रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“जिस शख्स को हदिया (तोहफा) दिया जाए, अगर उस के पास भी देने के लिए हो, तो उसको बदले में हदिया देने वाले को दे देना चाहिए और अगर कुछ न हो तो (बतौर शुक्रिया) देने वाले की तारीफ़ करनी चाहिए। क्यों कि जिस ने तारीफ़ की उसने शुक्रिया अदा कर दिया और जिस ने छुपाया उसने नाशुक्री की।”
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