अजनबी औरत से मिलने का गुनाह रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "तुम में से किसी के सर में लोहे की कील ठोंक दिया जाना इस से बेहतर है के वह किसी ऐसी (अजनबी) औरत को छुए जो उसके लिये हलाल नहीं है।" 📕 तबरानी कबीर : १६८८०
थोड़ी सी रोज़ी पर रहने की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "जो शख्स अल्लाह तआला से थोड़ी रोजी पर राजी रहे, तो अल्लाह तआला भी उसकी तरफ से थोड़े से अमल पर राजी हो जाता हैं।" 📕 बैहकी शोअबुल ईमान : ४०९
औरत के लिये चंद आमाल रसुलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जब औरत पाँच वक्त की नमाज पढती रहे और अपनी इज्जत की हिफाजत करती रहे और अपने शौहर की फरमाबरदारी करती रहे तो वह जन्नत के जिस दरवाजे से चाहे, दाखिल हो जाए।" 📕 सही इब्ने हिम्बान : ४२३७
अल्लाह तआला सबको दोबारा ज़िन्दा करेगा कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है: "अल्लाह वह है, जिसने तुम को पैदा किया और वही तुम्हें रोजी देता है, फिर (वक्त आने पर) वही तुम को मौत देगा और फिर तुम को वही दोबारा जिन्दा करेगा।" 📕 सूरह रूम : ४० वजाहत: मरने के बाद अल्लाह तआला दोबारा जिन्दा करेंगा, जिसको "बअस बादल मौत" कहते हैं, इसके हक होने पर ईमान लाना फर्ज है।
मेअदे का निज़ाम ( Digestive System ) Highlights • गौर करने योग्य सिस्टम: शरीर के अंदर पाचन प्रणाली (digestive system) का सटीक कार्य, जो गिज़ा को खून में बदलकर शरीर को पोषण पहुँचाता है।• कुदरत का अद्भुत कार्य: हर कदम पर अल्लाह की कुदरत और हिकमत को महसूस करना चाहिए, जो इस जटिल तंत्र को नियंत्रित कर रही है।• अल्लाह की कुदरत: यह सारा निज़ाम अल्लाह के क़दमों का किया हुआ काम है, जो पूरी तरह से बिना किसी बुराई के चलता है। हमें इन्सानी जिस्म के अन्दर जो निज़ाम चल रहा है उस पर गौर करना चाहिये, इन्सान जब लुकमा मुंह में डालता है वह मेअदे…
अपने घर वालों को नमाज़ का हुक्म देना अपने घर वालों को नमाज़ का हुक्म देना कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है: "आप अपने घर वालों को नमाज़ का हुक्म करते रहो और खुद भी नमाज़ के पाबन्द रहिये, हम आपसे रोजी तलब नहीं करते, रोजी तो आप को हम देंगे आर अच्छा अंजाम तो परहेजगारों का है।" 📕 सूरह ताहा: १३२
हलाल रोज़ी कमाओ रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "रोज़ी को दूर न समझो, क्योंकि कोई आदमी उस वक्त तक नहीं मर सकता जब तक के जो रोजी उस के मुक़द्दर में लिख दी गई है, वह उस को न मिल जाए। लिहाजा रोजी हासिल करने में बेहतर तरीका इख्तियार करो, हलाल रोजी कमाओ और हराम को छोड़ दो।" 📕 मुस्तदरक हाकिम : २१३४
समुन्दर इन्सानों की गिजा का ज़रिया है Highlights • समुंदर का फ़ायदा: अल्लाह तआला ने समुंदर को इंसानों के लिए एक अहम ज़रिया बना दिया, जिससे ताजे गोश्त, मोती और अन्य जेवरात प्राप्त होते हैं।• कश्तियाँ और रोज़ी की तलाश: समुंदर में कश्तियाँ चलती हैं और लोग अपने रोज़गार के लिए समुंदर से लाभ उठाते हैं।• शुक्र अदा करना: यह सब अल्लाह की कृपा है, और इंसानों को इसका शुकर अदा करते रहना चाहिए। कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : "अल्लाह तआला ही ने समुन्दर को तुम्हारे काम में लगा दिया है, ताके तुम उस में से ताज़ा गोश्त खाओ और उसमें से जेवरात (मोती वगैरह)…
वारिसीन के दर्मियान विरासत तकसीम करना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "माल (विरासत) को किताबुल्लाह के मुताबिक हक़ वालों के दर्मियान तकसीम करो।" 📕 मुस्लिम: ४१४३ फायदा : अगर किसी का इन्तेकाल हो जाए और उस ने माल छोड़ा हो, तो उस को तमाम हक वालों के दर्मियान तकसीम करना वाजिब है, बगैर किसी शरई वजह के किसी वारिस को महरूम करना या अल्लाह तआला के बनाए हुए हिस्से से कम देना जाइज नहीं है ।
झूठी कसम खाने का वबाल रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : “जो शख्स झूटी कसम खाए, ताके उस के ज़रिए किसी मुसलमान का माल हासिल कर ले, तो वह अल्लाह तआला से इस हाल में मुलाकात करेगा के अल्लाह तआला उस पर सख्त नाराज़ होगा।” 📕 अबू दाऊद: ३२४३
दुनिया की जाहिरी हालत धोका है कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : "यह लोग सिर्फ दुनियावी ज़िंदगी की ज़ाहिरी हालत को जानते हैं और यह आख़िरत से बिल्कुल ग़ाफिल हैं।" (यानी इन्सान सिर्फ दुनिया की चीजों को जानते और उसी को हासिल करने की फिक्र में लगे रहते हैं, उन्हें पता ही नहीं है के इस के बाद दूसरी जिंदगी आने वाली है और वह हमेशा हमेशा की जिंदगी है, लिहाजा दुनिया में लगने के बजाए आखिरत की तय्यारी में मशगूल रहना चाहिये।)" 📕 सूरह रूम : ७
हारूत व मारूत हारूत व मारूत क़दीम ज़माने में शहरे बाबुल (Babylon) में रहने वाले यहुदियों के दर्मियान जादू बहुत ज़्यादा आम हो गया था वह लोग जादू के ज़रिये अजीब व ग़रीब कमालात दिखाते थे यहाँ तक कि बाज़ लोग जादू के ज़ोर पर नुबुव्वत का दावा करने लगते थे। अल्लाह तआला ने बाबुल शहर में हारूत व मारूत नामी फरिश्तों को भेजा ताकि लोगों को जादू की हक़ीक़त से आगाह कर सकें। चुनाचें लोग इबरत हासिल करने के बजाए दुनिया कमाने और दुसरों को नुक़सान पहुँचाने के लिये उन से जादू सीखने आते थे हलाकि दोनों फरिश्ते जादू सिखाने से पहले…
अल्लाह से मदद चाहो और हिम्मत मत हारो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "अपने नफे की चीज को कोशिश से हासिल करो और अल्लाह से मदद चाहो और हिम्मत मत हारो और अगर तुम्हें कोई हादसा पेश आजाए तो यू मत कहो के अगर मैं यू करता तो एसा हो जाता बल्के यू कहो के अल्लाह तआला ने यही मुकद्दर फर्माया था और जो उसको मंजूर था उसने वही किया।" 📕 मुस्लिम ६७७४
दुनिया से ज्यादा आखिरत अहेम कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : “तुम तो दुनिया का माल व असबाब चाहते हो और अल्लाह तआला तुमसे आखिरत को चाहता हैं।” 📕 सूर-ए-अन्फाल: ६५ वजाहत: इन्सान हर वक्त दुनियावी फायदे में मुन्हमिक रहता है और इसी को हासिल करने की फिक्र करता रहता है; हालांके अल्लाह तआला चाहता हैं के दुनिया के मुकाबले में आखिरत की फिक्र जियादा की जाए; क्योंकि आखिरत की फ़िक्र करना ज्यादा अहेम है।
पसंद के मुताबिक हदिया देना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जो आदमी अपने मुसलमान भाई से किसी ऐसी चीज़ के साथ मुलाकात करे जिस से वह खुश होता हो, तो अल्लाह तआला उस को कयामत के दिन खुश कर देगा। 📕 तबरानी सगीर : ११७५ वजाहत: हदीस से मालूम हुआ के किसी दीनी भाई के यहाँ जाते वक़्त उस की पसंद के मुताबिक़ कोई चीज़ पेश करना चाहिये इस से अल्लाह की रजा व खुश्नूदी हासिल होती है।
MD. Salim Shaikh
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