मुस्लिम औरत | दुनिया की सबसे बेहतरीन पूंजी इस पोस्ट में हम मुस्लिम औरत की पहचान और खूबियाँ, उसकी जिम्मेदारियां, और उसको मिलने वाले हुकूक, उसकी नादानियों और शर्र की वजह से होने वाले हश्र पर गौर करेंगे। मुस्लिम ख़्वातीन से मुताअ़ल्लिक़ मोअ्तबर अह़ादीस़ का एक मुख़्तसर मजूमुआ…
ज़कात मुस्तहिक को देना ज़रूरी है रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: “बेशक अल्लाह तआला ने ज़कात के मुस्तहिक को न किसी नबी की मर्जी पर छोड़ा है और न ही नबी के अलावा किसी और की मर्जी पर, बल्कि खुद ही फैसला फरमा दिया है और उस के…
9 Muharram | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा तारीख: हज़रत इदरीस, अल्लाह की कुदरत : चाँद का फायदा, एक फ़र्ज़ : पाँचों नमाजें अदा करने पर बशारत, अहेम अमल : माहे मुहर्रम में रोजे का सवाब, बिला शराब पीने का गुनाह ...
5 Muharram | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा तारीख: हज़रत आदम (अ.स), अल्लाह की कुदरत : ज़मीन और उस की पैदावार, सुबह की नमाज़ अदा करने पर हिफाजत का जिम्मा, एक सुन्नत: पूरे सर का मसह करना, अहेम अमल : इस्लाम में बेहतर आमाल, गुनाह की वजह से…
2. जमादी-उल-अव्वल | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा (1). मदीना मुनव्वरा, (2). आँखों की बीनाई का लौट आना, (3). नमाज़ छोड़ने का नुकसान, (4). बुरे लोगों की सोहबत से बचने की दुआ, (5). अल्लाह की राह में अपनी जवानी लगाने की फ़ज़ीलत, (6). रसूल (ﷺ) के हुक्म को…
अहले जन्नत का हाल कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है: "जो लोग अपने रब से डरते रहे, वह गिरोह के गिरोह हो कर जन्नत की तरफ रवाना किए जाएंगे, यहाँ तक के जब उस (जन्नत) के पास पहुंचेंगे और उस के दरवाजे (पहले से)…
15 जमादी-उल-अव्वल | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा (1). ग़ज़वा-ए-उहुद में मुसलमानों की आज़माइश, (2). नाक - कुदरते इलाही की निशानी, (3). शौहर पर बीवी के खर्चे की जिम्मेदारी, (4). सवारी पर सवार होने के बाद की दुआ , (5). अल्लाह के लिये मुहब्बत का बदला, (6). पड़ोसी…
सिरतून नबी (ﷺ) सीरीज | Part 15 https://www.youtube.com/playlist?list=PLqFqfE_wU2p6o-yao7hgl8YH54J1qoKQz Seerat un Nabi (ﷺ) Series: Part 15 पेज: 125 मेराज का सफर मुसलमान सन ०७ नबवी में शोबे अबी तालिब में कैद कर दिए गए थे। सन् १० नबवी में बाईकाट खत्म हुआ। पूरे तीन साल दर्रे में पड़े…
11. रबी उल आखिर | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा 11 Rabi-ul-Akhir | Sirf Panch Minute ka Madarsa 1. इस्लामी तारीख मुसलमानों की हिजरते हबशा जब कुफ्फार व मुशरिकीन ने मुसलमानों को बेहद सताना शुरू किया, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने सहाबा-ए-किराम को इजाजत दे दी के जो चाहे अपनी जान…