी को शरीक किया, तो उसने अल्लाह के खिलाफ बहुत बड़ा झूट बोला।" 📕 सूरह निसा: ४४
तक़दीर पर ईमान लाना हर चीज़ तकदीर से है रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "हर चीज़ तकदीर से है, यहाँ तक के आदमी का नाकारा और नाकाबिल और काबिल व होशियार होना (भी तकदीर ही से है)।" 📕 सहीह मुस्लिम : ६७५१ वजाहत: तकदीर कहते है के दुनिया में जो कुछ भी हो रहा है, अच्छा हो या बुरा वह सब अल्लाह तआला के हुक्म और उसकी मशिय्यत से है, हमारे ऊपर उसका यक़ीन रखना और उसपर ईमान लाना फर्ज है।
अल्लाह और उसके बन्दों के हुकूक अदा करो क़ुरान में अल्लाह तआला फर्माता है: "अल्लाह के सिवा किसी की इबादत न करो, वालिदेन के साथ अच्छा सुलूक करो, रिश्तेदारों, यतीमों और मिसकीनों के साथ भी अच्छा बर्ताव करो, लोगों से ख़ुश अख्लाक़ी से बात करो, नमाज़ क़ायम करो और ज़कात अदा करो।" 📕 सूरह बकरा: 83
सिला रहमी करना कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है: "जो लोग अल्लाह के अहद को तोड़ते हैं, उस को मजबूत कर लेने के बाद और उन तअल्लुक़ात को तोड़ते हैं, जिन के जोड़ने का अल्लाह तआला ने हुक्म दिया है और जमीन में फसाद मचाते हैं, यही लोग नुकसान उठाने वाले हैं।" 📕 सूरह बकरा : २७ फायदा: रिश्ते, नाते और तअल्लुक़ात को बरकरार (सिला रहमी करना) रखना और उस को खत्म न करना बहुत जरूरी है।
अल्लाह का बा बरकत निजाम अल्लाह तआला का कितना अच्छा इन्तज़ाम है के दुनिया में जो चीजें बहुत ज़्यादा इस्तेमाल होती हैं उन को बहुत ज्यादा आम कर दिया है जसे हवा, पानी वगैरा; अगर हम खाए जाने वाले जानवरों में से बकरे पर गौर करें, तो हम देखेंगे के दुनिया में रोजाना लाखों की तादाद में और बकर ईद के दिनों में अरबों की तादाद में बकरे जबह किए जाते हैं, लेकिन कभी यह बात सामने नहीं आती के बकरों की नस्ल में कमी हो गई, क्यों कि अल्लाह तआला जियादा इस्तेमाल होने वाली चीज़ों में बरकत अता फरमाता हैं। 📕 अल्लाह की कुदरत
अहले जन्नत की नेअमतें: परहेज़गारों के लिये अच्छा ठिकाना है कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : "परहेज़गारों के लिये (आखिरत में) अच्छा ठिकाना है, हमेशा रहने वाले बागात हैं, जिन के दरवाजे उन के लिये खुले हुए होंगे, वह उन बागों में तकिये लगाए बैठे होंगे, वह वहाँ (जन्नत के खादिमों से) बहुत से मेवे और पीने की चीजें मंगाएँगे और उन लोगों के पास नीची नजरों वाली हम उम्र हुरे होंगी।" 📕 सूरह साद: ४९ ता ५२
पानी न मिलने पर तयम्मुम करना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "पाक मिट्टी मुसलमान का सामाने तहारत है, अगरचे दस साल तक पानी न मिले, पस जब पानी पाए तो चाहिये के उस को बदन पर डाले यानी उस से वुजू या ग़ुस्ल कर ले। क्योंकि यह बहुत अच्छा है।" 📕 अबू दाऊद : ३३२
वालिदैन के साथ अच्छा सुलूक करना कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है : "हम ने इन्सानों को अपने वालिदैन के साथ हुस्ने सुलूक ही करने का हुक्म दिया है।" 📕 सूरह अहकाफ:१५ फायदा: वालिदैन की इताअत फ़रमाबरदारी करना, उनके साथ अच्छा सलूक करना और उनके सामने अदब के साथ पेश आना इन्तेहाई जरूरी है।
नमाज के बाद दूसरी नमाज़ का इंतज़ार करने की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: "तकलीफ और नागवारी के बावजूद पूरी तरह मुकम्मल वुजू करना, मस्जिदों की तरफ जियादा कदम बढ़ाना और एक नमाज के बाद दूसरी नमाज़ का इंतज़ार करना, यह आमाल गुनाहों से (आदमी को) बिलकुल पाक साफ कर देते हैं।" 📕 मुस्तदरक : ४५६
बीवियों के साथ अच्छा सुलूक करना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "ईमान वालों में ज़ियादा मुकम्मल ईमान वाले वह लोग हैं, जो अखलाक में ज्यादा अच्छे हैं और तुम में सबसे अच्छे वह लोग हैं जो अपनी बीवियों के साथ अच्छा बरताव करते हैं।” 📕 तिर्मिज़ी: ११६२
MD. Salim Shaikh
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