सिरत : उम्मुल मोमिनीन हज़रत खदीजा (र.अ)
हजरत खदीजा बिन्ते खुवैलिद (र.अ) बड़ी बा कमाल और नेक सीरत खातून थीं, उनका तअल्लुक कुरैश के मुअज्जज खानदान से था, वह खुद भी बाअसर और कामयाब तिजारत की मालिक थीं। उनकी पहली शादी अबूहाला से हुई जिन से दो लड़के पैदा हुए उन के इन्तेकाल के बाद दूसरी शादी अतीक बिन आबिद मखजूमी से हुई उनसे एक लड़की पैदा हुई, कुछ दिनों के बाद अतीक की भी वफ़ात हो गई।
हजरत खदीजा (र.अ) की शराफ़त व मालदारी की वजह से बहुत से सरदाराने कुरैश उन के साथ निकाह करने के ख्वाहिशमन्द थे, मगर उन्होंने सबसे इन्कार कर दिया।
जब उन्होंने हुजूर (ﷺ) की अमानत व सच्चाई की शोहरत सुनी तो उनसे निकाह की रगबत पैदा हुई, मजीद तसल्ली के लिए आप को माले तिजारत देकर अपने गुलाम मैसरा के साथ मुल्के शाम भेजा, फिर जब आप सफ़र से वापस तशरीफ़ लाए, तो हजरत खदीजा (र.अ) ने तिजारत में बरकत और आप की अमानत व अख्लाक़ से मुतअस्सिर होकर खुद निकाह का पैगाम भेजा। रसूलुल्लाह (ﷺ) ने इस का तजकिरा अपने मुश्फ़िक चचा अबू तालिब से किया, उन्होंने बखुशी मंजूर किया और आप का निकाह हज़रत खदीजा (र.अ) से कर दिया। उस वक्त हज़रत खदीजा (र.अ) की उम्र चालीस साल और आप (ﷺ) की उम्र मुबारक पच्चीस साल थी।
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