जैसा के हर दौर के लोगों ने अपने जमाने के नबी का इनकार किया और उनके साथ बुरा सुलूक किया, ऐसे ही बल्के इससे मी ज़ियादा बुरा सुलूक नबीए करीम (ﷺ) के साथ कुफ्फारे मक्का ने किया,
चुनान्चे हुजूर (ﷺ) का इर्शाद है : “तमाम नबियों में, मैं सब से ज़ियादा सताया गया हूँ।”
कुफ्फारे मक्का ने आप को और आपके सहाबा को सताने में कोई कसर न छोड़ी,
कोई आप के रास्ते में काँटे बिछाता, तो कोई आप का मजाक उड़ाता, कोई शाइर और कोई जादूगर कहता, तो कोई पागल और दीवाना, कभी शरीरों ने नमाज की हालत में आपके जिस्मे मुबारक पर ऊंट की ओझड़ी डाली, तो कभी आप के गले में चादर का फंदा डाल कर खींचा, इसी दीन की खातिर रसूलुल्लाह (ﷺ) की दो बेटियों को तलाक़ दी गई, मगर रसूलुल्लाह (ﷺ) बराबर सब्र व इस्तिकामत के साथ अल्लाह के दीन की तब्लीग में मशगुल रहे और कुफ्फारे मक्का आप को तकलीफें पहुँचाने के बावजूद दीने हक़ की तब्लीग़ से रोकने में नाकाम रहे।
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