हज़रत अबू हुरैरा (र.अ) फर्माते हैं के मैं ने रसूलुल्लाह (ﷺ) को फर्माते हुए सुना के:
“ख़ुदा की कसम ! मैं दिन में सत्तर से जियादा मर्तबा अल्लाह तआला से तौबा व इस्तिगफार करता हूँ।”
हज़रत अबू हुरैरा (र.अ) फर्माते हैं के मैं ने रसूलुल्लाह (ﷺ) को फर्माते हुए सुना के:
“ख़ुदा की कसम ! मैं दिन में सत्तर से जियादा मर्तबा अल्लाह तआला से तौबा व इस्तिगफार करता हूँ।”
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