“अल्लाह तआला जन्नतियों को जन्नत में दाखिल कर देगाऔर जहन्नमियों को जहन्नम में दाखिल कर देगा,फिर उन के दर्मियान एक एलान करने वाला कहेगा केऐ जन्नतियों! अब मौत नहीं आएगी, ऐ जहन्नमियों! अब मौत नहीं आएगी(तुम में का जो जहाँ है हमेशा उस में रहेगा)”
जन्नत का खज़ाना: ला हौला वला कुव्वत इल्ला बिल्लाह कसरत से पढ़ना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: ”(ला हौला वला कुव्वत इल्ला बिल्लाह) बकसरत से पढ़ा करो, इस लिए के वह जन्नत के खज़ानों में से एक खज़ाना है।” 📕 तिर्मिज़ी : ३६०१ तर्जुमा: कोई क़ुव्वत नहीं बचाने वाली सिवा अल्लाह के जो अज़ीम-तर है।
गुनहगारों के लिये जहन्नम की आग है कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : "(अल्लाह का अज़ाब उस दिन होगा) जिस दिन आसमान थर थर काँपने लगेगा और पहाड़ अपनी जगह से चल पड़ेंगे। उस दिन झुटलाने वालों के लिये बड़ी खराबी होगी, जो बेहूदा मशगले में लगे रहते हैं, उस दिन उन को जहन्नम की आग की तरफ धक्के मार कर धकेला जाएगा (और कहा जाएगा) यही वह आग है जिस को तुम झुटलाया करते थे।" 📕 सूरह तूर : ९ ता १४
जन्नत का मुस्तहिक रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जो आदमी इस हाल में मर जाए के वह तकब्बुर, खयानत और कर्ज से बरी हो, तो जन्नत में दाखिल होगा।" 📕 तिर्मिज़ी : १५७२
मरीज़ के अयादत की फ़ज़ीलत हज़रत अली (रज़ीअल्लाहु अन्हु) कहते है के ; “जो शख्स किसी बीमार की दिन के आखिर हिस्से (शाम) में अयादत करता है तो इसके साथ सत्तर हज़ार फ़रिश्ते निकलते है और फज़र तक इस के लये मगफिरत की दुआ करते है, और इस के लिए जन्नत में एक बाग़ होता है, और जो शख्स दिन के इब्तेदाई (सुबह) में अयादत के लिए निकलता है इसके लिए सत्तर हज़ार फ़रिश्ते निकलते और शाम तक इस के लिए दुआ-ऐ-मग़फ़िरत करते है और इसके लिए जन्नत में एक बाग़ है।” 📕 सुनन अबू दावूद 3098
किसी मुसलमान की ग़ीबत और बेइज्जती की सजा रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: "जिस ने किसी मुसलमान (की गीबत की और उस की ग़ीबत) के बदले में एक लुक्मा भी खाया, तो कयामत के दिन अल्लाह तआला उस को एक लुक्मा जहन्नम से खिलाएगा और जिस ने किसी (मुसलमान की बेइज्जती की और उस) के बदले में उस को कपड़ा पहनने को मिला, तो कयामत के दिन अल्लाह तआला उस को उसी कद्र जहन्नम से पहनाएंगा।" 📕 अबू दाऊद : ४८८१, अन मुस्तरिद (र.अ)
जन्नतुल फिरदौस का दर्जा रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जब तुम अल्लाह तआला से सवाल करो, तो जन्नतुल फिरदौस का सवाल किया करो, क्योंकि वह जन्नत का सबसे अफजल और बुलंद दर्जा है और उसके ऊपर रहमान का अर्श है और उसीसे जन्नत की नहरें निकलती हैं।" 📕 बुखारी: ७४२३, अन अबी हुरैरा (र.अ)
अहले जन्नत की नेअमत: अहले जन्नत ऐश व राहत में होंगे कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है: “बेशक अहले जन्नत (ऐश व राहत के) मजे ले रहे होंगे, वह और उन की बीवियाँ सायों में मसहेरियों पर तकिये लगाए बैठे होंगे और उन के लिये उस जन्नत में हर किस्म के मेवे होंगे और जो वह तलब करेंगे उनको मिलेगा।” 📕 सूरह यासीन ५५ ता ५७
दुनिया से बेरग़वती का इनाम रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया: "जो शख्स जन्नत का ख्वाहिश मन्द होगा वह भलाई में जल्दी करेगा। और जो शख्स जहन्नम से खौफ करेगा, वह ख्वाहिशात से गाफिल (बेपरवाह) हो जाएगा और जो मौत का इंतज़ार करेगा उसपर लज्जतें बेकार हो जाएगी और जो शख्स दुनिया में जुद (दुनिया से बेरगबती) इख्तियार करेगा, उस पर मुसीबतें आसान हो जाएँगी।" 📕 शोअबुल ईमान: १०२१९
जन्नत हासिल करने के लिये दुआ करना जन्नत हासिल करने के लिये इस दुआ को कसरत से माँगे: तर्जमा: (ऐ मेरे रब!) मुझ को जन्नत की नेअमतों का वारिस बना दे। 📕 सूरह शोअरा: ८५
जन्नत वालों का इनाम व इकराम कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है: "(जन्नती लोग) जन्नत में सलाम के अलावा कोई बेकार व बेहूदा बात नहीं सुनेंगे और जन्नत में सुबह व शाम उनको खाना (वगैरह) मिलेगा। यही वह जन्नत है, जिसका मालिक हम अपने बन्दों में से उस शख्स को बनाएँगे, जो अल्लाह से डरने वाला होगा।" 📕 सूरह मरयम : ६२ ता ६३
नींद न आने का इलाज हजरत जैद बिन साबित (र.अ) ने हुजूर (ﷺ) से नींद न आने की शिकायत की, तो आप (ﷺ) ने फ़र्माया: यह पढ़ा करो: तर्जमा : ऐ अल्लाह ! सितारे छुप गए और आँखें पुर सुकून हो गईं, तू हमेशा जिन्दा और कायम रहने वाला है, ऐ हमेशा जिन्दा और कायम रहने वाले! मेरी आंख को सुला दे और मेरी रात को पुर सुकून बना। 📕 मुअजमेल कबीर लित तबरानी: ४६८३
जन्नत की सिफात कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : "वह घर हमेशा रहने के बाग़ हैं, जिन में परहेजगार लोग दाखिल होंगे। उन बागों के नीचे दूध, शहद और पाकीज़ा शराब की नहरें बह रही होंगी, जिस चीज़ को उनका जी चाहेगा वह उन को वहाँ मिलेगी। अल्लाह तआला परहेजगारों को ऐसा ही बदला दिया करता है।” 📕 सूर नहल: ३१
दुनिया मोमिन के लिये कैदख़ाना है रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया: "दुनिया मोमिन के लिये कैदखाना है और काफिर के लिये जन्नत है।" 📕 मुस्लिम : ७४१७ वजाहत: शरीअत के अहकाम पर अमल करना, नफसानी ख्वाहिशों को छोड़ना, अल्लाह और उसके रसूल के हुक्मों पर चलना नफ्स के लिये कैद है और काफिर अपने नफ्स की हर ख्वाहिश को पूरी करने में आज़ाद है, इस लिये गोया दुनिया ही उसके लिये जन्नत का दर्जा रखती है। अगरचे के आख़िरत में उसके लिए रुस्वाई है और मोमिन के लिए जन्नत।
जन्नत में दाखिल करने वाली चीज़ रसूलुल्लाह (ﷺ) से पूछा गया के, "लोगों को सब से ज़ियादा जन्नत में दाखिल करने वाली क्या चीज़ है?" आप (ﷺ) ने फर्माया : "अल्लाह से डरना और अच्छे अख्लाक़", और सब से ज़ियादा आग में दाखिल करने वाली चीज़ के बारे में सवाल किया गया। तो आप (ﷺ) ने फर्माया : मुंह और शर्मगाह।" 📕 तिर्मिज़ी : २००४, अन अबी हुरैरा (र.अ)
MD. Salim Shaikh
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