“क्या ईमान वालों के लिए अभी तक ऐसा वक्त नहीं आया के उनके दिल अल्लाह की नसीहत और जो दीने हक़ नाजिल हुआ है उसके सामने झुक जाएँऔर वह उन लोगों की तरह न हो जाएँ जिन को उन से पहले किताब दी गई थी।यानी वह वक्त आ चुका है के मुसलमानों के दिल कुरआन और अल्लाह की याद और उस के सच्चे दीन के सामने झुक जाएँ।”
माँ बाप की नाफरमानी से बचो : क़ुरान हदीस की रौशनी में | Maa Baap ki Nafarmani se bachey ۞ बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम ۞ अपने माँ बाप को उफ्फ तक न कहो: "और तुम्हारे रब ने फ़रमाया है की, उसके सिवा किसी की ईबादत ना करो और अपने माँ बाप के साथ भलाई करते रहो और अगर तुम्हारे सामने उनमें से एक या दोनों बुढ़ापे को पहुँच जाये तो उन्हे उफ़ भी न कहो और ना उन्हें झिड़को और उनसे अदब से बात करो और उनके सामने शफ़कत से आजज़ी के साथ झुके रहो और कहो की एह मेरे रब! जैसे उन्होंने मुझे बचपन से पाला है इसी तरह तू भी उन पर रहम फरमा।" 📕 सुरह बनी इसराईल 17:23-24 बाप…
अपनी जानों पर जुल्म ना करो: कुरआन अपनी जानों पर ज़ुल्म न करो: अल्लाह ताला ज़ुल्म से बचने के बारे में इरशाद फरमाता है: और अपने आप को क़त्ल न करो। और जो शख्स जोरो ज़ुल्म से नाहक़ ऐसा करेगा (ख़ुदकुशी करेगा) तो (याद रहे कि) हम बहुत जल्द उसको जहन्नुम की आग में झोंक देंगे यह ख़ुदा के लिये आसान है। सूरह निसा 4:29-30 और अल्लाह की राह में ख़र्च करो और अपने हाथ जान हलाकत मे न डालो और नेकी करो बेशक अल्लाह नेकी करने वालों को दोस्त रखता है। सूरह बकराह 2:195 अल्लाह ने ज़ुल्म को हराम कर दिया: (ऐ रसूल) तुम साफ कह…
अपने बीवी बच्चों से होशियार रहो कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : "ऐ ईमान वालो ! तुम्हारी बाज़ बीवियाँ और बाज़ औलाद तुम्हारे हक़ में दुश्मन हैं, तो तुम उन से होशियार रहो।" वजाहत: बीवी बच्चे बाज़ मर्तबा दुनियावी नफे के लिये शरीअत के खिलाफ कामों का हुक्म देते हैं, उन्हीं लोगों को अल्लाह तआला ने दीन का दुश्मन बताया है और उन के हुक्म को पूरा न करने की हिदायत दी है। 📕 सूरह तग़ाबुन : १४
सच्ची गवाही को छुपाने का गुनाह कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : “तुम गवाही मत छुपाया करो और जो शख्स इस (गवाही) को छुपाएगा, तो बिला शुबा उस का दिल गुनहगार होगा और अल्लाह तआला तुम्हारे किए हुए कामों को खूब जानता है।” 📕 सूरह बकराह 283
अगर किसी बात पर तुम में इख़्तेलाफ़ हो जाए कुरआन में अल्लाह तआला फर्रमाता है : "अगर किसी बात पर तुम में इख़्तेलाफ़ हो जाए, तो अल्लाह और उसके रसूल के हुक्म की तरफ रूजूअ करो, अगर तुम अल्लाह और क़यामत के दिन पर ईमान रखते हो, यह तरीका तुम्हारे लिये बेहतर है और अच्छा भी है।" 📕 सूरह निसा: 59
यतीम की परवरिश करना रसुलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : “मुसलमानों में बेहतरीन घर वह है, जिसमें कोई यतीम हो और उससे अच्छा सुलूक किया जाए और मुसलमानों में बदतरीन घर वह है जिस में कोई यतीम हो और उस के साथ बुरा सुलूक किया जाए।” 📕 इब्ने माजा: ३६७९
ईमान वालों का ठिकाना कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : “इन (ईमान वालों) के लिए हमेशा रहने वाले बाग़ हैं, जिन में वह दाखिल होंगे और उन के माँ बाप, उन की बीबियों और उन की औलाद में जो (जन्नत) के लायक होंगे, वह भी जन्नत में दाखिल होंगे और हर दरवाजे से फरिश्ते उन के पास यह कहते हए दाखिल होंगे ‘तुम्हारे दीन पर मज़बूत जमे रहने की बदौलत तुम पर सलामती हो, तुम्हारे लिए आखिरत का घर कितना उम्दा है!’” 📕 सूरह रआद:२३ ता २४
कुरआन का मजाक उड़ाने का गुनाह कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है: "जब इन्सान के सामने हमारी आयतें पढ़ी जाती हैं, तो कहता है के यह पहले लोगों के किस्से कहानियां हैं। हरगिज़ नहीं! बल्के उन के बुरे कामों के सबब उन के दिलों पर जंग लग गया है।" 📕 सूरह मुतफ्फिफीन: १३ ता १४
कोई शख्स दूसरे के सामने फक्र न करे रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "तवाजो इख्तियार करो, कोई शख्स दूसरे के सामने फक्र न करे और एक दूसरे पर ज़ियादती करे।" 📕 मुस्लिम: ७२१०
दीन-ऐ-इस्लाम में नमाज़ की अहमियत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : "दीन बगैर नमाज़ के नहीं है, नमाज़ दीन के लिये ऐसी है जैसा आदमी के बदन के लिये सर होता है।" 📕 तबरानी औसत: २३८३
अल्लाह की कुदरत : समुन्दर का उतरना चढ़ना Highlights • समुंदर का पानी: किनारे की ओर चढ़ता और उतरता है, लेकिन इसकी एक तय सीमा होती है।• सीमा का उल्लंघन: यदि समुंदर अपनी सीमा पार कर ले, तो भारी जानी और माली नुक्सान हो सकता है।• पृथ्वी का संतुलन: दुनिया का तीन-चौथाई हिस्सा पानी और एक-चौथाई हिस्सा खुश्की है।• अल्लाह की कुदरत: समुंदरों को उनकी सीमाओं में रोकना अल्लाह की अद्भुत शक्ति है।• जीवन का संतुलन: यह व्यवस्था धरती पर जीवन की सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करती है। समुन्दर के किनारे अगर आप जाएँ तो देखेंगे के समुन्दर का पानी किनारे की तरफ़ कभी चढ़ जाता है और कभी उतर…
सुबह शाम अपने रब को याद किया करो कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : "तुम सुबह व शाम अपने रब को अपने दिल में गिड़गिड़ा कर, डरते हुए और दर्मियानी आवाज के साथ याद किया करो और गाफिलों में से मत हो जाओ।" 📕 सूरह आराफ : २०५
कयामत के दिन के सवालात अब्दुल्लाह बिन मसऊद (र.अ) से रिवायत है के,रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: "इन्सान के क़दम कयामत के दिन अल्लाह के सामने से उस वक़्त तक नहीं हटेंगे जब तक उस से पाँच चीज़ो के बारे में सवाल न कर लिया जाए। (1) उसकी उम्र के बारे में कि उसको कहाँ खत्म किया। (2) उसकी जवानी के बारे में के उसको कहाँ ख़र्च किया। (3) माल कहाँ से कमाया (4) कहाँ खर्च किया। (5) इल्म के मुताबिक़ क्या-क्या अमल किया। 📕 तिर्मिजी, हदीस: 2416
वसिय्यत के लिए दो इंसाफ पसंद लोग गवाह हो कूरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है: "ऐ ईमान वालो ! जब तुम में से किसी को मौत आने लगे वसीय्यत के वक्त शहादत के लिये तूम (मुसलमानों) में से दो इन्साफ पसन्द आदमी गवाह होने चाहिये या फिर तुम्हारे अलावा दूसरी कौम के लोग गवाह होने चाहिये। जैसे तुम सफर में गए हो, फिर तुम्हें मौत का हादसा आ जाए।" 📕 सूरह मायेदा: १०६
MD. Salim Shaikh
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