फायदा: अल्लामा इब्ने कय्यिम फर्माते हैं : इस के इस्तेमाल से उफारा (पेट फूलना) खत्म हो जाता है, बलगमी बुखार के लिए नफ़ा बख्श है, अगर इस को पीस कर शहद के साथ माजून बना लिया जाए और गर्म पानी के साथ इस्तेमाल किया जाए, तो गुर्दे और मसाने की पथरी को गला कर निकाल देती है।
जूं पड़ने का इलाज तिब्बे नबवी से एक रिवायत में है के दो सहाबा ने रसूलुल्लाह (ﷺ) से एक गजवे के मौके पर (कपड़ों में) जूं पड़ जाने की शिकायत की, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने उन दोनों को रेश्मी कमीस पहनने की इजाजत दी। फायदा: जूं पड़ना एक मर्ज है, जिस का इलाज आप (ﷺ) ने उस मौके पर रेश्मी लिबास तजवीज़ फ़र्माया, जरूरत की वजह से तजवीज़ करे तो गुन्जाइश है। अगरचे रेशमी कपडे आम तौर पे मर्दो पर हराम है (सुनन निसाई ५१४८/१०९) 📕 बुखारी : २९२०
मुनक्का से पट्टे वगैरह का इलाज हजरत अबू हिन्ददारी (र.अ) कहते हैं के - रसूलुल्लाह (ﷺ) की खिदमत में मुनक्का का तोहफा एक बन्द थाल में पेश किया गया। आप (ﷺ) ने उसे खोल कर इर्शाद फर्माया: “बिस्मिल्लाह” कह कर खाओ! मुनक्का बेहतरीन खाना है जो पेटों को मजबूत करता है, पुराने दर्द को खत्म करता है, गुस्से को ठंडा करता है और मुंह की बदबू को जाइल करता है, बलगम को निकालता है और रंग को निखारता है।” 📕 तारीखे दिमश्क लि इब्ने असाकिर : ६०/२१
मुनाफ़क़त एक बीमारी है मुनाफ़क़त एक बीमारी है जो मुनाफ़िक़ के दिल में होती है,और इसकी सज़ा अल्लाह फ़ौरन नहीं देताबल्कि उसे ढील देता चला जाता है। "मुनाफ़िक़ का ठिकाना जहन्नुम केसबसे निचले दर्जे में है।"सूरह निसा ४:१४५
कद्दू (दूधी) से इलाज ۞ हदीस: हज़रत अनस (र.अ) फर्माते हैं के,"मैंने खाने के दौरान रसूलुल्लाह (ﷺ) को देखा के प्याले के चारों तरफ से कद्दू तलाश कर के खा रहे थे, उसी रोज़ से मेरे दिल में कद्दु की रग़बत पैदा हो गई।" 📕 बुख़ारी : ५३७९ फायदा : अतिब्बा ने इस के बे शुमार फवायद लिखे हैं और अगर बही के साथ पका कर इस्तेमाल किया जाए तो बदन को उम्दा ग़िज़ाइयत बख्शता है, गरम मिजाज और बुख़ार जदा लोगों के लिये यह गैर मामूली तौर पर नफा बख्श है।
ठंडे पानी से बुखार का इलाज अन अनस बिन मालिक (र.अ) से रिवायत है, रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "तुम में से किसी को जब बुखार आए, तो सहरी के वक़्त ठंडा पानी (उसके बदन पर) तीन रात तक छिड़का जाए।" 📕 मुस्तदरक, हदीस: ८२२६ फायदा: आज जदीद तरीक़-ए-इलाज के मुताबिक डॉक्टर हजरात भी बुखार के मरीज के सर पर ठंडे पानी की पट्टी रखने का मश्वरा देते हैं।
शहेद से पेट के दर्द का इलाज Highlights • एक शख्स ने अपने भाई की पेट की तकलीफ के लिए रसूलुल्लाह (ﷺ) से मदद मांगी, तो उन्होंने शहद पिलाने को कहा। • बार-बार शहद पिलाने के बावजूद आराम न मिलने पर भी रसूलुल्लाह (ﷺ) ने अल्लाह के वादे पर भरोसा करने को कहा। • आख़िरकार, शहद के लगातार इस्तेमाल से वह शख्स ठीक हो गया, साबित हुआ कि शहद में शिफा है। एक शख्स रसूलुल्लाह (ﷺ) के पास आया और अर्ज़ किया : “ऐ अल्लाह के रसूल! मेरे भाई के पेट में तकलीफ है।” रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : ‘शहेद पिलाओ।’ वह शख्स गया और शहेद पिलाया,…
कै (उल्टी) के जरिये इलाज रसूलुल्लाह (ﷺ) ने कै (Vomit) की और फिर वुजू फ़रमाया। 📕 तिर्मिजी : ८७ वजाहत : अल्लामा इब्ने कय्यिम (रह.) लिखते हैं : कै(उलटी) से मेअदे की सफाई होती है और उस में ताकत आती है, आँखों की रौशनी तेज होती है, सर का भारी पन खत्म हो जाता है। इस के अलावा और भी बहुत से फवायद हैं।
खुम्बी (मशरूम) से आँखों का इलाज रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़ारमाया : "खुम्बी का पानी ऑखों के लिये शिफा है।" 📕 बुखारी: ५७०८ फायदा : हजरत अबू हुरैरह (र.अ) अपना वाकिआ बयान करते हैं, मैंने तीन या पाँच या सात खुम्बिया ली और उसका पानी निचोड़ कर एक शीशी में रख लिया, फिर वही पानी मैंने अपनी बाँदी की दूखती हुई आँख में डाला तो वह अच्छी हो गई। [तिर्मिजी: २०११] नोट : खुम्बी को हिन्दुस्तान के बाज इलाकों में साँप की छतरी और बाज दूसरे इलाकों में कुकरमत्ता कहते हैं, याद रहे के बाज खुम्बियाँ जहरीली भी होती हैं, लिहाजा तहकीक के बाद इस्तेमाल की जाये।
तलबीना से इलाज हजरत आयशा (र.अ) बीमार के लिये तलबीना तय्यार करने का हुकम देती थीं और फर्माती थीं के मैंने हुजूर (ﷺ) को फ़र्माते हुए सुना के: "तलबीना बीमार के दिल को सुकून पहुँचाता है और रंज व ग़म को दूर करता है।” 📕 बुखारी: ५६८९ फायदा: जौ (बरली) को कट कर दूध में पकाने के बाद मिठास के लिए इस में शहद डाला जाता है; इस को तलबीना कहते हैं।
फोड़े फुंसी का इलाज आप (ﷺ) की बीवीयों में से एक बीवी बयान फ़र्माती हैं के एक दिन रसूलुल्लाह ﷺ मेरे पास तशरीफ़ लाए और दर्याफ्त फ़ाया : क्या तेरे पास जरीरह है ? (चिरायता) मैं ने कहा: हाँ! तो आप ने उसे मंगाया और अपने पैर की उंगलियों के दर्मियान जो फुंसी थी उसपर रख कर यह दुआ फ़रमाई: तर्जमा : ऐ बड़े को छोटा और छोटे को बड़ा करने वाले अल्लाह! इस जख्म को ख़त्म कर दे, चुनांचे वह फुंसी अच्छी हो गई। 📕 मुस्तदरक : ७४६३
खरबूजे के फवाइद रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "खाने से पहले खरबूजे का इस्तेमाल पेट को बिल्कुल साफ कर देता है और बीमारी को जड़ से खत्म कर देता है।" 📕 इब्ने असाकिर : ६/१०२
99 बीमारियों की दवा (ला हौल वला कुव्वत इल्ला बिल्लाह) रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : जो शख्स “ला हौल वला कुव्वत इल्ला बिल्लाह” पढेगा, तो यह निनान्वे मर्ज की दवा है, जिस में सबसे छोटी बीमारी रंज व ग़म है। 📕 मुस्तदरक हाकिम: १९९०
निमोनिया का इलाज रसूलुल्लाह (ﷺ) ने निमोनिया के लिये वर्स, कुस्त और रोग़ने जैतून पिलाने को मुफीद बतलाया है। फायदा : "वर्स" तिल के मानिंद एक किस्म की घास है, जिस से रंगाई का काम लिया जाता है और "कुस्त" एक खुशबूदार लकड़ी है जिस को ऊदे हिन्दी भी कहते हैं। 📕 इब्ने माजा : ३४६७
मौत की आरज़ू कभी मत करो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया - तकलीफ़ और बीमारी की वजह से मौत की आरज़ू मत करो अगर तुम यही चाहते हो तो इस तरह दुआ करो: ( اللهم أحيني ما كانت المميزة خيزاتی وتولي إذا كانت الوفاة خيراتي ) तर्जमा: ऐ अल्लाह! तू मुझे ज़िन्दा रख जब तक मेरा ज़िन्दा रहना मेरे हक़ में बेहतर हो और मुझे मौत दे अगर मरना मेरे हक़ में बेहतर हो। 📕 बुखारी: ५६७१, अन अनस बिन मालिक रज़ि०