हमराउल असद पर तीन रोज कयाम
ग़ज़व-ए-उहुद के बाद अबू सुफियान अपना लश्कर ले कर मक्का वापस जाते हुए मकामे रोहा में पहुँच कर कहने लगा,
हमें मुकम्मल तौर पर फतह हासिल करना चाहिये, तो (नऊज़ बिल्लाह) मुहम्मद (ﷺ) को कत्ल क्यों न करूँ ?
चलो ! वापस जाकर मुसलमानों को सफ्ह-ए-हस्ती से मिटा कर आएँ।
जब रसूलुल्लाह (ﷺ) को इस की इत्तेला मिली तो आप (ﷺ) ने मुसलमानों को
उस का पीछा करने का हुक्म दिया, जो जंगे उहुद में शरीक थे,
मुसलमान जखमी और खस्ता हाल होने के बावजूद
फौरन तय्यार हो गए और मदीना से आठ मील दूर हमराउल असद मक़ाम पर पड़ाव डाला।
जब अबू सुफियान को उन की बहादुरी और शुजाअत का पता चला के
मुहम्मद (ﷺ) फिर अपने साथियों को ले कर मुकाबले के लिये पीछा कर रहे हैं,
तो उस पर खौफ तारी हो गया और सब की हिम्मत पस्त हो गई।
बिल आखिर अबू सुफियान अपनी जान बचाते हुए लश्कर ले कर मक्का भाग गया।
हुजूर (ﷺ) ने वहाँ तीन रोज कयाम फ़रमाया और इतमेनान के साथ वापस मदीना आ गए ।
To Be Continued …