हज़रत रुकय्या (र.अ) हुजूर (ﷺ) की दूसरी साहबज़ादी (बेटी) थीं, वह पहले अबू लहब के बेटे उत्बा के निकाह में थीं, जब हुजूर (ﷺ) को नुबुव्वत मिली और लोगों को दावत देना शुरू किया, तो अबू लहब के हुक्म पर उत्बा ने हजरत रुकय्या (र.अ) को तलाक दे दी, फिर हज़रत उस्मान (र.अ) से उनका निकाह हुआ, उनसे एक लड़का अब्दुल्लाह पैदा हुए।
हजरत रुकय्या (र.अ) हजरत उस्मान (र.अ) के साथ हब्शा हिजरत कर गई, हिजरत के वक्त हुजूर (ﷺ) ने फ़र्माया: इस उम्मत में सबसे पहले हिजरत करने वाले उस्मान (र.अ) और उन की अहलिया है। कुछ अर्से बाद दोनों हब्शा से मक्का आए और फिर हिजरत कर के मदीना आ गए।
ग़ज़व-ए-बद्र के मौके पर हजरत रुकय्या (र.अ) बहुत बीमार हो गई थीं, इस लिए हुजूर (ﷺ) ने हजरत उस्मान (र.अ) को उन की तिमारदारी के लिए रोक दिया था और उसी बीमारी में सन २ हिजरी में हज़रत रुकय्या (र.अ) का इन्तेकाल हो गया, जंगे बद्र में शिरकत की वजह से हुजूर (ﷺ) उन की नमाजे जनाजा में शरीक न हो सके। यह जन्नतुल बकी में मदफून हुई।