“जिस ने किसी मोमिन को खाना खिलाया और उसको सैराब कर दीया तो
अल्लाह तआला एक खास दरवाजे से उस को जन्नत में
दाखिल फ़रमाएगा जिस में उस के जैसा अमल करने वाला ही दाखिल होगा।”
मौत को कसरत से याद करने की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : "दिलों में भी ज़ंग लगता है, जैसे के लोहे में जब पानी लग जाता है" तो पूछा गया (दिलों का ज़ंग) कैसे दूर होगा? रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया "मौत को खूब याद करने और क़ुरआन पाक की तिलावत से।" 📕 बैहेकी फी शोअबिलईमान: १९५८,अन इब्ने उमर रज़ि०
अस्र की नमाज़ की फज़ीलत एक मर्तबा रसूलुल्लाह (ﷺ) ने अस्र की नमाज़ पढ़ाई और फिर लोगों की तरफ मुतवज्जेह हो कर फ़रमाया - "यह नमाज़ तुमसे पहले वाले लोगों पर भी फ़र्ज़ की गई थी, मगर उन्होंने इस को ज़ाय कर दिया, लिहाज़ा सुनो! जो इसको पाबन्दी से पढ़ता रहेगा उसको दोहरा सवाब मिलेगा।" 📕 मुस्लिमः१९२७
घर में नफील नमाज़ पढ़ने की फ़ज़ीलत घर में नफील नमाज़ पढ़ने की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जब तुम में से कोई मस्जिद में (फ़र्ज़) नमाज़ अदा कर ले, तो अपनी नमाज़ में से कुछ हिस्सा घर के लिए भी छोड़ दे; क्योंकि अल्लाह तआला बन्दे की (नफ़्ल) नमाज़ की वजह से उस के घर में खैर नाज़िल करता हैं।" 📕 सही मुस्लिम : ७७८, अन जाबिर (र.अ) एक और रिवायत में, रसूलअल्लाह(ﷺ) ने फरमाया – “फ़र्ज़ नमाज़ के अलावा (सुन्नत और नवाफ़िल नमाज़े) घर में पढ़ना मेरी इस मस्जिद (मस्जिद-ए-नबवी) में नमाज़ पढ़ने से भी अफ़ज़ल है।” 📕 सुनन अबू दाऊद: 1044, जैद इब्ने…
लोगों की जरूरतें पूरी करने वालो की फ़ज़ीलत रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "अल्लाह तआला ने कुछ बन्दों को लोगों की जरूरत पूरी करने के लिये पैदा किया है, लोग उन के पास अपनी ज़रूरत ले कर जाते हैं, लोगों की जरूरत पूरी करने वाले यह लोग अल्लाह के अज़ाब से महफूज रहेंगे।” 📕 तबरानी कबीर : १३१५३
इल्म की फजीलत रसूलल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "इल्म की फजीलत इबादत की फजीलत से बेहतर है और दीन में बेहतरीन चीज़ तक़वा व परहेजगारी है।" 📕 तबरानी औसत: ४१०७
अपने घरवालों पर खर्च करने की फ़ज़ीलत अपने घरवालों पर खर्च करने की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "एक वह दीनार जिसे तुमने अल्लाह के रास्ते में खर्च किया और एक वह दीनार जिसे तुमने किसी गुलाम के आज़ाद करने में खर्च किया और एक वह दीनार जो तुमने किसी ग़रीब को सदका किया और एक वह दीनार जो तुम ने अपने घर वालों पर खर्च किया तो इन में से उस दीनार का अज्र व सवाव सबसे ज़ियादा है, जो तुमने अपने अहल व अयाल पर खर्च किया।" 📕 मुस्लिम : २३११
अल्लाह की राह में अपनी जवानी लगाने की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया: "जिसने अपनी जवानी अल्लाह के रास्ते में गुजार दी, तो कयामत के दिन उस के लिये एक नूर होगा।" 📕 निसाई : ३१४४
अज़ान का जवाब दे कर दुआ करने की फ़ज़ीलत एक आदमी ने अर्ज किया: "या रसूलल्लाह (ﷺ) ! मोअज्जिन हज़रात फजीलत में हम से आगे बढ गए। रसुलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "तुम भी इसी तरह अज़ान का जवाब दिया करो, जिस तरह वह अजान देते है फिर जब तुम फारिग़ हो जाओ तो अल्लाह तआला से दुआ करो, तुम्हारी दुआ पूरी होगी!" 📕 अबू दाऊद : ५२४
मौत के वक्त कलमा तय्यबा पढ़ने की फ़ज़ीलत : हदीस मौत के वक्त कलमा तय्यबा पढ़ने की फ़ज़ीलत ۞ हदीस: मुआद बिन जबल (र.अ.) से रिवायत है के, रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फरमाया: "जिस नफ्स को भी इस हाल में मौत आए की वो इस बात की गवाही देता हो की अल्लाह के सिवा कोई माबूद नही और मैं (मुहम्मद सलअल्लाहू अलैही वसल्लम) अल्लाह का रसूल हूँ और ये गवाही दिल के यकीन से हो तो अल्लाह सुबहानहु उसकी मगफिरत फरमा देगा।" 📕 सुनन इब्न माजा, 3796 सुभान अल्लाह ! ۞ अल्लाह ताला हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल की तौफ़ीक़ अता फरमाए। ۞ जबतक हमे ज़िंदा रखे इस्लाम और इमां…
एक प्याला खाने में बरकत हज़रत समुरह बिन जुन्दुबई (र.अ) फ़र्माते हैं के: “एक मर्तबा रसूलुल्लाह (ﷺ) के पास कहीं से एक प्याला आया जिस में खाना था, तो उस को आपने सहाबा को खिलाया, एक जमात खाना खा कर फ़ारिग होती फिर दूसरी जमात बैठती, यह सिलसिला सुबह से जोहर तक चलता रहा, एक आदमी ने हज़रत समुरह (र.अ) से पूछा क्या खाना बढ़ता था, तो हज़रत समुरह (र.अ) ने फर्माया : इस में तअज्जुब की क्या बात है, खाना आस्मान से उतरता था।“ 📕 बैहकी फी दलाइलिन्नुबुह : २३४२
खाना खिलाया करो और सलाम को आम करो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "रहमान (अल्लाह) की इबादत करो और खाना खिलाया करो और सलाम को आम करो (चाहे उस से जान पहचान हो या न हो) तुम जन्नत में सलामती के साथ दाखिल हो जाओगे।" 📕 तिर्मिज़ी : १८५५
अच्छी तरह वुजू कर के नमाज़ के लिये मस्जिद जाने की फ़ज़ीलत रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "तुम में से जो शख्स अच्छी तरह मुकम्मल वुजू करता है, फिर नमाज ही के इरादे से मस्जिद में आता है, तो अल्लाह तआला उस बंदे से ऐसे खुश होता हैं जैसे के किसी दूर गए हुए रिश्तेदार के अचानक आने से उसके घर वाले खुश होते हैं।" 📕 इब्ने खुजैमा : १४११
लोगों से अपनी जरूरत छुपाए रखने की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "जो शख्स भूका हो, या उस को कोई और खास हाजत हो और वह अपनी उस भूक और हाजत को लोगों से छुपाए रखे (यानी उन के सामने जाहिर कर के उनसे सवाल न करे) तो अल्लाह तआला के जिम्मे है के उस को हलाल तरीके से एक साल का रिज्क अता फ़रमाए।" 📕 शोअबुल ईमान लिलबहकी : ९६९८
सुभानअल्लाह और ला इलाहा इलल्लाह की फ़ज़ीलत | तस्बीह, तहलील और तक्दिस ✦ मफ़हूम-ऐ-हदिस ✦ युसरा रजीअल्लाहु अन्हा फरमाती है के, नबी-ऐ-करीम (ﷺ) ने हम से फ़रमाया: "तुम लोग तस्बीह (सुभानअल्लाह) , तहलील (ला इलाहा इलल्लाह) और तक्दिस (सुभानल मलिकिल कुद्दुस या सुबहू कुद्दुस, रब्बना व ल मलाईकतु वा रुहु ) पढ़ते रहा करो।" और इनको उंगलियों के पोरों (Finger Tips) पर शुमार करो। इस लिए की क़यामत के दिन इस (उंगलियों) से सवाल किया जायेगा और वो बोलेगी, फिर गाफिल न हो जाना क्यूंकि इस से तुम असबाब-ऐ-रहमत भूल जाओगे।" 📕 जामिया तिरमिज़ी , 1506-हसन Subhan'Allah aur La ilaha illallah Ki Fazilat - Tasbeeh, Tahleel aur Taqdis Padhte Raha karo.
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