अपने घर वालों को नमाज़ का हुक्म देना अपने घर वालों को नमाज़ का हुक्म देना कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है: "आप अपने घर वालों को नमाज़ का हुक्म करते रहो और खुद भी नमाज़ के पाबन्द रहिये, हम आपसे रोजी तलब नहीं करते, रोजी तो आप को हम देंगे आर अच्छा अंजाम तो परहेजगारों का है।" 📕 सूरह ताहा: १३२
किसी पर तोहमत लगाना गुनाह अज़ीम है कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : “जो शख्स कोई छोटा या बड़ा गुनाह करे फिर उस की तोहमत (इल्जाम) किसी बेगुनाह पर लगा दे तो उसने बहुत बड़ा बोहतान और खुले गुनाह का बोझ अपने ऊपर लाद लिया।” 📕 सूर निसा : ११२
अल्लाह और रसूल की नाफरमानी का गुनाह कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है : “जो शख्स अल्लाह और उस के रसूल की नाफर्मानी करेगा, और उसकी (मुकर्रर की हुई) हदों से आगे बढ़ेगा तो अल्लाह तआला उस को आग में दाखिल करेगा, जिसमें वह हमेशा रहेगा, और उसको जलील व रुस्वा करने वाला अजाब होगा।” 📕 सूरह निसा १४ "जो शख्स अल्लाह और उसके रसूल का कहना न माने वह खुली हुई गुमराही में है।" 📕 सूर-ए-अहजाब: ३६ "बिला शुबा जो लोग अल्लाह और उस के रसूल को (उन का हुक्म न मान कर) तकलीफ देते हैं, अल्लाह तआला उन पर दुनिया व आखिरत में लानत करता…
यतीमों का माल खाने का गुनाह कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : "यतीमों के माल उन को देते रहा करो और पाक माल को नापाक माल से न बदलो और उन का माल अपने मालों के साथ मिला कर मत खाओ ऐसा करना यकीनन बहुत बड़ा गुनाह है।" 📕 सूरह निसा : २
कर्जो और ग़मों से नजात की दुआ रसूलल्लाह (ﷺ) ने कर्ज़ों और ग़मों से छुटकारे के लिये सुबह व शाम यह दुआ पढ़ने के लिये फर्माया : "Allahumma inni a’udhu bika minal-hammi wal hazan, wa a’udhu bika minal-‘ajzi wal-kasal wa a’udhu bika minal-jubni wal-bukhul wa a’udhu bika min ghalabatid-dayn wa qahrir-rijal." तर्जुमा: ए अल्लाह मैं पनाह चाहता हु रंज और ग़म से, और पनाह चाहता हूँ आजज़ी और कुसली (सुस्ती) से और पनाह चाहता हूँ बुख़ल और बुज़दिली से और पनाह चाहता हु कसरत ए क़र्ज़ से और लोगों के ग़लबा पाने से। 📕 अबू दाऊद : १५५५
सुबह की नमाज अदा करने पर हिफाज़त का जिम्मा सुबह की नमाज अदा करने पर हिफाज़त का जिम्मा रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : “जिस ने सुबह (यानी फज़र) की नमाज़ अदा की, वह अल्लाह की हिफ़ाज़त में है।” 📕 मुस्लिम: १४९३
नमाज़ छोड़ने का गुनाह रसलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया: "जो शख्स जान बूझकर नमाज़ छोड़ देता है, अल्लाह तआला उसके सारे आमाल बेकार कर देता है और अल्लाह का ज़िम्मा उस से बरी हो जाता है जब तक के वह अल्लाह से तौबा न कर ले।" 📕 तरगीव वतरहीब: ७८३
मेहर अदा ना करने का गुनाह रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "जिस आदमी ने किसी औरत से मेहर के बदले निकाह किया और उस का महेर अदा करने का इरादा न हो, तो वह जानी (जीना करने) के हुक्म में है और जिस आदमी ने किसी से क़र्ज़ लिया। फिर उस का क़र्ज़ अदा करने की निय्यत न हो, तो वह चोर के हुक्म में है।" 📕 तरग़ीब २६०२, अन अबी हुरैरह (र.अ)
वुजू कर के इमाम के साथ नमाज अदा करने की फ़ज़ीलत रसुलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जिस ने अच्छी तरह मुकम्मल वुजू किया, फिर फर्ज नमाज अदा करने के लिये गया और इमाम के साथ नमाज पढी, उसके (सगीरा गुनाह) माफ कर दिये जाते हैं।" 📕 इब्ने खुजैमा १४०९
हमेशा सच बोलो क्योंकि सच नेकी का रास्ता बताता है रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: "हमेशा सच बोलो क्योंकि सच नेकी का रास्ता बताता है और सच और नेकी जन्नत में दाखिल करने वाले हैं। तुम झूट से बचो क्योंकि वह गुनाह का रास्ता बताता है और झूट और गुनाह जहन्नम में दाखिल करने वाले हैं।" 📕 तबरानी कबीर :१६२५१, अन मुआविया बिन अबी सुफियान (र.अ)
मेरी नमाज़, क़ुरबानी, मेरा जीना मरना सब कुछ अल्लाह के लिए है ۞ बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम ۞ मेरी नमाज़, क़ुरबानी, मेरा जीना मरना सब कुछ अल्लाह के लिए है "आप फ़रमा दीजिए बेशक! मेरी नमाज़ मेरी कुर्बानी मेरा जीना मेरा मरना सब कुछ अल्लाह ही के लिए है जो सारे जहान का मालिक है।" 📕 क़ुरआन; सूरह अल अनआम 6:162
दीन-ऐ-इस्लाम में नमाज़ की अहमियत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : "दीन बगैर नमाज़ के नहीं है, नमाज़ दीन के लिये ऐसी है जैसा आदमी के बदन के लिये सर होता है।" 📕 तबरानी औसत: २३८३
क़ज़ा नमाजों की अदायगी क़ज़ा नमाजों की अदायगी रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "जो कोई नमाज पढ़ना भूल गया या नमाज के वक्त सोता रह गया, तो (उसका कफ्फारा यह है के) जब याद आए उसी वक्त पढ़ ले।” 📕 तिर्मिज़ी: १७७ फायदा: अगर किसी शख्स की नमाज किसी उज्र की वजह से छूट जाए या सोने की हालत में नमाज़ का वक़्त गुज़र जाए, तो बाद में उसको पढ़ना फर्ज है।
रुकू व सज्दा अच्छी तरह न करने पर वईद रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : "बदतरीन चोरी करने वाला शख्स वह है जो नमाज़ में से भी चोरी कर ले, सहाबा ने अर्ज किया : या रसूलल्लाह (ﷺ) ! नमाज़ में से कोई किस तरह चोरी करेगा ? फर्माया : वह रुकू और सज्दा अच्छी तरह से नहीं करता है।" 📕 इब्ने खुजैमा : ६४३
ज़कात अदा करना हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद (र.अ) इर्शाद फ़र्माते हैं के, "हमें नमाज़ कायम करने का और जकात अदा करने का हुक्म है और जो शख्स जकात अदा न करे उसकी नमाज़ भी (क़बूल) नहीं।" 📕 तबरानी फिल कबीर : ९९५०
MD. Salim Shaikh
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